Sawan Somwar Mein Parthiv Shivling Abhishek Mahatmya-Kyon, Kaise aur Kab Se Aarambh Hua – श्रावण मास हिन्दू धर्म का एक अत्यंत पावन और देवपूजनीय महीना होता है। यह संपूर्ण माह भगवान शिव की आराधना के लिए विशेष माना जाता है। विशेषतः श्रावण सोमवार के दिन भोलेनाथ को प्रसन्न करने हेतु व्रत, रुद्राभिषेक, कथा और विशेष पूजन विधियों का आयोजन किया जाता है। इन्हीं विधियों में से एक है- “पार्थिव शिवलिंग का अभिषेक” जिसका धार्मिक, आध्यात्मिक और पौराणिक महत्व बहुत गहरा है। यह परंपरा केवल पूजा का एक भाग नहीं, बल्कि साधक की भक्ति और समर्पण की सजीव अभिव्यक्ति है कुछ ऐसी ही जानकारी इस पूरे आर्टिकल में आपको मिलेगी जो बहुत महत्वपूर्ण है।

पार्थिव शिवलिंग का क्या है अर्थ और महात्म्य-Meaning and Spiritual Significance of Parthiv Shivling -‘पार्थिव’ का अर्थ होता है ‘मिट्टी से बना हुआ’। ‘पार्थिव शिवलिंग’ का तात्पर्य है, मिट्टी, विशेष रूप से पवित्र नदियों की मिट्टी से निर्मित शिवलिंग। जिसका हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है-स्कंद पुराण, लिंग पुराण और शिव महापुराण में पार्थिव लिंग पूजन को विशेष फलदायी बताया गया है। मान्यता है कि पार्थिव लिंग का पूजन स्वयं शिव को साक्षात प्रसन्न करता है। यह अभिषेक संकल्प, क्षमा, पवित्रता और मोक्षदायी फल प्रदान करता है। यह कर्मों के बंधन से मुक्ति दिलाता है और व्रती को शिवलोक में स्थान देता है।
श्रावण सोमवार में क्यों किया जाता है पार्थिव लिंग अभिषेक-Why in Sawan Mondays Parthiv Ling Abhishek is Performed-श्रावण मास स्वयं शिवजी को समर्पित है क्योंकि इस मास में समुद्र मंथन के दौरान निकला हलाहल विष शिव ने ग्रहण किया था। श्रावण सोमवार को व्रत के साथ पार्थिव लिंग अभिषेक करने से भक्त को सौ गुना फल प्राप्त होता है। इस दिन शिवजी जल्दी प्रसन्न होते हैं और जीवन में स्वास्थ्य, धन, संतान, वैवाहिक सुख आदि आशीर्वाद स्वरूप देते हैं। विशेष रूप से कुंवारी कन्याएं, संतान की कामना करने वाले दंपति और मुक्ति की इच्छा रखने वाले साधक इस पूजा को करते हैं।
पार्थिव शिवलिंग अभिषेक विधि-Step-by-Step Parthiv Shivling Abhishek Vidhi
सामग्री – पवित्र मिट्टी (गंगा, यमुना या तीर्थस्थल की)-शुद्ध जल व गंगाजल,दूध,दही,शहद,घी,शक्कर,बेलपत्र,धतूरा,भस्म, आक का फूल,सफेद फूल,चंदन,अक्षत,भस्म,रोली,धूप,दीप,भोग,फल,मिष्ठाई आदि। जबकि अभिषेक करने के लिए विशेष रूप से सावन में प्रतिदिन या सोमवार,पूर्णिमा,एकादशी को अभिषेक का विशेष महत्व माना गया है जिसमें प्रातःकाल स्नान कर शुद्ध होकर शिव मंत्रों के साथ मिट्टी से एक छोटा शिवलिंग बनाएं। लकड़ी या कांसे की थाली में इसे रखें,नीचे कुशा या चावल बिछाएं। शिव पंचाक्षरी मंत्र-ॐ नमः शिवाय, का जाप करते हुए जलाभिषेक करें। फिर पंचामृत से स्नान कराएं और पुनः शुद्ध जल से शुद्ध करें।चंदन,बेलपत्र,फूल,धूप-दीप अर्पित करें। शिव अष्टोत्तर नामावली,रुद्राष्टाध्यायी,महामृत्युंजय जाप करें।अंत में आरती कर नैवेद्य अर्पित करें और शिव से अपनी मनोकामना निवेदन करें।अभिषेक समाप्ति के बाद शिवलिंग को जल में प्रवाहित करना अनिवार्य माना गया है।
कब से और कैसे शुरू हुआ अभिषेक-Historical & Pauranik Background of Parthiv Ling Puja
वैसे तो रामायण और महाभारत के काल से पार्थिव शिवलिंग पूजन का उल्लेख मिलता है। रामजी ने रावण वध से पूर्व रामेश्वरम में पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजन किया था। वहीं पांडवों ने वनवास में पार्थिव लिंग पूजन कर अनेक बाधाओं को दूर किया। शिवपुराण में कहा गया है कि “जो भक्त मन, वचन और कर्म से पार्थिव शिवलिंग पूजन करता है, वह समस्त पापों से मुक्त होकर शिवलोक को प्राप्त करता है।”यह परंपरा वैदिक काल से लेकर वर्तमान तक अनवरत चली आ रही है।
पार्थिव शिवलिंग पूजन से होने वाले लाभ-Spiritual & Practical Benefits of Parthiv Shivling Worship
लाभ विवरण
मानसिक शांति अनुकूल ऊर्जा और चित्त स्थिरता प्राप्त होती है।
रोग मुक्ति शारीरिक व मानसिक रोगों से छुटकारा मिलता है।
बाधा निवारण गृह दोष, पितृ दोष, शनि दोष से मुक्ति मिलती है।
पारिवारिक सुख विवाह, संतान, कलह निवारण में सहायक होता है।
अध्यात्म उन्नति शिव की कृपा से मोक्ष मार्ग प्रशस्त होता है।

श्रावण सोमवार में पार्थिव शिवलिंग का अभिषेक केवल एक धार्मिक कर्मकांड नहीं, बल्कि एक गहन आत्मिक साधना है। यह साधना आत्मशुद्धि, संकल्पबद्धता और ईश्वरप्राप्ति की ओर एक दिव्य कदम है। श्रद्धा और विधिपूर्वक की गई पार्थिव लिंग पूजा निश्चित रूप से जीवन के हर क्षेत्र में संतुलन, सफलता और शांति लाती है – पंडित नरोत्तम शास्त्री रीवा मध्य-प्रदेश