Sarvapitri Amavasya Bhog: पितृपक्ष को केवल कर्मकांड तक ही सीमित नहीं रखा जाता बल्कि इसे भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी माना जाता है। पितृपक्ष के दौरान सभी हिंदू परिवारजन अपने पितरों को तृप्त करने के लिए और उनका आशीर्वाद पाने के लिए विभिन्न प्रकार के यत्न जतन करते हैं। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण विधान है भोग अर्पित करने का। जी हां, भोग अर्थात प्रेम और श्रद्धा से बनाया गया सात्विक भोजन जो पितरों को समर्पित किया जाता है।

पितरों को लगाएं इन वस्तुओं का भोग
शास्त्रों में उल्लेखित है कि पितरों को सर्वपितृ अमावस्या के दिन कुछ विशेष व्यंजनों का भोग लगाना चाहिए जिनमें खीर, पूरी, सत्तू, तिल मिश्रित व्यंजन, मौसमी फल और सात्विक भोजन की महत्वता को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है और इसी को ध्यान में रखते हुए आज हम अपने इस लेख में आपको कुछ विशेष व्यंजनों की जानकारी देने वाले हैं जिन्हें आप अपने पूर्वजों को अर्पित कर सकते हैं और बदले में पूर्वज देंगे आपको सुख समृद्धि और आरोग्य का आशीर्वाद।
सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों के लिए विशेष भोग
खीर पायसम: पितरों को खीर सबसे प्रिय होती है। इसमें दूध, चावल और शुद्ध घी डालकर आप इसे पितरों को अर्पित कर सकते हैं। इसमें आप शक्कर या गुड़ भी डाल सकते हैं।
पूरी कचोरी: गेहूं के आटे से बनी पूरी और दाल से भरी कचौड़ी पितरों को अर्पित करने की शास्त्र विधित परंपरा मानी जाती है। कहा जाता है कि ऐसा करने से ग्रह दोष भी दूर हो जाते हैं और पितृ भी प्रसन्न होते हैं।
चना दाल और लौकी की सब्जी: चना दाल और लौकी की सब्जी को सबसे सात्विक भोजन माना जाता है, बिना प्याज और लहसुन की यह सब्जी पितरों को सबसे ज्यादा पसंद है।
सत्तू: जौ ,चना, गेहूं के सत्तू का भोग सर्वप्रथम अमावस्या के दिन सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इससे पितृ तृप्त होते हैं और वंशजों को आशीर्वाद देते हैं।
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काले तिल से मिश्रित भोजन: पितरों को काले तिल के बने लड्डू या काले तिल की बनी चिक्की अर्पित करें इससे पितृ तृप्त होते हैं।
गुड़ और घी: पितरों को गुड और घी भी अत्यधिक प्रिय हैं आप चाहे तो गुड और घी से बने व्यंजन अर्पित कर सकते हैं।
मौसमी फल और सब्जियां: पक्ष मास के दौरान केला, अनार ,अमरुद जैसे मौसमी फल मिलते हैं। पितरों को यह सब निश्चित रूप से अर्पित करें।
पिंड भोग: इसके अलावा पितरों को पका हुआ चावल और तिल और घी से बने पिंड निश्चित रूप से अर्पित करें जिसे जल में प्रवाहित किया जाता है यह पितरों को शक्ति प्रदान करता है और मोक्ष देता है।