SCO समिट 2025: पीएम मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात पर World Media ने क्या कहा?

SCO Summit 2025: What did the world media say on the meeting between PM Modi and Xi Jinping: 31 अगस्त 2025 को चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ((Narendra Modi Xi Jinping Meeting) की द्विपक्षीय मुलाकात ने वैश्विक सुर्खियां बटोरीं। सात साल बाद मोदी की पहली चीन यात्रा और 2020 के गलवान टकराव के बाद यह दूसरी औपचारिक बैठक थी, जिसे भारत-चीन संबंधों में सुधार का एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इस मुलाकात का महत्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (Donald Trump Reaction On Modi Jinping Meeting) द्वारा भारत पर 50% और चीन पर 30% टैरिफ लगाए जाने के वैश्विक व्यापार तनाव के बीच और बढ़ गया। न्यूयॉर्क टाइम्स, सीएनएन, द गार्जियन, और भारतीय मीडिया ने इस मुलाकात को भारत-चीन डिटें, SCO की भू-राजनीतिक भूमिका, और ट्रम्प की नीतियों के प्रभाव के दृष्टिकोण से विश्लेषित किया।

न्यूयॉर्क टाइम्स: भारत की कूटनीतिक चुनौतियां और रणनीतिक रिबैलेन्स

न्यूयॉर्क टाइम्स ने इस मुलाकात को भारत की कूटनीतिक सीमाओं और रणनीतिक पुनर्संतुलन की कोशिश के रूप में देखा। अखबार ने लिखा कि ट्रम्प के 50% टैरिफ, जिसमें 25% रूसी तेल आयात के लिए दंडात्मक हैं, ने भारत को अमेरिका पर निर्भरता कम करने और चीन के साथ संबंध सुधारने के लिए मजबूर किया। शी जिनपिंग ने SCO समिट का उपयोग वैश्विक मंच पर चीन की स्थिति को मजबूत करने और अमेरिका के प्रभाव को कम करने के लिए किया। NYT ने भारत की स्थिति को गलवान टकराव और अमेरिका के साथ बिगड़ते संबंधों के कारण “शर्मिंदगी” की स्थिति बताया, लेकिन यह भी कहा कि मोदी की उपस्थिति ने SCO को वैश्विक दक्षिण के लिए एक मजबूत मंच बनाया।

सीएनएन: ट्रम्प के टैरिफ ने भारत-चीन को करीब लाया

सीएनएन ने मुलाकात को भारत-चीन संबंधों में “पिघलाव” का प्रतीक बताया, जो ट्रम्प की टैरिफ नीतियों के कारण तेज हुआ। अखबार ने जिनपिंग के बयान को हाइलाइट किया, जिसमें उन्होंने भारत और चीन को “मित्र और साझेदार” कहा। सीएनएन ने इसे SCO के व्यापक संदर्भ में देखा, जहां चीन और रूस वैश्विक शक्ति संतुलन को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहे हैं। स्टीमसन सेंटर के निदेशक युन सन ने कहा कि ट्रम्प के टैरिफ ने भारत को यह दिखाने के लिए मजबूर किया कि वह वाशिंगटन पर पूरी तरह निर्भर नहीं है। सीएनएन ने गलवान के बाद संबंधों में सुधार को एक नाजुक लेकिन सकारात्मक कदम माना।

द गार्जियन: भारत का व्यापार विविधीकरण और रणनीतिक स्वायत्तता

द गार्जियन ने मुलाकात को भारत के व्यापार विविधीकरण और रणनीतिक स्वायत्तता की कोशिश का हिस्सा बताया। ट्रम्प के टैरिफ ने भारत-अमेरिका सहयोग को झटका दिया, जिसके कारण भारत ने चीन और रूस की ओर रुख किया। अखबार ने भारत के रूसी तेल आयात को ऊर्जा लागत को स्थिर रखने और वैश्विक कीमतों को नियंत्रित करने की भारत की रणनीति का हिस्सा बताया। द गार्जियन ने कहा कि मोदी की चार-दिवसीय यात्रा, जिसमें जापान और चीन शामिल थे, भारत की कूटनीतिक संतुलन की नीति को दर्शाती है, जहां वह क्वाड और SCO जैसे मंचों के बीच संतुलन बनाए रखता है।

वाशिंगटन पोस्ट: जिनपिंग की वैश्विक विश्वसनीयता का प्रदर्शन

वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा कि शी जिनपिंग ने SCO समिट का उपयोग ट्रम्प की अप्रत्याशित नीतियों के जवाब में खुद को विश्वसनीय नेता के रूप में पेश करने के लिए किया। भारत की उपस्थिति ने समिट को और वजनदार बनाया, खासकर जब भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव बढ़ रहा है। अखबार ने कहा कि ट्रम्प के टैरिफ ने भारत को बीजिंग और मॉस्को के करीब लाया, जिसने अमेरिका की भारत को चीन के खिलाफ काउंटरवेट बनाने की रणनीति को कमजोर किया। वाशिंगटन पोस्ट ने इस मुलाकात को बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था की ओर चीन की रणनीति का हिस्सा बताया।

द स्टेट्समैन: नई विश्व व्यवस्था का प्रतीक

द स्टेट्समैन ने अमेरिकी मीडिया के हवाले से कहा कि जिनपिंग ने SCO समिट का उपयोग अमेरिका और यूरोप के बिना एक नई विश्व व्यवस्था को प्रदर्शित करने के लिए किया। मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की उपस्थिति ने समिट को वैश्विक दक्षिण की एकजुटता का प्रतीक बनाया। अखबार ने मुलाकात को भारत की रणनीतिक पुनर्स्थापना और ट्रम्प के टैरिफ के जवाब में चीन के साथ सहयोग बढ़ाने की कोशिश बताया।

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