Akhilesh Yadav defeated BJP : लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे आने के बाद NDA पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने जा रही है। चुनावी मैदान में कांग्रेस के साथ जमकर पसीना बहाने के बाद भले ही INDIA गठबंधन बहुमत से दूर है। मगर उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party Akhilesh Yadav) का दबदबा एक बार फिर से कायम हो गया। यूपी में अखिलेश यादव की आंधी ने कमल को पश्चिम क्षेत्र से बाहर फेंक दिया। सपा और कांग्रेस के गठबंधन को 44 सीटें मिली हैं। इनमें अकेले सपा ने 37 सीटें जीती हैं। जबकि एनडीए को यूपी में 35 सीटें ही मिली। ये साबित करता है कि पश्चिम यूपी में जनता ने भाजपा को नकार दिया है। आईये जानते हैं कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के आगे भाजपा का दायरा कैसे छोटा पड़ गया।
यूपी में अखिलेश की आंधी (Samajwadi Party Akhilesh Yadav)
इस लोकसभा चुनाव में सपा का प्रदर्शन सबसे बेहतर रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव की सपा को केवल 5 सीटें ही मिली थी। 2024 में सपा ने कड़ी मेहनत और संघर्ष कर 8 गुना ज्यादा सीटें अपने दम पर जीत ली हैं। अखिलेश यादव की पार्टी ने 37 सीटें हासिल की हैं। प्रदेश में पूरे चुनाव के दौरान अखिलेश यादव की रैलियों में जनसैलाब देखा गया था। उसी जनसैलाब ने अखिलेश यादव को यूपी में फिर से ऊपर उठा दिया।
अखिलेश के परिवार से 5 लोग बने सांसद
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव (Samajwadi Party Akhilesh Yadav) ने कन्नौज में बड़ी जीत हासिल की है। यहीं नहीं अखिलेश यादव के साथ-साथ उनके परिवार के पांच लोग सांसद बन गए हैं। उनकी पत्नी डिंपल यादव ने मैनपुरी सीट दोबारा जीत ली है। आजमगढ़ सीट से धर्मेंद्र यादव भी जीत गए हैं और सांसद बन गए। बदायूं सीट से आदित्य यादव और फिरोज़ाबाद सीट से अक्षय यादव भी जीत कर सांसद बन गए हैं। यानी अब संसद में अखिलेश यादव के साथ उनका परिवार भी नजर आएगा।
पश्चिम यूपी में क्यों मुरझाया कमल
लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश का परिणाम कई संदेश दे गया। उत्तर प्रदेश के पश्चिम क्षेत्र में बीजेपी कई सीटें हार गई है। हैट्रिक का दावा करने वाली स्मृति ईरानी भी अमेठी हार गई। मगर बीजेपी को सबसे बड़ा झटका अयोध्या से लगा। अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद बिजेपी इस सीट के लिए निश्चिन्त हो गई। लेकिन अयोध्या के लोगों ने भी बीजेपी को नकार दिया। इस बार यूपी में मंदिर-मस्जिद, हिन्दू-मुस्लिम, मुफ्त राशन और राम नाम की दुहाई का जादू नहीं चला। पश्चिम यूपी की जनता ने बीजेपी की वोट काटकर यह संदेश दिया है कि जनादेश अब धर्म पर चुनाव नहीं चाहता बल्कि ‘रोटी, रोजी, कपड़ा और मकान’ पर वोट देगा। पश्चिम यूपी में बीजेपी की हार की वजह लोगों के आक्रोश की अनदेखी करना है।
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यूपी में सपा ने जनाक्रोश को समझा (Samajwadi Party Akhilesh Yadav)
कांग्रेस इस चुनाव में आम लोगों के मुद्दे लेकर चल रही थी। कांग्रेस के मुख्य मुद्दे हैं – संविधान, आरक्षण, रोजगार, महंगाई, अग्निवीर, एमएसपी, ग्रामीण की समस्या, पेपर लीक, युवाओं पर पुलिस का डंडा, प्रेस की गुलामी, मध्यम वर्ग पर टैक्स टेरर, गस्त, सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव (Samajwadi Party Akhilesh Yadav) ने राहुल गाँधी की इस आवाज को यूपी में बुलंद कर दिया। प्रदेश की जनता में जो सत्ता के खिलाफ आक्रोश जन्म लें रहा था, अखिलेश यादव ने उसी को हथियार बना लिया। पूरे चुनाव में सपा डगमगाई नहीं और लोगों के मुद्दों पर ही चुनाव लड़ा। लोगों ने भी अखिलेश यादव द्वारा मैदान में बहाये गए पसीने को व्यर्थ नहीं जाने दिया। सपा को जनता से समर्थन मिला।
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अयोध्या में क्यों हारी बीजेपी
राम मंदिर के नाम से देश भर में चुनाव लड़ने वाली भाजपा सरकार अयोध्या में ही हार गई। यह भाजपा की सबसे बड़ी हार बताई जा रही है। अयोध्यावासियों ने न सिर्फ सपा को जिताया बल्कि दीवारों पर भी लिख दिया है कि “राम, रोम रोम में हैं। लेकिन आपको जो दायित्व दिया है उसकी मर्यादा न लांघे। काम करो। जनता का जीवन आसान करो।” लोगों का कहना है कि राम राष्ट्र के साथ बेहतर रोजगार भी चाहिए। बिना रोजगार के रामभक्ति कैसे करेंगे। परिणाम यह जाहिर भी करता है कि अयोध्या में न तो धर्म के नाम पर तुष्टिकरण की राजनीति काम आई और न जातिवाद की चाल कामयाब हुई।