अपनी ख़ूबसूरती से अमिताभ बच्चन और शर्मीला टैगोर के भी होश उड़ा दिए थे ,शशि कपूर ने !

Shashi Kapoor Beauty Charm Amitabh Bachchan Sharmila Tagore Reaction

Death Anniversary Of Shashi Kapoor :दुबला पतला बदन मासूम से चेहरे पर बड़ी -बड़ी आँखें और गालों पर डिम्पल लिए नुकीले दाँतों की दिलकश हँसी, जिसने न केवल अमिताभ बच्चन जैसे अभिनेता को टक्कर दी बल्कि शर्मिला टैगोर जैसी बड़ी एक्ट्रेस के भी अपनी खूबसूरती से होश उड़ा दिए थे। अमिताभ जी और शर्मीला जी ने जब उन्हें पहली बार देखा तो देखते ही रह गए और कहने लगे शशि जी का तो कोई जवाब ही नहीं।

बतौर बाल कलाकार जुड़े फिल्मों से :-

जी हां ये थे पृथ्वीराज कपूर के बेटे शशि कपूर जिन्हें पृथ्वी जी ने नाम दिया था बलबीर राज कपूर जो उनकी पत्नी को पसंद नहीं आया और उन्होंने ही उनका नाम बदलकर शशि कर दिया क्योंकि माँ को उनका चेहरा चांद सा सुंदर लगता था। वे राज कपूर और शम्मी कपूर के सबसे छोटे भाई थे, वो बचपन से ही अपने पिता के पृथ्वी थिएटर से जुड़कर अभिनय के गुर सीखने लगे थे और पृथ्वीराज कपूर द्वारा निर्देशित और निर्मित कई नाटकों में अपने अभिनय का जादू भी बिखेरा। शशिराज के नाम से बतौर बाल कलाकार वो महज़ चार – पांच साल की उम्र से फिल्मों में भी अभिनय करने लगे थे।

सहायक भूमिकाओं में भी यादगार किरदार निभाए :-

शशि के साथ राज इसलिए लगाया गया क्योंकि शशि नाम से पहले से ही एक बाल कलाकार पौराणिक फिल्मों में अभिनय करता था। जवानी की दहलीज़ पे क़दम रखा तो उनकी फिल्में आईं (1948) की ‘आग’ और (1951) की ‘आवारा ‘ ,(1950) की ‘संग्राम’ में, उन्होंने अशोक कुमार के युवा संस्करण की भूमिका निभाई और 1953 की फिल्म ‘दाना पानी’ ,में भारत भूषण के साथ अभिनय किया।

20 साल की उम्र में की शादी :-

50 के दशक में शशि कपूर पिता की सलाह पर वे गोद्फ्रे कैंडल के थियेटर ग्रुप ‘शेक्स्पियाराना’ में शामिल हो गए थे और दुनिया भर में यात्राएँ करते रहते, इसी दोरान गोद्फ्रे की बेटी और ब्रिटिश अभिनेत्री जेनिफर से उनकी मुलाक़ात हुई और उन्हें ,उनसे प्यार हो गया जिनसे सिर्फ 20 साल की उम्र में आपने शादी कर ली ,इतनी हसीनाएँ उनपर फिदा थीं लेकिन उनकी मोहब्बत सिर्फ जेनिफर रहीं , ता – ज़िंदगी। उन्होंने साल 1950 में शादी की तब वो बस 20 साल के थे आप दोनों के तीन बच्चे हैं कुणाल कपूर, करण कपूर और संजना कपूर।

