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योगी का ऑपरेशन संभल: सब कुछ खोद डालेगा प्रशासन!

Sambhal Survey Report: जब से संभल की जामा मस्जिद के हरिहर मंदिर होने का दावा किया गया और जब सर्वे के बाद बवाल मचा तभी से यूपी का प्राचीन शहर संभल सुर्ख़ियों में है. सुप्रीम कोर्ट ने प्लेसेस ऑफ़ वरशिप एक्ट वाली याचिका की सुनवाई के दौरान जब संभल जामा मस्जिद सहित ऐसे और मामलों की सुनवाई पर अस्थाई रोक लगाई तो यूपी सरकार ने अलग ही रास्ता खोज निकाला। भले ही सुप्रीम कोर्ट के कहने पर फ़िलहाल संभल की जामा मस्जिद की सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जा रही है और मामले की सुनवाई नहीं हो रही है लेकिन योगी सरकार और संभल प्रशासन ने सच्चाई उजागर करने के लिए पूरा ऑपरेशन ही चला दिया है।

संभल प्रशासन, इस शहर के इतिहास को बताने वाली 350 साल पुरानी किताब और पुराने नक़्शे के आधार पर संभल का सर्वे कर रहा है. उन मंदिरों की खोज की जा रही है जिनका जिक्र किताबों में मिलता है और दिलचस्प बात ये है कि अबतक की हुई कार्रवाई में जो जो मिला है वो उस किताब में लिखी बातों को सिद्ध करता है। आइये हम आपको उस किताब के बारे में बताते हैं जिसके कहे पर योगी सरकार ऑपरेशन संभल चला रही है।

संभल का इतिहास बताने वाली किताब

ये बात साल 1667 की है, तब ओंकार शरण कमल ने संभल तीर्थ में परिक्रमा पर एक किताब लिखी थी और इसका प्रकाशन मुरादाबाद की प्रतिभा प्रेस ने किया था। इस किताब में लिखा है कि संभल भागीरथी, गंगा और रामगंगा के बीच बसा हुआ है. इसका क्षेत्रफ़ल 3 योजन यानी 12 कोस का है. संभल एक त्रिकोणाकार स्थल है इसके दक्षिण में शम्भलेश्वर महादेव, पूर्व में चंद्रेश्वर महादेव और पश्चिम में भुवनेश्वर महादेव विराजमान हैं. इस किताब में आगे भगवान विष्णु के दसवे अवतार भगवान कल्कि का भी उल्लेख है, किताब में लिखा है कि सूर्य कुंड के उत्तर में श्री कल्कि अवतार होगा, यहां प्राचीन हरी मंदिर है और मंदिर के चारो तरफ दो दो कोस की दूरी पर सम्भल के सभी तीर्थ हैं यहां कुल 68 तीर्थ और 19 कुँए हैं.

संभल में कितने मंदिर हैं

देखा जाए तो मौजूदा वक़्त में सम्भलेश्वर, चंद्रेश्वर और भुवनेश्वर महादेव मंदिर अस्तित्व में हैं. इसके अलावा संभल के आसपास अर्क तीर्थ, हंस तीर्थ, कृष्णा तीर्थ, पुस्कररगी तीर्थ, कुरुक्षेत्र, विष्गोपादोदक, श्वेत द्वीप और ताक्ष्य केशव तीर्थ भी अस्तित्व में हैं. जबकि किताब में शंख माधव तीर्थ, लोलार्क तीर्थ, दशासमेघ तीर्थ, पिशाच मोहन तीर्थ, चतुर्मुख कूप, नैमिषारण्य तीर्थ, विजय तीर्थ, उर्द्धरैना तीर्थ, एकांती तीर्थ, श्रवंती तीर्थ, चंद्र तीर्थ, पाप क्षय तीर्थ, चतु:सागर तीर्थ, पंचाग्नि कूप, अशोक कूप, यमतीर्थ, महिष्मती तीर्थ, पाप मोचन तीर्थ, कालोदक तीर्थ, सोम तीर्थ, गौ तीर्थ, श्रंगारक तीर्थ, चक्र सुदर्शन तीर्थ का भी उल्लेख है.

अब सुप्रीम कोर्ट के कहने पर संभल जामा मस्जिद का सर्वे आगे तो नहीं बढ़ सकता था इसी लिए यूपी सरकार ने जामा मस्जिद छोड़कर पूरे के पूरे संभल के ही सर्वे शुरू कर दिया।

संभल में अबतक क्या मिला

अब प्रशासन उन सभी 68 तीर्थों और 19 कुओं की तलाश कर रहा है , और इसकी शुरुआत तब हुई जब 14 दिसंबर को बिजली विभाग खग्गू सराए मोहल्ले में बिजली चोरी करने वालों पर एक्शन लेने के लिए पहुंचा था. तब पुलिस को 46 साल से बंद पड़ा, अतिक्रमणग्रस्त प्राचीन मंदिर मिला था. मंदिर की सफाई के बाद जब सामने खुदाई हुई तो 150 फ़ीट गहरा प्राचीन कुआं भी मिल गया. इसके बाद संभल के मुस्लिम बहुल क्षेत्र में बंद मंदिरों के मिलने का सिलसला ही शुरू हो गया. प्रशासन ने ASI की टीम बुलवा ली, और 18 दिसंबर से उस 350 साल पुरानी किताब के आधार पर सर्वे शूर कर दिया गया. ये टीम अब प्राचीन कुओं और तीर्थों की खोज कर रही है, अब आलम ये है कि लोग खुद आकर बताने लग गए हैं कहां किस तीर्थ और कुँए को दबा दिए गया. इस सर्वे से अबतक संभल में पुरातन सभ्यता से बनी बावड़ी मिली है, जो तीन मंजिला उन्ही हुआ करती थी और 32 बीघा जमीन पर बनी है इसे भी अतिक्रमणकारियों ने दबा दिया था जिसकी खुदाई चालु है. इसके अलावा कई मंदिर , प्राचीन मूर्तियां और पुराने कुँए खोजे जा चुके है और किताब में लिखे अन्य तीर्थों की खोज जारी है. ऐसा करके सरकार और प्रशासन चाहता है कि ये सभी तीर्थ और कुएं वापस से अपने अस्तित्व में आएं, इन कुओं के जरिये फिर वाटर हार्वेस्टिंग भी हो सकती है और भूजल रिसर्च भी. ऐसा माना जा रहा है कि योगी सरकार इसी प्रयास में है कि संभल को फिर से वैसा बना दिया जाए जैसे वो पहले हुआ करता था. यानी त्रिकोणीय तीर्थ और इसके लिए अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई भी जारी है. वैसे यूपी सरकार का ऑप्शन संभल विपक्ष का पंसद नहीं आ रहा है,

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