Saira Banu Career Story In Hindi | ‘ जंगली’ फिल्म के गीत ,”जा, जा, जा मेरे बचपन कहीं जा के छुप नादां” में , जवानी की दहलीज़ पर पैर रखते हुए ,अपने बचपन को दूर भगाती हुई , सायरा बानो,रेडिफ डॉट कॉम की बेस्ट बॉलीवुड डेब्यू सूची में नौवें स्थान पर जगह बनाने वाली ऐसी अभिनेत्री हैं , जो अपनी खूबसूरती , नज़ाकत , नफासत से लबरेज़ अदाकारी और डांस के लिए 60 और 70 के दशक में ख़ूब सुर्ख़ियों में रहीं लेकिन उससे भी ज़्यादा सायरा बानो , ट्रैजिडी किंग दिलीप कुमार से शादी करने के बाद मशहूर हुईं ,क्योंकि उनके और दिलीप साहब के बीच उम्र का एक लंबा फासला था और फिर उन्होंने अपने इस बयान से सबको और भी हैरान कर दिया था कि उनका ख्वाब था, यूसुफ जी यानी दिलीप कुमार से शादी करना, वो हमेशा से अल्लाह से यही दुआ करती थीं कि दिलीप कुमार ही उनके शौहर बनें।
तो चलिए एक नज़र डालते हैं उनकी ज़िंदगी पर ।
मां के नक्श ए क़दम पर चलीं सायरा
अब बात करते हैं तीस के दशक की, ये वो दौर था जब ऊँचे-रईस खानदानों की लड़कियां फिल्मों में नहीं आती थीं लेकिन सायरा बानो की मां नसीम बानो घर वालों के ख़िलाफ़ जाकर भी फिल्मों में आईं और फ़िल्म ‘ हेमलेट’ में ओफिलिया का रोल निभाया फिर जल्द ही फ़िल्म ‘पुकार’ से पूरे फिल्म जगत पर राज करने लगीं।
एक्टिंग ही नहीं सिंगिंग के लिए भी पहचानी गईं क्योंकि इस फिल्म में उन्होंने ‘ज़िंदगी का साज़ भी क्या साज़ है, बज रहा है और बेआवाज़ है।’, गीत भी गाया था ,इस कमियाबी के बाद नसीम बानो को “ब्यूटी-क्वीन” का दर्जा मिला जो सायरा बानो ने भी फिल्मों में क़दम रखने के बाद हासिल किया था । नसीम बानो की कुछ ख़ास फिल्मों की बात करें तो ,’चल-चल रे नौजवान’, ‘ उजाला’, ‘ बेगम ‘ और ‘ चाँदनी रात’ जैसी फिल्मों में आप उनकी बेमिसाल अदाकारी की झलक देखने को मिलती है ।
कॅरियर की शुरुआत
23 अगस्त 1944 को मसूरी में अभिनेत्री नसीम बानो और निर्माता मियां एहसान-उल-हक के घर पैदा हुईं सायरा बानो ने जब फिल्मों में आने का मन बनाया तो पहले कथक और भरतनाट्यम सीखा फिर ‘जंगली ‘ फिल्म की कहानी लिखने वाले आग़ा जानी कश्मीरी से,उर्दू संवाद अदायगी की बारीकियां भी सीखीं इसके बाद ,मां का साथ पाकर ,सायरा बानो ने महज़ सत्रह साल की उम्र में अपने फ़िल्मी सफर की शुरुआत, 1961 की फिल्म “जंगली “में रुपहले पर्दे पर एक उभरते सितारे की तरह जगमगाते हुए की।
शम्मी कपूर के साथ उनकी जोड़ी और फिल्म दोनों को खूब पसंद किया गया फिल्म हिट रही, सायरा जी कि कामियाबी का आलम ये था कि इस फ़िल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फ़िल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया।
इसके बाद सायरा बानो ने कई हिट फ़िल्मों में काम किया और 60 और 70 के दशक में एक सफल अभिनेत्री के रूप में बॉलीवुड में अपनी जगह बना ली इस फेहरिस्त में साल 1968 की फ़िल्म ‘पड़ोसन’ ने एक अहम भूमिका निभाते हुए उनके कैरियर के लिए टर्निग-प्वॉइंट का काम किया, उनकी और कुछ ख़ास फिल्में रहीं , ‘शागिर्द’, ‘दीवाना’ और ‘चैताली’।
