SC on Teacher Salry : देश में शिक्षकों की स्थिति पर चर्चा अब महत्वपूर्ण विषय बन गया है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा शिक्षक के साथ हो रहे शोषण के खिलाफ फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने ‘गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवो महेश्वरा’ गाने का महत्व समझाते हुए गुरजरात सरकार को कड़ी फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जब शिक्षकों को गरिमामय वेतन भी नहीं मिल रहा है तो फिर ‘गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवो महेश्वरा’ वाली प्रार्थना गाने का क्या फायदा।
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार की आलोचना की
गुजरात सरकार की आलोचना करते हुए सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ ने कहा कि अनुबंधित सहायक प्राध्यापक को मात्र 30 हजार रुपये का वेतन दिया जा रहा है, जबकि अतिथि हॉक और नियमित संबद्ध प्राध्यापक का पारिश्रमिक 1.2 से 1.4 लाख रुपये के बीच है।
शिक्षकों का शोषण अस्वीकार्य : SC
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “जो शिक्षक हमारी भावी पीढ़ी का विकास करते हैं और उन्हें आगामी चुनौतियों के लिए तैयार करते हैं, उनके साथ इस तरह का आचरण अस्वीकार्य है।” इस खंडपीठ ने आगे कहा, “किसी भी राष्ट्र के लिए शिक्षक रीढ़ की हड्डी समान होते हैं जो हमारे युवाओं को समृद्धि और उत्कृष्ट जीवन के लिए प्रेरित करते हैं। शिक्षक ही अपने शोध, विचारधाराओं और मूल्यों के माध्यम से समाज में प्रगति का मार्ग दिखाते हैं।”
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह अत्यंत चिंताजनक है कि समाज में शिक्षक के अमूल्य योगदान को पहचान नहीं मिल रही है। कोर्ट ने कहा, “अगर शिक्षकों को गरिमामय वेतन भी नहीं मिलेगा तो राष्ट्र में ज्ञान और बौद्धिक सफलता का स्थान नहीं बन पाएगा।”
‘समान कार्य, समान पारिश्रमिक’ के सिद्धांत का पालन हो : SC
उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट ने अपने निर्णय में सरकार को आदेश दिया था कि इस मामले में ‘समान कार्य, समान पारिश्रमिक’ के सिद्धांत का पालन किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “यह अत्यंत चिंता का विषय है कि सहायकों को पिछले दो दशकों से इतनी कम वेतन पर रखा जा रहा है। जानकारी मिली है कि 2720 रिक्तियां थीं जिनमें से अब तक 923 पद स्थायी रूप से भरे गए हैं। शिक्षण कर्मियों की कमी से शिक्षण कार्य भी प्रभावित हो रहा है। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 158 अतिथि हॉक और 902 अनुबंधित शिक्षक नियुक्त किए गए थे। वहीं 737 पद अभी भी रिक्त हैं। कोर्ट ने कहा कि बड़ी संख्या में पद खाली होने के बावजूद केवल अतिथि हॉक और अनुबंध आधारित शिक्षकों की नियुक्ति की जा रही है।”
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