Sambhal Jama Masjid History : संभल में हरिहर मंदिर या जामा मस्जिद? टूटे प्लास्टर में छिपा कल्कि अवतार का सच…

Sambhal Jama Masjid History : देश में मस्जिद की टूटी दीवारों में मंदिर के छिपे होने का दावा पहले भी कई बार किया गया है। पहले अयोध्या की बाबरी मस्जिद और फिर मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद, जिसमें अयोध्या में हिन्दू पक्ष के दावे की जीत हुई और कोर्ट ने मंदिर बनाने का आदेश भी जारी कर दिया था। मथुरा में अभी विवाद चल ही रहा है कि अब संभल में हिन्दू पक्ष ने जामा मस्जिद के हरिहर मंदिर होने का दावा कर दिया। अदालत ने जामा मस्जिद की याचिका पर सुनवाई के दौरान सर्वे का आदेश दिया था। जहां टीम को दीवारों के टूटे प्लास्टर के पीछे मंदिर होने के संकेत मिलें हैं। लेकिन मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यहां पर यह मस्जिद सदियों से खड़ी है। 

जामा मस्जिद विवाद ने बढ़ाया तनाव (Sambhal Jama Masjid History)

उत्तर प्रदेश के संभल जिले में जामा मस्जिद के हरिहर मंदिर होने का विवाद ने राजनीति में भी हलचल मचा दी है। जिससे राज्य में तनावपूर्ण स्थिति बनती दिख रही है। आज रविवार को जामा मस्जिद में सर्वे करने गई टीम पर लोगों ने पथराव कर दिया। इस बीच स्थानीय लोगों का पुलिस के साथ झड़प हो गई। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को फायरिंग भी करनी पड़ी। अब यह विवाद और भी बढ़ गया है। 

बाबर काल में बनी थी जामा मस्जिद 

कई दशकों से संभल के केंद्र में बने ऊँचे टीले पर मोहल्ला कोट पूर्वी के भीतर एक शाही मस्जिद खड़ी है। इसे संभल की जामा मस्जिद (Sambhal Jama Masjid History) के नाम से जाना जाता है। यह मुग़ल बादशाह बाबर के शासनकाल में बनी तीन प्रमुख मस्जिदों में एक है। पहली अयोध्या की बाबरी मस्जिद जो कोर्ट के आदेश पर ध्वस्त कर दी गई है। दूसरी पानीपत की मस्जिद है। तीसरी मस्जिद संभल की जामा मस्जिद है। इन तीनों ही मस्जिदों का निर्माण 1526 और 1530 के बीच का बताया जाता है। हालांकि भारतीय पुरातत्व सर्वे (ASI) ने 1920 में इस मस्जिद को संरक्षित घोषित किया था। इस कारण इसे राष्ट्रीय महत्व की इमारतों में गिना जाता है। 

मस्जिद के पास बड़ी हिन्दू आबादी 

हैरत की बात है कि जहां पर जामा मस्जिद बनी है, वहां मुख्य द्वार के सामने हिन्दू आबादी और पिछली दीवारों के चारों ओर मुस्लिम आबादी रहती है। अब वहां के हिन्दू पक्ष कहना है कि ये जामा मस्जिद वास्तव में हरिहर मंदिर है। जिसे बाबर ने तोड़कर मस्जिद बनाया था। लेकिन वहां के मुस्लिमों का कहना है कि यह झूठ है। वहां पर जामा मस्जिद लंबे समय से है और उसे बाबर ने नहीं बनवाया था। यहीं से मंदिर-मस्जिद का विवाद जन्मा और मामला कोर्ट में चला गया।

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Sambhal Jama Masjid History: मस्जिद के मंदिर होने दावे के पीछे की वजह 

