MP Weather News: मध्यप्रदेश में प्रकृति की मार से हर कोई बेहाल है. राज्य के कई हिस्सों में ओलावृष्टि से किसानों की फसलें चौपट हो गई हैं. वहीं दूसरी ओर छतरपुर जिले में आधा दर्जन से अधिक राष्ट्रीय पक्षी मोर की भी दर्दनाक मौतें हुई हैं.
MP Weather News: मध्यप्रदेश में लगातार हो रही भीषण ओलवृष्टि से खेतों में लगी रबी की फसल ख़राब होने से किसानों की हालत खराब हो गई है, वहीं ये ओलावृष्टि बेजुबान पक्षियों के लिए भी कहर साबित हो रही है. मध्यप्रदेश के छतरपुर में रविवार 3 मार्च को भीषण ओलावृष्टि की जद में आकर मारे गए आधा दर्जन से ज्यादा पक्षी मोरों के शव खेतों में बिखरे पड़े मिले।
मध्यप्रदेश में प्रकृति की मार से हर कोई बेहाल है. प्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में ओलावृष्टि की वजह से एक ओर किसानों की फसलें चौपट हो गई है, वहीं दूसरी ओर छतरपुर जिले में आधा दर्जन से ज्यादा राष्ट्रीय पक्षी मोर की भी दर्दनाक मौत हो गई. बता दें कि छतरपुर जिले के राजनगर तहसील क्षेत्र के नांद गांव में ओलावृष्टि से कई मोरों की मौत हुई है. यहां मोरों के शव बिखरे हुए मिले। वहीं कुछ शवों को जंगली जानवरों ने अपना आहार बना लिया है. इस बीच ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग का कोई भी कर्मचारी अब तक मौके पर नहीं पहुंचा है.
वन विभाग को नहीं है जानकारी
दरअसल 3 मार्च की बीती रात से राजनगर तहसील क्षेत्र में एकाएक मौसम खराब होने की वजह से तेज बारिश और भीषण ओलावृष्टि हुई. इसके चपेट में आने के बाद नांद गांव में आधा दर्जन से अधिक मोरों की मौत हुई है. एक साथ इतनी बड़ी तादाद में हुई मोरों की मौत से पूरे गांव में सनसनी फ़ैल गई है. नांद ग्राम पंचायत के लोगों का कहना है कि ओलावृष्टि की वजह से करीब एक दर्जन से अधिक मोरों की मौत हुई है. ग्राम वासियों ने कहा कि ये इलाका लवकुश नगर रेंज में आता है, लेकिन अब तक कोई भी वन विभाग का अधिकारी या कर्मचारी मौके पर नहीं पहुंचा है. इस मामले में जब मीडिया ने वन विभाग के एक अधिकारी से बात की तो उन्होंने बताया कि आप से मुझे सूचना मिल रही है. मैं जल्द ही वन विभाग की टीम को लेकर मौके पर पहुंच रहा हूं, जो भी मौके परिस्थिति होगी, उस पर उचित निर्णय लिया जाएगा।
नष्ट हुईं फसलें
ओलावृष्टि से पक्षियों की मौत के साथ ही खेतों में दलहन, तिलहन और गेंहूं की फसल भी चौपट हो गई है। हालात ये है कि ओलवृष्टि के बाद खेतों का जायजा लेने पहुंच रहे किसान फसलों की बर्बादी को देखकर अपने आंसू नहीं रोक पा रहे हैं. रोते बिलखते किसानों को अब सरकार से ही मुआवजे की आस है. अब देखना ये होगा कि अपने उत्पादों के उचित मूल्य एमएसपी की लड़ाई लड़ रहे किसानों को सरकार किस हद तक मदद करती है.