Shatrughan Singh Tiwari Rewa Biography In Hindi | वर्ष 1979 की बात है, देश में जनता पार्टी की सरकार थी, लेकिन अंदर खाने कुछ भी सही नहीं चल रहा था, मोरारजी देसाई सरकार के ऊपर संकट के बादल मंडरा रहे थे। इंदिरा गांधी भी समझ रही थी, आज नहीं तो कल जनता सरकार को जाना ही है।
इसीलिए जनतापार्टी सरकार के मुकदमों से निपट कर, वह अपने कार्यकर्ताओं के मनोबल को बढ़ाने के लिए, देशभर में कार्यकर्ता सम्मेलन और रैलियाँ कर रही थीं, इसी तारतम्य में वह 4 अप्रैल 1979 को एक कार्यकर्ता सम्मलेन में भाग लेने के लिए रीवा आईं। लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री का यहाँ आने का उद्देश्य केवल कार्यकर्ता सम्मेलन नहीं था, बल्कि अपने एक कार्यकर्ता को श्रद्धांजलि अर्पित करने उनके घर भी जाना था, इसीलिए उनका काफिला रीवा से करीब 17 किलोमीटर दूर बेला के नजदीक केमार गाँव की तरफ जा रहा था। केमार, था तो एक छोटा सा गाँव, लेकिन बहुत खास था, क्योंकि यह शत्रुघ्न सिंह तिवारी का गाँव था। शत्रुघ्न सिंह तिवारी, जो बहुत ही दबंग और जनप्रिय नेता थे।
निडर इतने थे कि मुख्यमंत्री को भी हड़का दिया करते थे, वह रीवा जिले से निर्वाचित पहले मंत्री थे, उनके सहयोग से ही 1969 में मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार की वापसी हो पाई थी। इसीलिए पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, उनकी मृत्यु के बाद उनके गाँव शोक संवेदना व्यक्त करने जा रही थीं। तो हमारे खास सेगमेंट “शख्सियत विंध्य की” में बात आज शत्रुघ्न सिंह तिवारी की, जिनके राजनैतिक प्रभाव और रुतबे के बारे में विंध्य की युवा पीढ़ी शायद ही जानती हो। इसीलिए आज उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर हमारा छोटा सा प्रयास है उनके विराट व्यक्तित्व के बारे में बताने का।