बुलडोजर एक्शन पर SC सख्त! मगर एक लूप होल है

पिछले कुछ सालों से, खासकर बीजेपी शासित राज्यों में सरकार ने जमकर बुलडोजर का इस्तेमाल किया। इतना इस्तेमाल किया कि कुछ नेता बुलडोजर बाबा बने तो कुछ बुलडोजर मामा। धीरे – धीरे ये ट्रेंड बढ़ता ही गया, आम जन बुलडोजर की कार्रवाई को एन्जॉय करने लगे, जब भी कोई व्यक्ति किसी प्रकार के अपराध में संलिप्त पाया जाता तो कोर्ट में ट्रायल शुरू होने से पहले यहां सीएम की कुर्सी में बैठे न्यायाधीश पहले ही आदेश पारित कर देते, नो इफ नो बट आरोपी का घर सफाचट, वैसे कानून कहता है कि आरोपी तबतक अपराधी नहीं जबतक आरोप सिद्ध नहीं होते मगर यहां आरोप लगते ही सज़ा सुनाई जाती रही.

विपक्ष ने पहले तो ऐसी कार्रवाइयों का विरोध किया, फिर खुद सरकार को यह कहकर उकसाने का काम शुरू कर दिया कि फलाने के घर पर तो बुलडोजर चला था अब ढेकाने के घर भी चलाओ, अब सरकार पक्षपाती तो नहीं हो सकती इसी लिए फलाने – ढेकाने सभी के घर ढहा दिए जाते रहे.

कोई पूछता की जिसने अपराध किया है उसके नाम तो घर है नहीं फिर काहे तोड़ रहे हो तो प्रशासन कहता , ये अतिक्रमण था इसी लिए तोड़े, मतलब सरकार को भी सरकारी जमीनों से अतिक्रमण हटाने के लिए इस बात का इंतजार करना पड़ता था कि सामने वाला कोई अपराध करे फिर इसका घर तोड़ेंगे और जो अतिक्रमणकारी कोई गुनाह नहीं करता तो वो खुद को सेफ मान ले.

सरकारों को बुलडोजर की तुड़ाई इतनी आनंदित करने लगी कि मजे – मजे में लोगों के पीएम आवास भी अतिक्रमण बता कर तोड़ दिए गए. पुलिस वाले और डीएम साहेब लोग इंतजार करने लगे कि यार कोई बढ़िया अपराध करे तो उसका घर तोडा जाए टाइमपास हो जाएगा, जब घर की महिलाऐं आधी रात को अपने आशियाने के मलबे में पड़े – पड़े रोएंगीं , बच्चे अपना टूटा हुआ घर देखकर बिलखते रहेंगे, वो पिता जिसने खून पसीना एक करके जो घर बनाया था उसे ध्वस्त होता देख जब वो चिल्लाएगा जो गिराने का आदेश देने वाले को चैन की नींद आयेगी।

जिसने अपराध किया वो तो जेल में बंद है, उसके पैर बेड़ियों में बंधे हैं लेकिन सिर के ऊपर छत तो होती है. खैर सरकारों की इस बुलडोजर चलाओ योजना को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अब जाकर फैसला सुनाया है, विपक्ष ख़ुशी से उछल पड़ा है कि बाबा, मामा, ताई, चाचू किसी के घर पर बुलडोजर नहीं चला पाएंगे, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ये माना जा रहा है कि अब ऐसी अमानवीय कार्रवाइयां नहीं होगी मगर ऐसा है नहीं, हां बुलडोजर चलाओ योजना का दायरा कम हो सकता है लेकिन कोर्ट का फैसला आने के बाद ये पूरी तरह थम जाए क्योंकी आदेश जारी करते वक़्त सुप्रीम कोर्ट ने खुद एक लूप होल छोड़ दिया है.

वो लूप होल क्या है, जानने के लिए इस वीडियो को पूरा देखें

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