SC’s strictness on OTT content: 28 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने ओटीटी और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील और आपत्तिजनक कंटेंट को लेकर चिंता जताई है। कोर्ट ने केंद्र सरकार समेत कई बड़े ओटीटी और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
ये मामला एक जनहित याचिका (PIL) से जुड़ा है, जिसे पत्रकार और पूर्व सूचना आयुक्त उदय माहूरकर समेत संजीव नेवर, सुदेशना भट्टाचार्य मुखर्जी, शताब्दी पांडे और स्वाति गोयल ने दायर किया था। इस याचिका में ओटीटी और ऑनलाइन मीडिया पर फैलते अश्लील और अनुचित कंटेंट को रोकने की मांग की गई है।
जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस ए.जी. मसीह की बेंच ने मामले को सुनते हुए इसे एक गंभीर मुद्दा बताया और इसे पहले से दर्ज इसी विषय से जुड़ी अन्य याचिकाओं के साथ जोड़ दिया गया है।
कोर्ट ने इस मामले में जिन ओटीटी और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को नोटिस भेजा है, उनमें नेटफ्लिक्स, ऐमेज़ॉन प्राइम, ऑल्ट बालाजी, उल्लू डिजिटल और मूबी शामिल हैं। इसके साथ ही सोशल मीडिया कंपनियां जैसे गूगल, मेटा (फेसबुक और इंस्टाग्राम), एक्स कॉर्प (पहले ट्विटर) और एप्पल को भी नोटिस भेजा गया है।
कोर्ट का कहना है कि यह याचिका ओटीटी और सोशल मीडिया पर बिना किसी निगरानी के फैल रहे अश्लील और आपत्तिजनक कंटेंट को लेकर असली चिंता जताती है। जस्टिस गवई ने कहा कि नेटफ्लिक्स जैसे बड़े ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को इस सुनवाई में शामिल होना चाहिए, क्योंकि समाज के प्रति उनकी भी जिम्मेदारी है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील विष्णु उज्जैन ने कहा कि यह कोई टकराव या राजनीतिक मसला नहीं है, बल्कि एक वास्तविक और सामाजिक चिंता है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया और ओटीटी पर बिना किसी निगरानी के ऐसा कंटेंट चल रहा है जो समाज को प्रभावित कर रहा है।
इस पर कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सरकार का पक्ष जानना चाहा और कहा कि “कुछ कीजिए, कुछ नियम बनाइए”। तुषार मेहता ने खुद स्वीकार किया कि याचिकाकर्ताओं द्वारा सूचीबद्ध कुछ कार्यक्रम उन्होंने भी देखे हैं और वे भी इससे चिंतित हैं।
उन्होंने बताया कि कई शो इतने आपत्तिजनक हैं कि दो लोग साथ बैठकर नहीं देख सकते। उन्होंने ये भी माना कि कुछ कंटेंट को सीमित या नियंत्रित करना ज़रूरी है। हालांकि, उन्होंने सेंसरशिप पर अपनी कोई स्पष्ट राय नहीं दी।
सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि वह इस मामले पर गंभीरता से विचार कर रही है और नियमों में बदलाव की संभावना है।
सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले में सीधे दखल दे रही है और सरकार व डिजिटल कंपनियों से जवाब मांग रही है। इससे आने वाले समय में ओटीटी और सोशल मीडिया कंटेंट पर सख्ती बढ़ सकती है और शायद कुछ नए कानून या गाइडलाइंस भी सामने आ सकते हैं।