Saint Siyaram Baba passes away: संत सियाराम बाबा ने बुधवार सुबह 6.10 बजे अंतिम सांस ली। 110 वर्ष की आयु में बाबा का बुधवार मोक्षदा एकादशी निधन हो गया। जिससे देश भर में मौजूद उनके अनुयायियों में शोक की लहर है। पिछले 10 दिन से बाबा निमोनिया से पीड़ित थे। नर्मदा नदी किनारे भटयान आश्रम क्षेत्र में शाम 4 बजे अंत्येष्टि होगी। इसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी शामिल होंगे।
बताया जा रहा है कि संत सियाराम बाबा के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए 24 घंटे डॉक्टरों की एक टीम तैनात थी। उनके स्वास्थ्य में आंशिक रूप से सुधार भी हो रहा था। उनकी पल्स और बीपी दोनों सामान्य थे, लेकिन बुधवार सुबह करीब 6 बजे उनके शरीर में हलचल बंद हो गई। इसी दौरान उन्हें हिचकी आई और उनकी पल्स रुक गई। डॉक्टरों ने काफी प्रयास किया, लेकिन उन्हें बचा नहीं पाए।
बाबा का असली नाम तो कोई नहीं जानता, लेकिन उन्हे संत सियाराम बाबा के नाम से ही जाना जाता है। वे 1933 से नर्मदा किनारे रहकर तपस्या कर रहे थे। उन्होंने 10 साल तक खड़े रहकर मौन तपस्या की। अपने तप और त्याग से उन्होंने लोगों के हृदय में जगह बनाई। तपस्या के बाद उनके मुंह से पहली बार सियाराम का उच्चारण हुआ था। तभी से उन्हें लोग संत सियाराम बाबा के नाम से पुकारते हैं।
सेवादार बतादे है कि, संत सियाराम बाबा मूल रूप से गुजरात के कठियावाड़ क्षेत्र के रहने वाले थे। 17 वर्ष की उम्र में उन्होंने घर त्यागकर वैराग्य ले लिया था। 22 साल की आयु में वे तेली भट्टाण आए और मौन धारण कर लिया। नियमित रूप से बाबा रामायण का पाठ करते थे। उनके ख़राब स्वास्थ्य के दौरान भी उनके भक्त लगातार रामायण पाठ और सियाराम की धुन गाते रहे।
पिछले 7 दशकों से बाबा लगातार श्री रामचरितमानस का पाठ करते आ रहे हैं। उनके आश्रम में 24 घंटे श्रीराम धुन चल रही है। वे अपने शिष्यों से महज 10 रुपये ही भेंट लेते थे। नागलवाड़ी धाम और खारघर इंदौर की सीमा स्थित जामगेट के पास स्थित विंध्यवासिनी मां पार्वती मंदिर में सियाराम बाबा ने 25 लाख रुपए से ज्यादा की रकम मंदिर निर्माण में भेंट की थी। अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण में भी उन्होंने 2 लाख रुपए भेंट दी थी। क्षेत्र में यात्री प्रतीक्षालय का भी निर्माण करा चुके हैं।