Book Fair में पूरी नहीं हो पाईं अभिभावकों की जरूरतें, स्कूल संचालकों और विक्रेताओं की मिलीभगत से यहां भी रही फिक्सिंग

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Shopkeepers arrived at the book fair with incomplete books: रीवा में अभिभावकों की जरूरतों के मुताबिक पुस्तकें और ड्रेसे उचित दाम पर उपलब्ध कराने के लिए प्रशासन के निर्देश पर पुस्तक मेले का आयोजन किया गया था। जिसका समापन रविवार को हो गया। शहर के मानसभवन में लगे इस मेले में तीन दिनों तक शहर के सभी प्रमुख पुस्तक विक्रेता और स्कूल ड्रेस-बैग आदि के दुकानदारों ने स्टाल लगाया। इन स्टॉलों पर कुछ अभिभावकों को तो उनकी जरूरत के अनुसार पुस्तकें मिल गईं लेकिन अधिकांश ऐसे भी रहे जिन्हें सभी पुस्तकें नहीं मिल पाई हैं। दुकानदारों ने उन्हें यह कह कर निराश कर दिया कि सप्ताह भर के बाद दुकान से उक्त पुस्तकें हासिल कर सकते हैं। लेकिन उस दौरान अभिभावकों को मेले में मिलने वाली छूट का फायदा नहीं मिलेगा। वहीं कई अभिभावकों ने बताया कि स्कूल ड्रेस दुकानदार ने मौके पर उपलब्ध नहीं कराया और कहा है कि सप्ताह भर बाद दुकान से मिल जाएगा। इसके लिए मेले में ही एडवांस राशि ले ली है, फिर भी कहा है कि ड्रेस के दाम बढ़ने की वजह से अधिक फायदा नहीं मिलेगा।

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अधूरी किताबें लेकर पहुंचे दुकानदार
पुस्तक मेले से किताबें खरीदकर निकल रहे अभिभावकों ने बताया कि उनके बच्चे जिस स्कूल में पढ़ते हैं, उस स्कूल की पुस्तकें केवल एक दुकानदार के पास मौजूद थीं। जिसने चार पुस्तकें नहीं दी हैं और कहा है कि सप्ताह भर के बाद दुकान से मिलेगी। उनका कहना था कि यदि पुस्तक मेला था तो सभी दुकानदारों को हर स्कूल की पुस्तकें लेकर पहुंचना था। अभिभावकों का कहना था कि यह तो फिक्सिंग जैसे ही है कि दुकानदारों ने स्कूलें बांट लीं और उनके यहां खरीदी करना अभिभावकों की मजबूरी बन गई। वहीं अभिभावकों का यह भी कहना था कि प्रशासन ने मेला तो लगवा दिया लेकिन किसी ने अभिभावकों से यह तक नहीं पूछा कि यहां पर उन्हें किस तरह से असुविधा हो रही है। अभिभावकों का कहना था कि प्रशासन का प्रयास तो अच्छा है लेकिन स्कूल संचालकों और विक्रेताओं की मिलीभगत के चलते अभिभावकों को पहले की तरह ही लुटना पड़ रहा है।

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