Seva Mei Baag Lagaye Ho Maa Aacharya Yuvraj Pandey | ‘सेवा में बाग लगाए मैया’ पचरा गीत का एक भाग है, जो देवी दुर्गा की स्तुति में गाए जाने वाले भक्ति गीत होते हैं, खासकर नवरात्रि जैसे शुभ अवसरों पर, और छत्तीसगढ़ में लोकप्रिय हैं।
इस गीत में देवी के दिव्य रूप, शक्ति और पराक्रम का वर्णन होता है, जिसमें हंस पर विराजमान भवानी का चित्रण और उनकी सवारी के साथ भैरव और लंगूर का उल्लेख होता है।
Seva Mei Baag Lagaye Ho Maa Aacharya Yuvraj Pandey
सेवा में बाग लगाए हो मैया,
सेवा में बाग लगाए हो मां।
सेवा में पाग लगाए हो मैया,
सेवा में पाग लगाए हो मां।
हंस के उठे भवानी माता,
चंदन से सजे तेरे जटा।
जटा में नारियल, केवड़ा का वास,
सरवर में हंस का राज।
सरवर देख हंस बिराजे,
दाई संग भैरव साजे।
भैरव संग लंगर रचाए,
कुंज निवारे रमा लराए।
मोरी मैया सेवा में बाग लगाए हो,
मोरी मैया सेवा में भाग लगाए हो।
इंद्रलोक से उतरे घोड़े पर,
सांवरे हाथ चंदन रचाए।
गंगा-जमुना पांव पखारे,
धरती साक्षी तेरा ध्यान लगाए।
भवानी सेवा में बाग लगाए,
भवानी सेवा में पाग लगाए।
जहां भुजाएं उठीं, वहां कोट तने,
जहां निरंजन खड़ा, वहां चार कोट बसे।
सेवा में लगे चारों दिशाएं,
माता की महिमा गाएं।
कौरव, पांडव की बात सुनाए,
हाथों में वेद, शंकर बतलाए।
नवदुर्गा सजी, शक्ति के साथ,
माता का रूप हर जगह विराट।
सेवा में बाग लगाए हो मैया,
सेवा में बाग लगाए हो मां।
हे मोरी मैया सेवा में बाग लगाए हो,
हे मोरी मैया सेवा में पाग लगाए हो।
जब यज्ञ रचाए, ऋषि बुलाए,
विष्णु शंख बजाए, शिव ध्यान रमाए।
माधर दिए जलाए,
भक्तों को मां का प्रेम सुनाए।
सेवा में बाग लगाए हो भवानी,
सेवा में पाग लगाए हो भवानी।
बोलिए मां भवानी की जय,
जय भवानी, जय भवानी!