निर्देशन के साथ लीग से हट के अभिनय में अपनी जगह बनाई :-

फिल्म ‘श्रीमान सत्यवादी’ और ‘दूल्हा दुल्हन’ में बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर भी अपने काम किया ।
साल 1961 में बतौर हीरो शशि कपूर की एंट्री हुई फिल्म ‘धर्मपुत्र’. से लेकिन मुख्य भूमिकाओं में आपने गै़र रवायती क़िस्म की भूमिकाओ के साथ सिनेमा के पर्दे पर आग़ाज़ किया , जिनमें सांप्रदायिक दंगो पर आधारित ‘धर्मपुत्र’ रही उसके बाद ‘चार दीवारी’ और ‘प्रेमपत्र ‘जैसी ऑफ बीट फ़िल्मो में भी नज़र आये। वे हिंदी सिनेमा के पहले ऐसे अभिनेता थे जिन्होंने हाउसहोल्डर और ‘शेक्सपियर वाला’ जैसी अंग्रेजी फ़िल्मो में भी मुख्य भूमिकाएँ निभाई।

इंग्लिश फिल्मों के बाद चाँकलेटी हीरो बनकर उभरे :-

साल 1965 उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण साल था। इसी साल उनकी पहली जुबली फ़िल्म ‘जब जब फूल खिले’ रिलीज़ हुई और यश चोपड़ा ने उन्हें भारत की पहली बहुल अभिनेताओं वाली हिंदी फ़िल्म ‘वक्त’ के लिए कास्ट किया। बॉक्स ऑफिस पर लगातार दो बड़ी हिट फ़िल्मो के बाद व्यावहारिकता का तकाज़ा ये था की शशि कपूर अब रवायती और ट्रेडिंग रोल करते पर उनके अन्दर का अभिनेता इसके लिए तैयार नहीं था वो बहोत कुछ करना चाहते थे इसलिए इसके बाद उन्होंने ‘ए मैटर ऑफ़ इन्नोसेंस’ (A Matter of Innocence) और ‘प्रीटी परली ‘ (Pretty Polly)जसी फ़िल्मे कीं तो वहीं ‘हसीना मान जाएगी’ और ‘प्यार का मौसम’ जैसी फिल्मों ने उन्हें एक चाँकलेटी हीरो के रूप में स्थापित कर दिया।

अन्तरराष्ट्रीय सिनेमा में अपनी जगह बनाते हुए पृथ्वी थियेटर को संभाला :-

साल 1972 की फ़िल्म ‘सिद्धार्थ’ के साथ उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय सिनेमा के मंच पर अपनी मोजुदगी बनाए रखी।
70 के दशक में शशि कपूर सबसे व्यस्त अभिनेताओ में से एक थे। इसी में उनकी ‘चोर मचाये शोर’, ‘दीवार’, ‘कभी-कभी’, ‘दूसरा आदमी’ और ‘सत्यम शिवम् सुन्दरम’ जैसी हिट फिल्में रिलीज़ हुईं और साल 1971 में पिता पृथ्वीराज के गुज़र जाने बाद शशि कपूर ने जेनिफर के साथ मिलकर पिता के सपने को पूरा करने के लिए मुंबई में पृथ्वी थियेटर का पुनरूत्थान किया।

होम प्रोडक्सन कम्पनी शुरू की :-

अमिताभ बच्चन के साथ आई शशि जी की फिल्मों ‘दीवार’, ‘कभी – कभी’, ‘त्रिशूल’, ‘सिलसिला’, ‘नमक हलाल’, ‘दो और दो पांच ‘ और ‘शान’ ने उन्हें बहुत लोकप्रियता दिलवाई। इसके बाद 1977 में उन्होने अपनी होम प्रोडक्सन कम्पनी ‘फ़िल्म्वालाज’ लॉन्च की।

पद्म भूषण के बाद दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से भी नवाज़ा गया :-

शशि कपूर को साल 2011 में भारत सरकार ने पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया और साल 2015 में उन्हें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया ,जिसके बाद वे अपने पिता पृथ्वीराज कपूर और बड़े भाई राजकपूर के बाद ये सम्मान पाने वाले कपूर परिवार के तीसरे सदस्य बन गये।
ज़िंदगी बहुत बेरंग है और छोटी भी इसलिए इसमें रंग भरने के लिए उन्होंने इसमें बहुत पक्के और गहरे रंग ,रंगें ,जिनकी रंगीली छठा में वो हमेशा कला प्रेमियों के बीच, उनकी यादों में जावेदाँ रहेंगे।

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