दिलीप कुमार के साथ काम और प्यार की दास्ताँ
सायरा बानो ‘गोपी’, ‘सगीना’, ‘बैराग’ जैसी हिट फ़िल्मों में अपने सपनों के राजकुमार यानी पति दिलीप कुमार साहब के साथ बतौर हीरोइन भी नज़र आईं। उनकी प्रेम कहानी भी बिल्कुल फिल्मी थी, जिसमें सायरा बानो शादीशुदा ,जुबली स्टार राजेंद्र कुमार साहब से शादी करने को कहती रहीं और दिलीप साहब उन्हें समझाने गए तो बोली – मैं राजेंद्र जी से शादी की ज़िद छोड़ दूंगी अगर आप मुझसे शादी कर लें इस पर दिलीप साहब ने अपनी और उनकी उम्र के फासले को याद दिलाया लेकिन सायरा जी ने उनकी एक न मानी और अपनी उन्हें पा लेनी की साज़िश में कामयाब हुईं।
आप दोनों ने 1966 में शादी की, जब सायरा 22 साल की थीं और दिलीप कुमार 44 साल के थे। इस शादी में पूरा बॉलीवुड झूम रहा था , दूल्हा बने दिलीप कुमार की घोड़ी की लगाम पृथ्वीराज कपूर ने थामी थी और दाएँ-बाएँ राज कपूर तथा देव आनंद नाच रहे थे ये नज़ारा आज भी उनके चाहने वाले अपनी आंखों में क़ैद करे बैठे हैं जिसमें सायरा बानो नाज़ुक सी शहज़ादी और दिलीप कुमार किसी शहज़ादे से कम नहीं लग रहे थे। सबकी दुआओं के साथ ये जोड़ी ताउम्र खूब खुशहाल रहीऔर सायरा जी ने दिलीप कुमार साहब की आखिरी सांस तक उनका साथ निभाया ।
पूरी शिद्दत से निभाए अपने किरदार:-
सुनील दत्त के साथ 1976 में आई ‘ नहले पे दहला’ उनकी आखिरी हिट फिल्म थी फिर सायरा जी
दिलीप जी के साथ 1984 की फिल्म ‘ दुनिया’ में एक छोटी सी भूमिका में नज़र आईं, जिसका गाना “तेरी मेरी ज़िंदगी” बहुत पसंद किया गया, सन् 1988 में आई फिल्म ‘फ़ैसला ‘ उनकी आख़री फिल्म थी। फिल्म निर्माण से जुड़ते हुए ,
सायरा जी ने 2006 की भोजपुरी फ़िल्म ‘ अब तो बनजा सजनवा हमार’ का निर्माण भी किया है।
सायरा बानो जी को 2004 में कलाकार पुरस्कार मिला,2006, में अंतर्राष्ट्रीय भारतीय फ़िल्म अकादमी पुरस्कार दिया गया , पुणे अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव पुरस्कार 2007 में मिला , फिर इसी साल नौवां वार्षिक बॉलीवुड पुरस्कार और लाइविंग लीजेंड अवॉर्ड दिया गया इसके अलावा, उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से भी नवाज़ा जा चुका है।
निभाया समाज के प्रति भी अपना दायित्व –
आज भी सायरा बानो बहोत एक्टिव हैं,समाज सेवा से भी जुड़ी हैं ,मुंबई के दंगों के बाद घायल लोगों के घाव पर मरहम लगाने से लेकर इनकी नई ज़िंदगी की शुरुआत करने में आने वाली अड़चनों को दूर करने की भरपूर कोशिश की उन्होंने और वेल्फेयर आर्गेनाइजेशन फॉर रिलीफ एंड केयर सर्विसेस के तहत वो हर पल ज़रूरत मन्दों की मदद के लिए तैयार रहती हैं ।
सायरा बानो वो ग्लैमरस तारिका रहीं हैं जिन्हें 2022 में, आउटलुक इंडिया की “75 सर्वश्रेष्ठ बॉलीवुड अभिनेत्रियों” की सूची में रखा गया तो वहीं टाइम्स ऑफ इंडिया की “50 खूबसूरत चेहरों” की सूची में भी वो शामिल रहीं ।