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MP: प्रदेश में मातृ-शिशु मृत्यु दर की गंभीर स्थिति, सुधार के लिए सरकार की नई पहल

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MP Maternal-Infant Mortality Status: हाल ही में राजधानी में आयोजित एक कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने डॉक्टरों और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से इन आंकड़ों को गंभीरता से लेने को कहा। उन्होंने बताया कि आंकड़ों में सुधार हुआ है, जो सकारात्मक है, लेकिन लक्ष्य अभी दूर है।

MP Maternal-Infant Mortality Status: मध्यप्रदेश मातृ और शिशु स्वास्थ्य के मामले में देश के सबसे पिछड़े राज्यों में शामिल है। ताजा रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में हर एक लाख प्रसव में 159 माताएं और हर एक हजार जन्म में 40 नवजात अपनी जान गंवा रहे हैं। ये आंकड़े केवल संख्या नहीं, बल्कि उन परिवारों की पीड़ा को दर्शाते हैं, जो समय पर इलाज, संसाधन और सुरक्षित प्रसव सुविधाओं के अभाव में अपनों को खो देते हैं। हाल ही में राजधानी में आयोजित एक कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने डॉक्टरों और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से इन आंकड़ों को गंभीरता से लेने को कहा। उन्होंने बताया कि आंकड़ों में सुधार हुआ है, जो सकारात्मक है, लेकिन लक्ष्य अभी दूर है। इसके लिए सभी को हरसंभव प्रयास करने होंगे।

IMR में सुधार, लेकिन राष्ट्रीय औसत से पीछे

भारत सरकार के रजिस्ट्रार जनरल कार्यालय द्वारा जारी सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (SRS) 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक, मध्यप्रदेश में शिशु मृत्यु दर (IMR) 40 है, जबकि राष्ट्रीय औसत 26 है। 2013 में भारत का IMR 40 था, जो 2022 तक 35% की कमी के साथ 26 हो गया। वहीं, मध्यप्रदेश में 2013 में IMR 53 था, जो 2022 में 40 पर आया। यह दर्शाता है कि मध्यप्रदेश की प्रगति धीमी रही है। प्रदेश में पुरुष शिशु मृत्यु दर 39 और महिला शिशु मृत्यु दर 40 है, यानी प्रति एक हजार जीवित जन्मों पर लड़कियों की मृत्यु दर लड़कों से थोड़ी अधिक है। ग्रामीण क्षेत्रों में पुरुष IMR 42 और महिला IMR 44 है, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह क्रमशः 28 और 27 है।

देश, राज्य और वैश्विक स्तर पर IMR की तुलना

MMR में भी मध्यप्रदेश पिछड़ा

SRS मातृ बुलेटिन 2020-22 के अनुसार, मध्यप्रदेश में मातृ मृत्यु दर (MMR) 159 है, जबकि राष्ट्रीय औसत 88 है। यह राष्ट्रीय औसत से लगभग दोगुना है, जो मध्यप्रदेश को सबसे खराब प्रदर्शन वाला राज्य बनाता है।

देश और राज्यों से MMR की तुलना

सरकार की जवाबदेही और प्रयास

वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ और MDSR मेंबर डॉ. प्रिया भावे चित्तावर ने बताया कि सरकार और नेशनल हेल्थ मिशन (NHM) ने मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए मेटर्नल डेथ स्टेट रिव्यू सिस्टम (MDSR) लागू किया है। इसकी नियमित बैठकें आयोजित की जाती हैं, जिसमें वरिष्ठ अधिकारी, स्त्री रोग विशेषज्ञ, CMHO और आशा कार्यकर्ता शामिल होते हैं। इन बैठकों में प्रत्येक मातृ मृत्यु के कारणों का विश्लेषण किया जाता है और सुधार के उपाय सुझाए जाते हैं। यह प्रक्रिया पूरी तरह रिकॉर्ड पर होती है, ताकि गलतियों की पुनरावृत्ति होने पर जवाबदेही तय की जा सके।

मातृ मृत्यु के प्रमुख कारण

डॉ. चित्तावर के अनुसार, गर्भवती महिलाओं की मृत्यु के दो मुख्य कारण हाई ब्लड प्रेशर और खून की कमी (एनीमिया) हैं। इनका कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होता, जिसके कारण समस्या तब पता चलती है, जब स्थिति गंभीर हो चुकी होती है। गर्भवती महिलाओं को नियमित जांच और जागरूकता की आवश्यकता है।

गर्भवती महिलाओं और परिवारों के लिए सुझाव

नवजात शिशुओं की देखभाल

शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. भूपेंद्र कुमार गुप्ता के अनुसार, नवजात शिशुओं को इन्फेक्शन से बचाना सबसे जरूरी है। साफ-सफाई, समय पर फीडिंग, उचित तापमान और बिना डॉक्टरी सलाह के घरेलू नुस्खों से बचना आवश्यक है।

जरूरी हस्तक्षेप

स्वास्थ्य विभाग की पहल

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