SEBI CHIEF: कुर्सी से हटते ही मुश्किल में पड़ी PURI BUCH, दर्ज की गई एफआईआर!

हिंडनबर्ग रिसर्च ने बुच (MADHVI PURI BUCH) और उनके पति धवल बुच पर ऑफशोर संस्थाओं में निवेश करने का आरोप लगाया था

NEW DELHI: बाजार नियामक सेबी की पूर्व प्रमुख (SEBI CHIEF) माधबी पुरी बुच (MADHVI PURI BUCH) की मुश्किलें बढ़ गई हैं। मुंबई की एक विशेष अदालत ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को शेयर बाजार में कथित धोखाधड़ी और नियामक उल्लंघन के मामले में बुच और पांच अन्य अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने का निर्देश दिया है। एसीबी अदालत के न्यायाधीश शशिकांत एकनाथराव बांगर ने शनिवार को पारित आदेश में कहा कि प्रथम दृष्टया नियामक चूक और मिलीभगत के सबूत हैं, जिसकी निष्पक्ष जांच जरूरी है।

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30 दिनों के भीतर मांगी रिपोर्ट

अदालत ने कहा कि वह जांच की निगरानी करेगी और स्थिति की रिपोर्ट 30 दिनों के भीतर मांगी गई है। बुच (MADHVI PURI BUCH) ने हाल ही में अपना तीन साल का कार्यकाल पूरा किया है। उनकी जगह तुहिन कांत पांडे को सेबी का नया प्रमुख नियुक्त किया गया है। कोर्ट ने आदेश में यह भी कहा है कि आरोपों से संज्ञेय अपराध का पता चलता है, जिसकी जांच की आवश्यकता है। जिसमें कहा कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की निष्क्रियता के कारण सीआरपीसी (दंड प्रक्रिया संहिता) के प्रावधानों के तहत न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता है।

MADHVI PURI BUCH को लेकर हुई थी शिकायत

एक मीडिया रिपोर्टर ने इस बारे में शिकायत की थी। उसने कथित अपराधों की जांच की मांग की थी। जिसमें बड़े पैमाने पर वित्तीय धोखाधड़ी, नियामक उल्लंघन और भ्रष्टाचार शामिल हैं। शिकायतकर्ता ने दावा किया कि सेबी के अधिकारी अपने वैधानिक कर्तव्य में विफल रहे। बाजार में हेरफेर को बढ़ावा दिया और निर्धारित मानदंडों को पूरा न करने वाली कंपनी को सूचीबद्ध करने की अनुमति देकर कॉर्पोरेट धोखाधड़ी का मार्ग प्रशस्त किया। शिकायतकर्ता ने कहा कि पुलिस स्टेशन और संबंधित नियामक निकायों से कई बार संपर्क करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। भारत की पहली महिला सेबी प्रमुख बुच पर अमेरिकी शोध और निवेश कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने हितों के टकराव का भी आरोप लगाया था।

बुच दंपत्ति ने आरोपों का खंडन किया

हिंडनबर्ग रिसर्च ने बुच (MADHVI PURI BUCH) और उनके पति धवल बुच पर ऑफशोर संस्थाओं में निवेश करने का आरोप लगाया था। जो कथित तौर पर एक फंड स्ट्रक्चर का हिस्सा थे। इसमें अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी ने भी निवेश किया था। बुच दंपत्ति ने इन आरोपों का खंडन किया है। लेकिन इन आरोपों के चलते बुच कांग्रेस और भाजपा के बीच राजनीतिक लड़ाई में फंस गई हैं।

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