उत्तर प्रदेश के संभल में शाही जामा मस्जिद (Sambhal Jama Masjid) पूर्व में हरिहर मंदिर (Harihar Mandir Sambhal) विवाद में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज करते हुए मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण (Sambhal Masjid ASI Survey) को मंजूरी दे दी है। यह सर्वे यह तय करेगा कि क्या यह स्थल पहले हरिहर मंदिर था, जैसा कि हिंदू पक्ष दावा करता है। इस फैसले ने इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad Highcourt) के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें संभल की दीवानी अदालत के सर्वे के निर्देश को सही ठहराया गया था।
विवाद की पृष्ठभूमि
संभल की शाही जामा मस्जिद को लेकर हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि 16वीं सदी में बाबर ने हरिहर मंदिर को तोड़कर इस मस्जिद का निर्माण करवाया था। इस दावे के आधार पर हिंदू पक्ष के वकील हरि शंकर जैन ने 19 नवंबर 2024 को संभल की दीवानी अदालत में याचिका दायर की थी, जिसमें मस्जिद के सर्वे की मांग की गई थी। अदालत ने उसी दिन अधिवक्ता आयुक्त नियुक्त कर सर्वे का आदेश दिया, जिसके बाद 19 और 24 नवंबर को सर्वे हुआ। हालांकि, 24 नवंबर को सर्वे के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और कई घायल हुए।
इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला
मस्जिद प्रबंधन समिति ने दीवानी अदालत के सर्वे आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की बेंच ने 19 मई 2025 को सुनवाई के बाद दीवानी अदालत के आदेश को सही ठहराया और कहा कि हिंदू पक्ष की याचिका प्रथम दृष्टया खारिज करने योग्य नहीं है। हाईकोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और मस्जिद समिति के तर्कों को सुनने के बाद यह फैसला दिया।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि संभल की दीवानी अदालत का सर्वे आदेश और हाईकोर्ट का फैसला कानूनी रूप से सही है। सुप्रीम कोर्ट ने ASI को निर्देश दिया कि वह निष्पक्ष और वैज्ञानिक तरीके से मस्जिद परिसर का सर्वे पूरा करे। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को संभल में शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए कड़े कदम उठाने को भी कहा।
हिंदू पक्ष की प्रतिक्रिया
हिंदू पक्ष के वकील गोपाल शर्मा ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा, “यह ऐतिहासिक निर्णय है। हमने कोर्ट में लिखित सबूत पेश किए थे कि यह स्थल हरिहर मंदिर का था। अब सच सामने आएगा।” हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद के पास मौजूद प्राचीन कुआं और अन्य संरचनाएं हिंदू धार्मिक महत्व की हैं।
मुस्लिम पक्ष का रुख
मस्जिद प्रबंधन समिति के वकील शकील वारसी ने फैसले पर निराशा जताई और कहा कि वे कानूनी विकल्पों पर विचार करेंगे। समिति का कहना है कि सर्वे से धार्मिक तनाव बढ़ सकता है और यह 1991 के पूजा स्थल अधिनियम का उल्लंघन है।
हिंसा और सुरक्षा के इंतजाम
24 नवंबर 2024 की हिंसा के बाद संभल में तनाव बना हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि सर्वे के दौरान किसी भी तरह की अशांति को रोका जाए। सरकार ने ड्रोन निगरानी और अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर सुरक्षा कड़ी कर दी है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले विधानसभा में कहा था कि संभल में 68 तीर्थ स्थलों और 19 कुओं के निशान मिटाने की कोशिश की गई, जिसे सरकार रोक रही है।
ASI अब जल्द ही सर्वे शुरू करेगी, जिसमें मस्जिद की संरचना, पुरातात्विक साक्ष्य और ऐतिहासिक दस्तावेजों की जांच होगी। सर्वे की रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में कोर्ट में पेश किया जाएगा। इस मामले ने संभल में धार्मिक और सामाजिक तनाव को बढ़ा दिया है, और सभी पक्षों की निगाहें अब ASI की रिपोर्ट पर टिकी हैं।