Sarvapitri Amavasya 2025 Upay: सनातन धर्म में पितृपक्ष वह कालखंड होता है जो पितरों को समर्पित होता है। आमतौर पर सनातन धर्म में 15 दिनों का पितृपक्ष मनाया जाता है। इस दौरान कई धार्मिक और आध्यात्मिक कर्मकांड किए जाते हैं जिनमें गाय को भोजन कराना विशेष रूप से शुभ और फलदायी माना जाता है। कहा जाता है कि पितृपक्ष में गाय को खिलाने से सभी देवी देवता प्रसन्न होते हैं जिससे पितरों को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है।

जी हां, गाय को सनातन धर्म में कामधेनु कहा जाता है। ऐसे में गाय की सेवा करने से न केवल देवता प्रसन्न होते हैं बल्कि पितरों को भी तृप्ति मिलती है। और यदि आप किसी वजह से पितृपक्ष की संपूर्ण तिथियों में गाय को भोजन कराने से चूक गए हैं तो अब सर्वपितृ अमावस्या के दिन यह पुण्य कार्य कर सकते हैं और पितरों की तृप्ति के लिए प्रार्थना कर सकते हैं। सर्वपितृ अमावस्या के दिन गाय को अन्न, जल अर्पित कर आप पितरों का आशीर्वाद हासिल कर सकते हैं और पितृ ऋण से मुक्त हो सकते हैं.
अमावस्या के दिन गाय को खिलाने से प्राप्त होने वाले फल
- सर्वप्रथम अमावस्या के दिन यदि आप गाय को अन्न जल गौग्रास अर्पित करते हैं तो ऐसे में पितरों की आत्मा शांत होती है और पितृ अपने वंशज को आशीर्वाद देते हैं।
- गाय में लक्ष्मी का वास होता है, अमावस्या के दिन गाय को भोजन करने से आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
- जिन दंपतियों को लंबे समय से संतान सुख नहीं मिल रहा था वह भी इस दिन यदि गाय को भोजन कराते हैं तो उन्हें संतान की प्राप्ति होती है।
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अमावस्या के दिन गाय को क्या खिलाना चाहिए?
- अमावस्या के दिन गाय को गुड़ और घी लगी रोटी खिलाना विशेष शुभ माना जाता है।
- इस दिन गाय को हरा चारा, केला, पालक इत्यादि खिलाना भी पुण्य दायक कहा जाता है।
- पितरों की आत्मा को संतुष्ट करने के लिए सर्वपितृ अमावस्या के दिन आप गाय को गुड़ और चना भी अर्पित कर सकते हैं।
- इसके अलावा इस दिन गाय के लिए साफ जल की व्यवस्था करना भी पुण्य माना जाता है।
- आप चाहे तो किसी गौशाला में भी गाय के भोजन,चारे, चिकित्सा और जल की व्यवस्था कर पुण्य प्राप्ति कर सकते हैं।
कुल मिलाकर यदि आप भी सर्वपितृ अमावस्या पर पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं और पितृ ऋण से मुक्त होना चाहते हैं तो गाय निश्चित रूप से भोजन और जल अर्पित करें। ऐसा करने से न केवल आप माता लक्ष्मी और विष्णु की कृपा प्राप्त करते हैं बल्कि पितरों की मोक्ष की कामना करते हुए उन्हें मोक्ष प्राप्ति में मदद करते हैं।