Sarvapitri Amavasya 2025: भारतीय परंपरा में पितरों का स्मरण और श्राद्ध करना अत्यंत आवश्यक माना जाता है। पूर्वजों को ध्यान में रखकर ही श्राद्ध पक्ष मनाया जाता है। श्राद्ध पक्ष अर्थात पितृ पक्ष 15 दोनों का वह समूह होता है जब हम पितरों को याद करते हुए विशेष दान पुण्य पूजा और तर्पण करते हैं। जब 15 दोनों का यह पर्व समाप्त होता है उसे दिन सर्वपितृ अमावस्या मनाई जाती है। सर्वपितृ अमावस्या को महालय अमावस्या भी कहा जाता है। कहा जाता है कि यह दिन पितृदोष निवारण के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन किए गए कुछ सरल ज्योतिष उपाय से पितृ प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष दूर हो जाते हैं।

जी हां, सर्वपितृ अमावस्या के दिन यदि कुछ विशेष उपाय किये जाए तो असंतुष्ट पितरों को संतुष्टि प्राप्त होती है। यह दिन उन सभी के लिए महत्वपूर्ण होता है जिनके परिवार में पितृ दोष लगा है। आमतौर पर पितृ दोष के कई लक्षण दिखाई देते हैं। जैसे की परिवार में लगातार कलह-झगड़ा, संतान सुख की कमी, विवाह में देरी ,आर्थिक संकट, मानसिक तनाव, रोग, स्वप्न में पितरों का आना इत्यादि। ऐसे में यदि परिवार में पूर्वजों द्वारा कोई अधर्म या पाप किया गया है या पितरों का अपमान हुआ है तो उनके निदान हेतु यह दिन सर्वश्रेष्ठ माना जाता है और आज इस लेख में हम आपको ऐसे ही कुछ विशेष और सरल ज्योतिष उपाय बताने वाले हैं।
अमावस्या के दिन पितरों की शांति हेतु किए जाने वाले विशेष ज्योतिषिय उपाय
तर्पण और जल अर्पण: सर्वप्रथम अमावस्या के दिन सुबह स्नान कर तांबे के लोटे में जल, काला तिल और कुश डालकर दक्षिण के ओर मुख कर पितरों को यह जल चढ़ाने से पितृ तृप्त होते हैं।
पीपल वृक्ष की पूजा: सर्वप्रथम अमावस्या के दिन प्रात काल पीपल वृक्ष की पूजा करने से, उस पर जल चढ़ाने, दीपक लगाने और सात परिक्रमा करने से पितरों को मुक्ति मिलती है।
और पढ़ें: गलती से भी घर की मुख्य द्वार पर ना रखें यह पौधे रुक जाएगी सकारात्मक ऊर्जा
भगवत गीता का पाठ: सर्वप्रथम अमावस्या के दिन यदि कोई व्यक्ति सुबह स्नान इत्यादि से निवृत होकर श्रद्धा के साथ भागवत गीता का पाठ करता है तो उन व्यक्तियों के परिवार से भी पितृ दोष दूर हो जाते हैं कहा जाता है कि ऐसे पितरों को श्री चरणों में स्थान मिलता है।
तिल का दान: अमावस्या के दिन तिल दान करने से भी पितरों को मुक्ति मिलती है कहा जाता है कि इस दिन तिल और जल दान करने से पितरों को शांति मिलती है और वह अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं।