Saphala Ekadashi 2025 : व्रत कथा-पूजा विधि,शुभ मुहूर्त व महत्व-हिंदू पंचांग में अत्यंत पवित्र और फलदायक एकादशी मानी जाती है। शास्त्रों में वर्णित है कि इस दिन श्रद्धा और भक्ति के साथ व्रत करने से पाप नष्ट होते हैं, मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और जीवन में सफलता के नए मार्ग खुलते हैं। “Saphala” शब्द का अर्थ ही है-सफलता या फलदायक। इसलिए यह एकादशी वर्ष की सबसे शुभ तिथियों में से एक मानी जाती है। भगवान विष्णु को समर्पित यह व्रत सौ यज्ञों के बराबर फल देने वाला माना गया है। ब्रह्मवैवर्त पुराण, स्कंद पुराण और पद्म पुराण में भी इसकी महिमा का विस्तृत वर्णन मिलता है। आध्यात्मिक दृष्टि से यह एकादशी मनुष्य के जीवन में उन्नति, पवित्रता और सौभाग्य का प्रवेश कराती है। Saphala Ekadashi 2025 कब है ? जानें इसकी तिथि, पूजा विधि, व्रत नियम, पौराणिक कथा और महत्व। यह एकादशी सफलता, समृद्धि और पापों के नाश का मार्ग प्रशस्त करती है।
Saphala Ekadashi 2025 : तिथि एवं मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार
- एकादशी तिथि प्रारंभ -14 दिसंबर 2025, रात 08:46 बजे
- एकादशी तिथि समाप्त -15 दिसंबर 2025, रात 10:09 बजे व्रत की तिथि पंचांग अनुसार, 15 दिसंबर 2025 (सोमवार) को Saphala Ekadashi व्रत रखा जाएगा।
Saphala Ekadashi क्या है
“Saphala” का अर्थ है उन्नति, सफलता और शुभ फल, जबकि “Ekadashi” चंद्र मास की ग्यारहवीं तिथि को कहते हैं। यह एकादशी विशेष रूप से उन लोगों के लिए कल्याणकारी मानी जाती है जो-रुके हुए कार्यों की सिद्धि,धन-समृद्धि,मानसिक शांति और परिवारिक सुख-शांति की कामना करते हैं। इस एकादशी का व्रत करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और विष्णु-लक्ष्मी कृपा प्राप्त होती है।
Saphala Ekadashi 2025 का महत्व
- वर्ष की पहली एकादशी – नए आरंभ का प्रतीक-साल 2025 की यह पहली एकादशी है, इसलिए नए संकल्प, नई ऊर्जा और सकारात्मक शुरुआत के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है।
- पापों का क्षय-शास्त्रों में उल्लेख है कि पूर्ण श्रद्धा से इस एकादशी का व्रत करने पर वर्षभर के पाप नष्ट हो जाते हैं।
- सफलता और उन्नति की प्राप्ति-यह एकादशी उन व्यक्तियों के लिए विशेष रूप से लाभदायक है जिनके कार्य लंबे समय से अटके हों या जीवन में संघर्ष चल रहा हो।
- पारिवारिक शांति और सौहार्द-विष्णु और लक्ष्मी की कृपा से घर-परिवार में शांति, प्रेम और समृद्धि का वातावरण बनता है।
- मोक्ष की प्राप्ति-पुराणों के अनुसार Ekadashi व्रत मोक्ष मार्ग को प्रशस्त करता है और व्यक्ति को पुण्य फल देता है।
Saphala Ekadashi व्रत विधि (Vrat Vidhi)
- प्रातः स्नान और संकल्प-ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें,स्वच्छ, पीले या हल्के रंग के वस्त्र पहनें,भगवान विष्णु का ध्यान कर व्रत का संकल्प लें।
पूजा सामग्री-तुलसी दल,पंचामृत,पीले पुष्प,गंगाजल,धूप-दीप,फल, चावल, हल्दी, अक्षत और विष्णु भगवान की मूर्ति या चित्र।
पूजा विधि-भगवान विष्णु पर गंगाजल और पंचामृत चढ़ाएं,रोली, हल्दी, चावल और पीले पुष्प चढ़ाएं,विष्णु सहस्रनाम, नारायण कवच या गीता के श्लोक का पाठ करें और तुलसी अर्पण अवश्य करें।
व्रत नियम-फलाहार या निर्जला व्रत (स्वास्थ्य अनुसार) रखें,तामसिक भोजन से दूरी रखें,क्रोध, निंदा, वाद-विवाद से बचें व पूरे दिन भगवान विष्णु का नाम जप करें।
रात्रि जागरण-विष्णु भजन-कीर्तन करना, दीपक जलाना और रात्रि जागरण अत्यंत पुण्यदायक माना गया है। - द्वादशी पारण-अगले दिन द्वादशी तिथि में पारण करें। ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भोजन व दान देना शुभ होता है।
- Saphala Ekadashi की पौराणिक कथा-पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार चंपावती नगरी में महिष्मत नामक राजा था जिसका पुत्र लम्पा अत्यंत दुराचारी और दुष्ट प्रवृत्ति वाला था। एक दिन परिस्थितिवश वह भूखा-प्यासा रह गया और अनजाने में खंडित उपवास हो गया,अगले दिन द्वादशी को उसने भूख से व्याकुल होकर ब्राह्मणों व गरीबों को भोजन कराया। यह कार्य उसके उपवास का पूर्ण फल बन गया और उसके सभी पाप नष्ट हो गए। भगवान विष्णु प्रसन्न होकर उसे नई बुद्धि, नई दिशा और सफलता का वरदान दिया, बाद में वही लम्पा एक महान, न्यायप्रिय और सफल राजा बना। इसलिए इसे Saphala (सफलता देने वाली) Ekadashi कहा जाता है।
Saphala Ekadashi पर क्या करें और क्या न करें ?
- भगवान विष्णु का ध्यान व नामजप करें
- तुलसी की परिक्रमा करें
- पीले वस्त्र पहनें
- गरीबों और जरूरतमंदों को दान दें
घर में शांति और सद्भाव बनाए रखें
- क्रोध, निंदा और कटु वाणी
- नशा
- तामसिक भोजन
- अनावश्यक विवाद
- किसी का अपमान नहीं करना चाहिए
Saphala Ekadashi 2025 के प्रमुख लाभ
- करियर और व्यापार में उन्नति
- रुके हुए कामों की सिद्धि
- धन–समृद्धि का आगमन
- पापों का क्षय
- मानसिक शांति
- पारिवारिक सौहार्द
- विष्णु-लक्ष्मी कृपा
- मोक्ष मार्ग की प्राप्ति
निष्कर्ष-Saphala Ekadashi 2025 आध्यात्मिक, पौराणिक और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ तिथि है। यह व्रत न केवल मन को पवित्र करता है बल्कि व्यक्ति के जीवन में उन्नति, सफलता और सौभाग्य का द्वार खोलता है। भगवान विष्णु का यह व्रत उन सभी के लिए विशेष लाभकारी है जो कठिनाइयों से उबरकर नई शुरुआत करना चाहते हैं। श्रद्धा, भक्ति और नियमपूर्वक किया गया यह व्रत अवश्य ही जीवन में शुभ फल प्रदान करता है।
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