Sharad Purnima Tulsi Pooja Vidhi 2025 – हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। यह दिन न केवल चंद्रमा की सर्वाधिक प्रभावशाली रात्रि होती है, बल्कि पावन क्षण भी होता है जब भगवान श्रीहरि विष्णु, देवी लक्ष्मी और माता तुलसी की आराधना से जीवन में समृद्धि होती है। तुलसी का पौधा हिंदू धर्म में देवी स्वरूपा मानी गई है। इस से विष्णु और लक्ष्मी प्रसन्न होते हैं। शरद पूर्णिमा को चंद्रमा पूर्ण कलाओं से युक्त होता है, तब तुलसी-दल और चंद्र-किरणों का संगम सकारात्मक ऊर्जा देता है, ऐसा कहा जाता है कि इस रात्रि को तुलसी की आराधना करने से तन, मन, धन – की शुद्धि होती है। शरद पूर्णिमा का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व यह रात्रि देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु के मिलन की प्रतीक है। पौराणिक मान्यता है कि इसी रात मां लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण कर भक्तों को समृद्धि का वरदान देती हैं। शरद ऋतु के आगमन पर यह पहला पूर्ण चंद्र होता है, जिसकी किरणों में औषधीय तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं। इसीलिए इस दिन दूध-खीर को चांदनी में रखने और उसे प्रसाद रूप में ग्रहण करने की परंपरा है। यह शरीर को शीतलता, मन को स्थिरता और आत्मा को पवित्रता प्रदान करता है।
शरद पूर्णिमा की रात के विशेष नियम व सावधानियां
इस रात जागरण करें और भक्ति गीत गाएं। खीर को चांदनी में कम से कम तीन घंटे रखें। रात्रि में क्रोध, नकारात्मक बातें और वाद-विवाद से दूर रहें। तुलसी और विष्णु आरती के बाद घर में घी का दीपक जलता रहना चाहिए। अगले दिन सूर्योदय के बाद खीर-प्रसाद का सेवन करें।
शरद पूर्णिमा पर तुलसी पूजा की पौराणिक कथा
एक बार भगवान विष्णु ने दैत्यराज जालंधर का वध करने के लिए उसकी पत्नी वृंदा की तपस्या भंग की। वृंदा के श्राप से भगवान विष्णु शालिग्राम बन गए और वृंदा तुलसी के रूप में पृथ्वी पर अवतरित हुईं। तब से यह परंपरा चली कि विष्णु बिना तुलसी-दल के पूजन स्वीकार नहीं करते। इसीलिए शरद पूर्णिमा की रात तुलसी-विष्णु की संयुक्त आराधना सबसे फलदायी मानी जाती है।
शरद पूर्णिमा तुलसी पूजन से मिलने वाले लाभ
आर्थिक समृद्धि – देवी लक्ष्मी की कृपा से धन-धान्य में वृद्धि होती है।
स्वास्थ्य लाभ – तुलसी और चंद्र किरणों के सम्मिलन से रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है।
दांपत्य सुख – विष्णु-तुलसी पूजन से वैवाहिक जीवन में प्रेम और स्थिरता आती है।
मनोकामना सिद्धि – जो भी भक्त पूर्ण निष्ठा से यह व्रत और पूजा करते हैं, उनकी हर इच्छा पूर्ण होती है।
संतान सुख – नि:संतान दंपति तुलसी आराधना से संतान प्राप्ति का आशीर्वाद पाते हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण तुलसी की सकारात्मक ऊर्जा और चांदनी का संगम
आयुर्वेद के अनुसार, तुलसी में एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल और एंटीऑक्सीडेंट तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं। जब चंद्रमा की ठंडी किरणें तुलसी पर पड़ती हैं, तो उसमें सत्वगुण की वृद्धि होती है। ऐसी स्थिति में तुलसीदल का सेवन मानसिक शांति, अनिद्रा और चिंता जैसी समस्याओं को दूर करता है।
शरद पूर्णिमा आरोग्य आरती
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विन,से मन का-स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का – ॐ जय जगदीश हरे. …
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी-स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी – ॐ जय जगदीश हरे. …
मात-पिता तुम मेरे शरण गहूं किसकी-स्वामी शरण गहूं किसकी ।
तुम बिन और ना दूजा आस करूँ जिसकी – ॐ जय जगदीश हरे. ..
तुम हो एक अगोचर सबके प्राण पति-स्वामी सबके प्राण पति किस विध मिलु दयामय मैं तुमसे कुमति – ॐ जय जगदीश हरे. ..
दीन बन्धु दुःख हर्ता तुम ठाकुर मेरे – स्वामी रक्षक तुम मेरे।
अपने हाथ उठाओ शरण पड़ी तेरे – ॐ जय जगदीश हरे. ..
विषय-विकार मिटाओ पाप हरो देवा-स्वामी पाप हरो देवा
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ संतन की सेवा – ॐ जय जगदीश हरे. …
ओम जय जगदीश हरे-स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त ज़नो के संकट,दास ज़नो के संकट,क्षण में दूर करे – ॐ जय जगदीश हरे – ॐ जय जगदीश हरे
आरती के बाद शरद पूर्णिमा व तुलसी प्रार्थना
“हे तुलसी माता, हे लक्ष्मीजी, हे श्रीहरि विष्णु – इस पावन शरद पूर्णिमा पर मैं अपने मन, वचन और कर्म से आपकी शरण में हूं। मेरे घर में सुख-शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि का वास हो। मेरे सभी पापों का नाश हो और जीवन में धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की सिद्धि प्राप्त हो।”
विशेष – यह रात हमें सिखाती है कि – “भक्ति में जागरण ही वास्तविक जागृति है।” इस शरद पूर्णिमा 2025 पर तुलसी-विष्णु की आराधना अवश्य करें, आरती के संग हृदय को प्रभु में विलीन करें, और अनुभव करें उस दिव्यता को जो हर पूर्णिमा के चांद से भी अधिक उज्ज्वल है।