SHARAD PURNIMA SPECIAL 2025 : रात्रि जागरण और अमृत की खीर का महत्व – हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन माह की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। यह रात न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि वैज्ञानिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत विशेष मानी जाती है। इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होता है और ऐसा माना जाता है कि उसकी चांदनी से अमृत बरसता है। इसीलिए इस दिन को “कोजागरी पूर्णिमा” भी कहते हैं, जिसका अर्थ है “कौन जाग रहा है ?” मान्यता है कि इस रात मां लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं और जो भक्त जागकर उनकी पूजा करते हैं, उन्हें धन और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
नाम का महत्व और अर्थ (कोजागरी पूर्णिमा)
कोजागरी का अर्थ – यह नाम संस्कृत के शब्द “को जागर्ति ?” से बना है, जिसका अर्थ है “कौन जाग रहा है ?” इस दिन मां लक्ष्मी उन भक्तों को आशीर्वाद देती हैं जो रातभर जागरण कर ,उनकी भक्ति में लीन रहते हैं।
लक्ष्मी का आशीर्वाद – शास्त्रों में वर्णित है कि शरद पूर्णिमा की रात में मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं। जो लोग इस दिन सच्चे मन से लक्ष्मी पूजा करते हैं, उनके घर में धन, सुख और सौभाग्य का स्थायी वास होता है।
धार्मिक महत्व और पौराणिक कथाएं
मां लक्ष्मी का प्राकट्य – पौराणिक मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय देवी लक्ष्मी का अवतरण इसी दिन हुआ था, इस कारण शरद पूर्णिमा को उनके जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है।
भगवान कृष्ण का रास उत्सव – वैष्णव परंपरा में यह दिन भगवान कृष्ण से जुड़ा है। ऐसा कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की चांदनी रात में श्रीकृष्ण ने राधा और गोपियों के साथ दिव्य महा-रास रचाया था, जो प्रेम, भक्ति और अध्यात्म का प्रतीक है।
अमृत वर्षा की मान्यता – कहा जाता है कि इस दिन चंद्रमा अपनी सभी कलाओं से परिपूर्ण होता है और उसकी किरणों से अमृत बरसता है, जो मनुष्य के तन और मन को पवित्र करता है।
वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक महत्व
औषधीय चांदनी – आयुर्वेद के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात का चंद्र प्रकाश विशेष औषधीय गुणों से भरपूर होता है। यह शरीर के ताप को संतुलित करता है और मानसिक शांति प्रदान करता है।
जड़ी-बूटियों की शक्ति – मान्यता है कि इस रात चांदनी में रखी गई जड़ी-बूटियों की औषधीय शक्ति कई गुना बढ़ जाती है। इसलिए पारंपरिक वैद्य इस समय औषधियों की तैयारी करते हैं।
अमृत की खीर – इसी वैज्ञानिक मान्यता के कारण इस रात खीर बनाकर खुले आकाश में चांदनी में रखी जाती है। माना जाता है कि चंद्रकिरणों के संपर्क से उसमें अमृत तत्व समाहित हो जाते हैं। अगले दिन यह खीर प्रसाद के रूप में ग्रहण की जाती है।
परंपराएं और पूजा विधि
घरों में मां लक्ष्मी की पूजा धूप, दीप, पुष्प और शुद्ध आचमन से की जाती है। भक्तजन रात्रि जागरण कर देवी का स्मरण करते हैं। खीर का भोग लगाकर उसे चांदनी में रखा जाता है। कुछ स्थानों पर चंद्र देव को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन किया जाता है। कई घरों में इस रात भजन-कीर्तन और आरती के आयोजन होते हैं।
विशेष – शरद पूर्णिमा या कोजागरी पूर्णिमा केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जागरण और वैज्ञानिक चेतना का प्रतीक है। यह वह रात है जब भक्ति, प्रकृति और विज्ञान का सुंदर संगम देखने को मिलता है। मां लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने और अमृतमयी चांदनी के लाभ के लिए इस रात सच्चे मन से पूजा, जागरण और ध्यान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।