SEBI New Rules: सेबी का नया कंसल्टेशन डॉक्यूमेंट बाजार के लिए बेहद अहम साबित हो सकता है. आपने भी अक्सर सुना होगा कि, SEBI की गाइडलाइंस को बाद में इम्प्लिमेंट किया जाता है. इस बार SEBI ने इंडेक्स कम्पोज़िशन पर कुछ बड़े बदलाव के सुझाव दिए हैं. पहले प्रस्ताव में यह है कि, इंडेक्स में कम से कम 14 शेयर होने चाहिए. अभी निफ्टी में तो पहले से ही 50 स्टॉक्स हैं, लेकिन बैंक निफ्टी में केवल 12 शेयर हैं. इस नियम के बाद इसमें भी कम से कम 14 स्टॉक्स होंगे.
दूसरा प्रस्ताव क्या?
अब बात कर लेते हैं दूसरे प्रस्ताव की तो इसमें एक स्टॉक का वेटेज 20% से ज्यादा नहीं होना चाहिए. वर्तमान लिमिट 30 प्रतिशत है. उदाहरण से समझने की कोशिश करते हैं मान लीजिए, Bank Nifty में HDFC Bank का 29% और ICICI Bank का 26% वेटेज है. यानी दोनों मिलाकर करीब 55% हिस्सा है. अगर नया नियम लागू हुआ, तो किसी भी स्टॉक का वेटेज 20 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होगा और टॉप 3 स्टॉक्स का मिला-जुला वेटेज भी 45% से ज्यादा नहीं होगा.
घटेगा इनका वेटेज
गौरतलब है की उपर्युक्त बात का इसका सीधा मतलब है कि HDFC Bank और ICICI Bank का वेट घटकर करीब 18 फीसदी पर आ जाएगा. बाकी स्टॉक्स जैसे SBI (9%), Kotak, Axis Bank आदि का वेट अपने-आप बैलेंस हो जाएगा.
सेबी की क्या है मंशा
इस पूरे मामले पर SEBI का मकसद साफ है, जी हां कुछ चुनिंदा स्टॉक्स के वेटेज को कम करना ताकि इंडेक्स बहुत ज्यादा मैनिपुलेटिव न लगे. आपने देखा होगा कि कई बार सिर्फ दो स्टॉक्स मूव हो जाते हैं और पूरा इंडेक्स हिल जाता है. उसके बाद ऑप्शंस (Out of the Money Call/Put) में बड़ा पैसा बनता है.
इंडेक्स वोलाटिलिटी पर पड़ेगा सीधा असर
आपको बता दें यदि यह प्रस्ताव लागू हुआ, तो इंडेक्स की वोलैटिलिटी जरूर कम होगी. वोलैटिलिटी तो मार्केट का हिस्सा है, लेकिन जो “मैनेजमेंट वाली वोलैटिलिटी” दिखती है, वह काफी हद तक कंट्रोल हो जाएगी.
अगली मीटिंग कब??
गौरतलब है कि, आगामी 8 सितंबर को इस पर अगली बड़ी चर्चा होगी. हमारे हिसाब से यह कदम मार्केट की पारदर्शिता और स्थिरता के लिए बेहद सराहनीय है. इस तरह SEBI का कंसल्टेशन पेपर सीधे तौर पर बैंक निफ्टी और एक्सपायरी डे की वोलैटिलिटी को टारगेट करता दिख रहा है.