सनातन धर्म के अग्निपुराण के 16वें अध्याय में भगवान विष्णु के 10वें अवतार यानी कल्कि अवतार का उल्लेख मिलता है. जिसमे कहा गया है कि उत्तर प्रदेश के सम्भल गाँव में एक ब्राह्मण परिवार में भगवान कल्कि का जन्म होगा. लेकिन उनके जन्म स्थल को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है, ऐसा दावा किया गया है कि जहां कल्कि अवतार का जन्म होना है वहां संभल जामा मस्जिद है जो कभी हरिहर मंदिर हुआ करता था जिसे मुग़लिया सुल्तान बाबर ने तोड़कर मस्जिद का निर्माण करा दिया. इस मस्जिद को संभल की बाबरी मस्जिद भी कहा जाता है.
बीते मंगलवार को संबल मस्जिद का मामला कोर्ट में पहुंच गया. कैलादेवी मंदिर के महंत ऋषि राज गिरी महाराज ने दोपहर डेढ़ बजे सिविल कोर्ट में याचिका लगाई और सिविल जज आदित्य सिंह की अदालत ने ढाई घंटे में आदेश भी जारी कर दिया, उन्होंने पहली सुनवाई में ही मस्जिद का सर्वे कराने का आदेश दे डाला और 7 दिन के अंदर वीडियो और फोटोग्राफी कराकर रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा.
मस्जिद के सर्वे के लिए अदालत ने तुरंत एडवोकेट कमिश्नर भी नियुक्त कर दिया और आदेश जारी होने के 2 घंटे के अंदर ही शाम 6 बजे सर्वे टीम जामा मस्जिद पहुंच गई , दो घंटे में सर्वे भी हो गया और हिन्दू पक्षकार ने ये दावा भी कर दिया कि यहां मस्जिद होने से पहले श्री हरिहर मंदिर हुआ करता था. याचिकाकर्ता महंत राज गिरी ने दावा किया कि मस्जिद के अंदर इसके मंदिर होने के कई प्रमाण हैं, यहीं भगवान विष्णु के दशावतार कल्कि का अवतार होना है. हालांकि राज गिरी को मस्जिद में एंट्री नहीं मिली थी . सर्वे टीम के साथ वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन के बेटे और सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर जैन गए थे. सर्वे के बाद मस्जिद से बाहर आकर अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने भी यह दावा किया कि यहाँ पहले मंदिर हुआ करता था.
इसी दौरान मुस्लिम पक्ष की तरफ से कहा गया कि, सर्वे टीम के साथ हम भी थे, हमने उनका सहयोग किया और सर्वे में ऐसे कोई साक्ष्य नहीं मिले जिससे ये साबित हो कि संबल मस्जिद, हरिहर मंदिर हुआ करता था. हालांकि जामा मस्जिद के सर्वे में साक्ष्य मिले या नहीं इसका पता तो तभी चलेगा जब कोर्ट में सर्वे रिपोर्ट पेश की जाएगी.
बताया गया है कि मस्जिद का जितना सर्वे होना था वो हो गया है, लेकिन ज़रूरत पड़ने पर दोबारा भी टीम सर्वे के लिए जा सकती है. सर्वे के दौरान डीएम, कमिश्नर , एसपी और SDM भी मौजूद थे.
हिन्दू पक्ष का ऐसा दावा है कि सम्भल मस्जिद जिस जगह पर बनी हुई है पहले यहां हरिहर मंदिर हुआ करता था. सन 1529 में बाबर ने इस मंदिर को तोड़कर यहां मस्जिद का निर्माण करा दिया था. बता दें कि यह मस्जिद भारतीय पुरातत्व संरक्षित क्षेत्र है, और इसी लिए यहां किसी प्रकार का अतिक्रमण नहीं हो सकता. इस मस्जिद में कई ऐसे निशान हैं जो यह संकेत देते हैं कि यह कभी हिन्दू मंदिर हुआ करता था. हालांकि मुस्लिम पक्ष का ये भी कहना है कि प्लेसेस ऑफ़ वरशिप एक्ट के तहत 1947 से जो भी धार्मिक स्थल जिस स्थिति में हैं वो वैसे ही रहेंगे. खैर इस मामले की अगली सुनवाई अब 29 नवंबर को होनी है मगर मस्जिद का सर्वे होने से यहां माहौल तनावपूर्ण हो गया है. सर्वे रिपोर्ट के बाद अदालत क्या फैसला सुनाती है शब्द साँची इसका अपडेट आपको जरूर देगा.