हिन्दुओं ने संभल की शाही मस्जिद को हरिहर मंदिर महंत ऋषिराज गिरि के दावे के आधार पर किया है। महंत ऋषिराज गिरि का कहना है, “जामा मस्जिद के अंदर मंदिर है। सिर्फ बाहर से ही उसे मस्जिद का रूप देने का प्रयास किया गया है। जबकि वहां अंदर ऐसा कुछ नहीं है। इसका प्रमाण है कि मंगलवार को जब मैं वहां सीढ़ियों पर पहुंचा तो मुझे वहां पर काफी सकारात्मक उर्जा मिली। कुछ अलग ही अनुभूति का एहसास हुआ था, जिसको मैंने कभी भी महसूस नहीं किया था। ऐसा लग रहा था कि मानो मुझे कोई अंदर बुला रहा है। उन्होंने कहा कि हमने न्यायालय में साक्ष्य उपलब्ध करा दिए हैं। जल्द ही सभी लोगों को भगवान हरिहर के दर्शन होंगे।”

उन्होंने कहा कि हिंदू शास्त्रों में इसका अलग उल्लेख है। जहां बताया गया है कि घोर कलयुग के समय में यहां भगवान विष्णु के एक अवतार कल्कि प्रकट होंगे। कलियुग का अंत करके नए युग की शुरुआत करेंगे। संभल में जहां जामा मस्जिद बनी है, जो एक मंदिर था जिसे तोड़कर बनाई गई, वहां भगवान कल्कि अवतार लेंगे। 

19 नवंबर को कोर्ट पहुंचा विवाद 

अब तक जामा मस्जिद विवाद में दो सर्वे किया जा चुका है। कोर्ट ने शाही जामा मस्जिद में सर्वे कराने के लिए टीम नियुक्त की और 29 नवंबर तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु जैन ने अपने पिता व वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन सहित आठ लोगों की ओर से 19 नवंबर को सिविल जज (सीनियर डिवीजन) में वाद दायर किया था। जिसमें उन्होंने दावा किया कि संभल की शाही जामा मस्जिद हरिहर मंदिर है। कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश राघव को सर्वे के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया है। कोर्ट ने सर्वे का वीडियोग्राफी व फोटोग्राफी का भी आदेश दिया। यह 29 नवंबर तक कोर्ट में प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।

22 नवंबर को पहला सर्वे हुआ 

कोर्ट के इस आदेश पर 19 नवंबर की शाम को टीम ने पहला सर्वे किया। टीम ने करीब दो घंटे तक सर्वे किया। इस दौरान भारी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात रहा। 22 नवंबर को सर्वे के बाद पहली जुमे की नमाज हुई। सुबह से ही बड़ी संख्या में विशेष समुदाय के लोग एकत्र होने लगे। पुलिस ने मोर्चा संभालते हुए मामले को शांत कराया। साथ ही मस्जिद के चारों ओर कैमरे लगवा दिए।

24 नवंबर को दोबारा सर्वे हुआ (Sambhal Jama Masjid History)

24 दिसंबर कि सुबह टीम दूसरा सर्वे करने के लिए एकवोकेट कमिश्नर की अगुवाई में पहुंची। सर्वे की सूचना इलाके में आग की तरह फैल गई, जैसे ही लोगों को पता लगा मस्जिद की ओर भीड़ पहुंचने लगी और सुबह करीब 9  बजे भीड़ को हटाने का प्रयास किया गया तो पहले धक्का मुक्की हुई और बाद में भीड़ ने पथराव कर दिया। पुलिस ने हवाई फायरिंग कर भीड़ को भगाने का प्रयास किया। बताया जा रहा है की दूसरी ओर से भी फायरिंग की गई है।

मस्जिद के उधड़े प्लास्टर के पीछे मिला सच 

फिलहाल यह शाही जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर का विवाद अब प्रचण्ड रूप ले रहा है। यहां मस्जिद थी या मंदिर, इसका पटा लगाने के लिए टीम दीवारों के प्लास्टर और मिट्टी से पता लगा रही है। वहीं पहले सर्वे के आधार पर टीम का कहना है कि उन्हें उधड़े प्लास्टर के पीछे मंदिर में बनने वाली आकृति जैसी दिखाई दी है जो मंदिर के दावे को सच साबित कर सकते हैं।

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