आपको नहीं लगता बेसहारा , शब्द हमें लाचारी और मायूसी से भर देता है ,अगर हमने खुद को बेसहारा मान लिया तो कुछ और करने या सोचने की हिम्मत नहीं जुटा पाते, जिनसे हमारे हालात सुधरें तो क्यों न इसे अपनी हिम्मत बनाया जाए , ये मान लिया, जान लिया कि हम बेसहारा हैं पर क्यों न किसी को सहारा देने की कोशिश की जाये हाँ शायद ये सुनने में आपको थोड़ा अजीब लग रहा होगा और ज़ाहिर है अजीब लग रहा है इसलिए मुश्किल भी लग रहा होगा और आपके ज़हेन में सबसे पहला सवाल यही आया होगा कि कोई खुद बेसहारा है तो किसी को सहारा कैसे दे सकता है लेकिन ऐसा नहीं है कि हमारे पास कुछ ऐसा न हो कि हम किसी का सहारा बन सकें ,बस एक नए हौसले ,नज़रिये और यक़ीन की ज़रूरत होती है।
ऐसा क्या है मुझमें ,जिसकी किसी को ज़रूरत हो
जब हम मायूसी के अंधेरों में घिर जाते हैं तो हमें अपने दुख दर्द और मजबूरियों के अलावा कुछ नहीं दिखाई देता लेकिन अगर हम अपना ज़रा सा नज़रिया बदलें, अपने ग़म भूलकर दुनिया के ग़म देखने की कोशिश करें तो हमें समझ में आएगा कि सारी दुख तकलीफें हमारे हिस्से में ही नहीं आयी हैं दुनिया में बहोत से लोग परेशान है और शायद हमसे भी ज़्यादा दुखी हैं इसके बावजूद ,हम सबके पास कुछ ऐसा है कि हम भी किसी को सहारा दे सकते हैं, पर ये क्या है , जिससे हम किसी को ढांढस बंधा सकते हैं ,ये जानने के लिए हमें खुद को और दुनिया के उस इंसान ,जिसका हम सहारा बनना चाहते उसको जानना ज़रूरी है उसके ग़म को समझना ज़रूरी है।
बेसहारा क्या किसी को सहारा देगा
हमें क्यों लगता है कि हम किसी के क्या काम आएँगे जबकि इस विधाता ने हर किसी में कुछ न कुछ मुख्तलिफ़ रखा है ,हर किसी के हालात अलग हैं ,मजबूरियां अलग है ,दुख परेशानिया अलग है, इसके बावजूद आखिर हम हैं तो इंसान ,बस ये याद रखना सबसे ज़्यादा ज़रूरी है तभी शायद हम अपना और किसी और का भी सहारा तलाश पाएंगे। इंसान होने के नाते कहीं न कहीं एक जैसे जज़्बात हमें एक दूसरे का ग़म बाँटने में मदद करते हैं और ज़रूरी नहीं कि जो ग़म हमे सता रहा हो वही दूसरे को भी सत्ता रहा हो, हो सकता है कि उसके दर्द की दवा हमारे पास हो और हमारे मर्ज़ का इलाज उसके पास इसलिए हमें बहोत ज़रूरत हो एक दूसरे की । जानते हैं अगर हमने किसी का दिल इतना टटोलना सीख लिया तो शायद न हमारे पास कोई बेबसी होगी न किसी और के पास ,कोई खुद को बेसहारा नहीं कहेगा। सोचियेगा ज़रूर इस बारे में फिर मिलेंगे आत्म मंथन की अगली कड़ी में ,धन्यवाद।