Shardiya Navratri 2025: भारतीय संस्कृति में नवरात्रि का पर्व मां शक्ति की अनंत ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। वर्ष में दो बार आने वाले इस महापर्व से भक्तों को नई दिशा मिलती है। नवरात्रि की तिथि प्रतिपदा से आरंभ होकर दशमी तिथि तक चलती है और दशमी तिथि पर कलश विसर्जन किया जाता है। बता दें शारदीय नवरात्रि 2025 के अंतर्गत कलश विसर्जन 2 अक्टूबर 2025 को होने वाला है। ऐसे में आज के इस लेख में हम आपको इसी की संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं जहां हम बताएंगे कलश विसर्जन का शुभ मुहूर्त, विधि और इस दौरान किए जाने वाले आसान उपाय।

कलश विसर्जन का अर्थ केवल एक पात्र प्रवाहित करना नहीं होता बल्कि यह मां दुर्गा की आराधना का समापन भी होता है और इसके बाद माता सभी भक्तों को उनकी साधना का फल देती हैं। कलश पांच तत्व के रूप में घर में विद्यमान होता है ऐसे में शारदीय नवरात्रि 2025 के अंतर्गत कलश विसर्जन के दौरान यदि कुछ विशेष उपाय किए गए तो घर में निश्चित रूप से संतुलन, सुख समृद्धि और शांति बनी रहती है।
कलश विसर्जन 2025 शुभ मुहूर्त
बता दे कलश विसर्जन दशमी की तिथि को किया जाता है। नवरात्रि की दशमी तिथि 1 अक्टूबर से प्रारंभ हो चुकी है और यह तिथि 2 अक्टूबर शाम 7:10 तक बनी रहेगी। ऐसे में दशमी तिथि का मुहूर्त 2 अक्टूबर पूरा दिन रहेगा। हालांकि कलश विसर्जन के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 6:10 से 8:35 का बताया जा रहा है। परंतु यदि किसी वजह से शुभ समय छूट जाए तो दिन का हर समय अनुकूल समय कहा जा रहा है।
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कलश विसर्जन की विधि
कलश विसर्जन करने के दौरान सबसे पहले कलश के ऊपर रखे नारियल को निकाले और उसे प्रसाद के रूप में सभी मे बांट दें। इसके बाद कलश का जल घर के हर कोने में छिड़कें। तत्पश्चात कलश की मिट्टी को नदी तालाब या गंगाजल अथवा शुद्ध जल स्रोत में विसर्जित करें। कलश के भीतर रखी लौंग सुपारी सिक्के इत्यादि को जल में प्रवाहित करें अन्यथा अपने पास-सहेज कर पूजा घर में रखें। कलश में बोए गए जवारे या जौ पूजा स्थान पर रखें। इसके बाद पूजा की संपूर्ण सामग्री पीपल के वृक्ष तुलसी के वृक्ष के नीचे रखें। कलश विसर्जन के दौरान विशेष मंत्र उच्चारण आवश्यक रूप से करें। इस दौरान यदि अखंड ज्योत जलाई है तो उसे सावधानीपूर्वक सुरक्षित स्थान पर रखें परंतु गलती से भी जबरदस्ती ना बुझाएं।
कलश विसर्जन के दौरान किए जाने वाले विशेष उपाय
- कलश विसर्जन के बाद कलश में रखा सिक्का अपनी तिजोरी में लाल कपड़े में बांधकर रखें इससे माता लक्ष्मी आकर्षित होती है।
- कलश के रख जवारे धन-धन्य वाले स्थान पर रखें इससे माता अन्नपूर्णा प्रसन्न होती है।
- कलश के जल को घर के प्रत्येक कोने में छिड़कें जिससे नकारात्मकता बाहर जाती है।
- कलश में रखे जवारे लाल कपड़े में बांधकर पूजा स्थल में रखें इससे सुख शांति आती है।