सेमरिया बताएगा रीवा का ताज किसका!

Rewa Lok Sabha Election 2024

Author: विभु सूरी: लोकसभा चुनाव अब अंतिम चरण में है। जिसको जहां गुणा गणित लगानी थी लगा चुका।जिसको जितनी पैंतरेबाजी करनी थी कर चुका। अब बारी है वोटर की। शब्द साँची की टीम ने अलग अलग विधानसभा क्षेत्रों में वोटरों के मन को टटोला और पाया कि लोगों की सबसे ज़्यादा निगाहें सेमरिया क्षेत्र में लगी हैं।सेमरिया इस लिए भी महायवपूर्ण है क्योंकि भाजपा प्रत्याशी जनार्दन मिश्रा यहां के मूल निवासी हैं और कांग्रेस प्रत्याशी के पति यहां से विधायक।दिलचस्प ये भी है कि हाल में हुए विधानसभा चुनावों में तमाम प्रयासों के बावजूद जनार्दन यह सीट भाजपा को नहीं दिला पाए.

Rewa Lok Sabha Chunav 2024: बात यदि पिछले लोकसभा परिणामो की करें तो सेमरिया ने जनार्दन को कभी निराश नहीं किया है। जब अभय भाजपा में थे तब भी ओर तब भी जब अभय कांग्रेस में रहकर लगातार जनार्दन ओर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल पर हल्ला बोलते थे।
सेमरिया क्षेत्र के लोगों से बात करने पर यदि एक दो अपवादों को छोड़ दें तो लगभग सभी जनार्दन मिश्रा को एक ईमानदार छवि का जुझारू नेता बताते हैं। जनार्दन के नाम पर वहां जातिवाद भी आंखे चुराता प्रतीत होता है।
जनार्दन को तब से यहां के लोग जानते पहचानते हैं जब वो 16 बरस के थे और स्वर्गीय यमुना शास्त्री के चेले थे। लोगों ने बताया कि कैसे वो अपने शुरुआती दिनों में संघर्ष किया करते थे। जनार्दन खुद पारिवारिक रूप से सम्पन्न नहीं थे शायद इसीलिए उन्होंने मजदूरों और मजलूमों की लड़ाई को ही अपना उद्देश्य बना लिया।

अब थोड़ा बात आंकड़ों की कर ली जाए।पिछले चुनाव परिणामो पर यदि नज़र डालें तो केवल 2009 के लोकसभा चुनाव में सेमरिया से कांग्रेस लगभग 6 हज़ार वोटों से आगे थी।ध्यान देने योग्य बात ये है कि उस समय अभय मिश्रा यहां से भाजपा के विधायक थे।2014 में ये आंकड़ा बढ़कर लगभग 22000 हो गया।ये मोदी लहर थी।इस चुनाव में गौर करने योग्य बात ये भी थी कि इस बार बसपा से देवराज सिंग पटेल मैदान में थे और वो भी इसी विधानसभा क्षेत्र के मूल निवासी हैं।इस बार देवराज भाजपा में रहकर कांग्रेस को धूल चटाने प्रतिबद्ध हैं।शब्द साँची से बातचीत के दौरान देवराज ने कांग्रेस नेताओं पर उनसे छल करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वो इस बार कांग्रेस को तीसरे स्थान पर पहुँचाएँगे।खैर 2019 में इसी सेमरिया विधानसभा में जनार्दन यहां से लगभग 35 हज़ार की लीड लेकर आये थे।यहां एक ओर बात ध्यान देने योग्य है और वो ये कि 2018 के
विधानसभा चुनावों में भाजपा के के पी त्रिपाठी इसी विधानसभा से लगभग 8000 मतों से ही जीते थे।इसी वर्ष रीवा विधानसभा में भाजपा के राजेन्द्र शुक्ल कांग्रेस के अभय से 18000 मतों से जीते थे लेकिन मात्र 5 माह बाद हुए लोकसभा चुनावों में जनार्दन इसी रीवा विधानसभ से लगभग 42 हज़ार मतों से आगे रहे थे।

इन सारी बातों और आंकड़ों का लब्बोलुआब ये है कि पिछले 2 चुनावों से जनार्दन हर विधानसभा से रिकॉर्ड बढ़त बनाते आये हैं और ये बढ़त ठीक 5 माह पहले हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा प्रत्याशी को मिली बढ़त से काफी ज्यादा थी।
कहना गलत नहीं होगा कि इसमे मोदी फैक्टर के साथ साथ कांग्रेस की आपसी खींचातानी भी अहम कारण रही और ये दोनों ही फैक्टर आज भी उतने ही असरदार हैं।


अब वापस चलते हैं सेमरिया की ओर।

हमारी टीम ने सेमरिया विधानसभा क्षेत्र के अलग–अलग जगहों पर जाकर लोगों से चुनावी चर्चा की ओर जानने की कोशिश की कि वहां जनार्दन और कांग्रेस प्रत्याशी को लेकर लोग क्या सोचते हैं। ऐसा नहीं है कि यहां सभी ने जनार्दन मिश्रा को अच्छा बताया।कुछ लोग ऐसे भी रहे जो भाजपा की नीतियों को ग़लत ओर कांग्रेस प्रत्याशी को बेहतर बता रहे हैं। ये बात अलग है कि वो कांग्रेस के कार्यकर्ता थे।

तो ये थे सेमरिया के लोगों के विचार।विचार तो विचार हैं जो समय और परिस्थिति के अनुसार कभी भी बदल जाते हैं।चुनावों में खासकर।ठीक वैसे ही जैसे हाल ही में कांग्रेस के 2 पूर्व जिला अध्यक्षों और पूर्व सांसद सहित सैकड़ों कांग्रेसियों के बदल गए।लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता। कभी कभी विचार किसी अच्छी पुस्तक को पढ़कर या किसी अच्छे व्यक्ति की संगति से भी बदल सकते हैं।खैर विचारों से कोई ये अंदाज़ा नहीं लगा सकता कि सेमरिया कौन जीत रहा है क्योंकि वोट हमेशा ओट में होता है।लेकिन ये बात अटल है कि जो सेमरिया जीतेगा रीवा लोकसभा का ताज उसी के सर होगा।

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