सत्यपाल मलिक से जुड़े विवाद! राजनीति के आखिरी पड़ाव में BJP से रिश्ते खराब कर लिए

Satyapal Malik Death News Hindi: जम्मू-कश्मीर, बिहार, गोवा और मेघालय के पूर्व राज्यपाल और भारतीय राजनीति के वरिष्ठ नेता सत्यपाल मलिक (Satyapal Malik Death) का मंगलवार को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में निधन हो गया। 79 वर्षीय मलिक (Satyapal Malik Age) लंबे समय से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे। उनके निजी सचिव केएस राणा ने उनके निधन की पुष्टि की। मलिक के निधन से पश्चिमी उत्तर प्रदेश की एक मजबूत राजनीतिक आवाज खामोश हो गई। उनके 50 साल के सियासी सफर में कई उपलब्धियां, बदलते दल और तीखे विवाद शामिल रहे।

सत्यपाल मलिक का राजनीतिक सफर

Satyapal Malik’s political journey: सत्यपाल मलिक का जन्म (Satyapal Malik Date Of Birth) 24 जुलाई 1946 को उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के हिसवाड़ा गांव में एक जाट किसान परिवार में हुआ। दो साल की उम्र में उनके पिता बुध सिंह का निधन हो गया, जिसके बाद उनकी मां जगबीरी देवी ने उनका पालन-पोषण किया। मलिक ने मेरठ कॉलेज से बीएससी और एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। राम मनोहर लोहिया के समाजवादी विचारों से प्रेरित होकर, उन्होंने 1968 में मेरठ कॉलेज के छात्रसंघ अध्यक्ष के रूप में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की।

सत्यपाल मलिक राजनीति में कैसे आए

How Satyapal Malik came into politics: 1974 में चौधरी चरण सिंह की भारतीय क्रांति दल के टिकट पर मलिक बागपत से विधायक बने। 1980 और 1986 में वे लोकदल और कांग्रेस के टिकट पर उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद रहे। 1987 में बोफोर्स घोटाले के बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और 1988 में अपनी जन मोर्चा पार्टी बनाई, जिसका बाद में जनता दल में विलय हो गया। 1989 में वे जनता दल के टिकट पर अलीगढ़ से लोकसभा सांसद चुने गए। 1996 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर अलीगढ़ से चुनाव लड़े, लेकिन हार गए। 2004 में वे बीजेपी में शामिल हुए और 2012 में पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने।

उनके कार्यकाल में जम्मू कश्मीर से 370 हटा

मलिक ने 2017 से 2022 तक बिहार, जम्मू-कश्मीर, गोवा और मेघालय के राज्यपाल के रूप में कार्य किया। जम्मू-कश्मीर में उनके कार्यकाल के दौरान 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया। मलिक ने खुद को चौधरी चरण सिंह का शिष्य और किसानों का हिमायती बताया, जिसके कारण वे हमेशा किसान हितों के लिए मुखर रहे।

सत्यपाल मालिक से जुड़े विवाद

Satyapal Malik Controversies In Hindi: सत्यपाल मलिक का राजनीतिक जीवन विवादों से भरा रहा। उनके पांच प्रमुख विवाद इस प्रकार हैं:

पुलवामा हमले पर बयान (2023): मलिक ने द वायर को दिए एक साक्षात्कार में दावा किया कि 2019 के पुलवामा हमले में 40 CRPF जवानों की शहादत के लिए केंद्र सरकार की खुफिया विफलताएं जिम्मेदार थीं। उन्होंने PM नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर सीधे आरोप लगाए, जिससे BJP के साथ उनके रिश्ते पूरी तरह बिगड़ गए। इस बयान को विपक्ष ने खूब प्रचारित किया, लेकिन BJP ने इसे बेबुनियाद बताया।

किरू हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार का आरोप (2024): CBI ने मलिक के खिलाफ जम्मू-कश्मीर के किरू हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट में 2200 करोड़ रुपये के ठेके में कथित भ्रष्टाचार के लिए चार्जशीट दाखिल की। मलिक ने इसे “राजनीतिक साजिश” करार दिया और कहा कि वे ईमानदार हैं और एक कमरे के मकान में रहते हैं।

300 करोड़ की रिश्वत का दावा: जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहते हुए मलिक ने दावा किया कि दो फाइलों को मंजूरी देने के लिए उन्हें 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश हुई थी, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया। इस बयान ने बड़े पैमाने पर विवाद खड़ा किया, लेकिन मलिक ने इसका खुलासा तुरंत नहीं किया, जिस पर सवाल उठे।

किसान आंदोलन का समर्थन (2020-21): मलिक ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का खुलकर समर्थन किया और सरकार से इन्हें वापस लेने की अपील की। उन्होंने कई राज्यों में किसानों के समर्थन में सभाएं कीं, जिससे BJP के साथ उनकी दूरी बढ़ी।

मोदी और शाह पर व्यक्तिगत टिप्पणियां: मलिक ने PM मोदी और गृह मंत्री शाह के लिए “उसे” जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया, जिसे संवैधानिक पद की मर्यादा के खिलाफ माना गया। उनके बयानों को विपक्षी दलों ने समर्थन दिया, लेकिन BJP ने इसे अनुचित बताया।

सत्यपाल मलिक का जीवन समाजवादी आंदोलन से लेकर BJP तक, और विधायक से लेकर राज्यपाल तक का एक लंबा सफर रहा। उनके विवादों ने उन्हें सुर्खियों में रखा, लेकिन उनकी ईमानदारी और किसानों के प्रति समर्पण ने उन्हें पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक लोकप्रिय नेता बनाया। उनके निधन से भारतीय राजनीति में एक युग का अंत हो गया।

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