Saint Martin Island Bay Of Bengal Bangladesh Story | एक ऐसा द्वीप जिसके कारण गिर गई बांग्लादेश की सरकार, जानें पूरा किस्सा

Saint Martin Island Bay Of Bengal Bangladesh Story

Saint Martin Island Bay Of Bengal, Bangladesh, Sheikh Haseena, America, USA News: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा है कि उनकी सरकार को गिराने के पीछे अमेरिका की साजिश है। शेख़ हसीना ने एक बयान जारी किया जिसमें उन्होंने कहा है कि सेंट मार्टिन द्वीप न देने की वजह से उन्हें सत्ता से बेदखल किया गया।

शेख हसीना ने कहा, ‘मैं सत्ता में बनी रह सकती थी अगर मैंने सेंट मार्टिन द्वीप की संप्रभुता छोड़ दी होती और अमेरिका को बंगाल की खाड़ी में अपना प्रभुत्व स्थापित करने दिया होता।’ शेख हसीना के इस बयान ने एक बार फिर सेंट मार्टिन द्वीप को चर्चा में ला दिया है। आइए जानते हैं कि यह द्वीप लंबे समय से बांग्लादेश की राजनीति में कैसे मुद्दा बना हुआ है और अमेरिका की इस पर नजर क्यों है?

ST Martin Island | Saint Martin Island Story | सेंट मार्टिन द्वीप की कहानी क्या है?

साल 1900 में ब्रिटिश सर्वेक्षकों की एक टीम ने सेंट मार्टिन द्वीप को भारत में ब्रिटिश राज का हिस्सा बताया और इसका नाम एक ईसाई पादरी सेंट मार्टिन के नाम पर रखा। यह बांग्लादेश का एकमात्र कोरल-रीफ क्षेत्र है। बांग्लादेश के पर्यावरण विभाग ने 8 वर्ग किलोमीटर के इस द्वीप को पारिस्थितिकी दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्र (ईसीए) घोषित किया था। इस द्वीप पर किसी भी निर्माण के लिए पर्यावरण विभाग की मंजूरी जरूरी है। इस तरह द्वीप में कोई भी निर्माण अवैध है। इसके बावजूद इस द्वीप पर 230 से ज्यादा होटल, रिसॉर्ट और कॉटेज हैं।

Saint Martin Island America | अमेरिका की इस पर नजर क्यों है?

बंगाल की खाड़ी में उपस्थित होने के कारण यह द्वीप भौगोलिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है। अमेरिका इस द्वीप पर बेस कैंप बनाकर चीन के कदमों को रोक कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहता है । इस क्षेत्र में अमेरिका की सैन्य मौजूदगी उसे चीन पर बढ़त दिलाएगी। वहीं, समस्या यह है कि बांग्लादेश के चीन के साथ भी अच्छे संबंध हैं। बांग्लादेश को कर्ज देने में चीन सबसे आगे है। ऐसे में शेख हसीना सरकार नहीं चाहती थी कि बंगाल की खाड़ी महाशक्तियों के बीच जंग का मैदान बने। बंगाल की खाड़ी में किसी विदेशी देश का सैन्य बेस होना भारत के लिए भी सहज स्थिति नहीं होगी।

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Saint Martin Island Bangladesh | यह द्वीप दशकों से राजनीतिक मुद्दा रहा है

बांग्लादेश के दक्षिण-पूर्वी छोर पर स्थित सेंट मार्टिन द्वीप पर विवाद पहली बार 60 के दशक में सामने आया था। तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान छात्र लीग के छात्रों और कुछ वामपंथियों ने आरोप लगाया था कि पाकिस्तान के सैन्य तानाशाह जनरल अयूब खान ने भारत से मुकाबला करने के लिए सैन्य अड्डा बनाने के लिए इस द्वीप को अमेरिका को पट्टे पर दिया था। हालांकि, 1971 में बांग्लादेश के गठन के बाद यह विवाद समाप्त हो गया। लेकिन बांग्लादेश के गठन के बाद भी यह विवाद जारी रहा।

बाद में जिया उर रहमान और मोहम्मद इरशाद के सैन्य शासन के दौरान भी यह मामला सामने आया। बांग्लादेश से प्रकाशित अब बंद हो चुके खबर डेली बांग्ला ने 18 दिसंबर 1980 को एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसका शीर्षक था – ‘सेंट मार्टिन में किसी को भी सैन्य अड्डा बनाने की इजाजत नहीं दी जाएगी।’ इसमें बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय की ओर से चेतावनी जारी की गई थी। बयान में कहा गया था कि कई राजनीतिक दलों का यह दावा पूरी तरह से निराधार है कि किसी देश (अमेरिका) को सेंट मार्टिन द्वीप पर अपना नौसैनिक अड्डा बनाने की इजाजत दी गई है।

शेख हसीना ने साल 2023 में उठाया था मुद्दा

सेंट मार्टिन पर ताजा मामला तब शुरू हुआ जब तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना ने जून 2023 में खुद बम गिराया था। उन्होंने कहा था कि बीएनपी देश को बेचकर या सेंट मार्टिन द्वीप को बेचकर सत्ता में आना चाहती है। मामला बढ़ने पर अमेरिका को सफाई देनी पड़ी थी। तब अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा था कि वाशिंगटन ने सेंट मार्टिन द्वीप पर कब्जे को लेकर कभी कोई बातचीत नहीं की थी। लेकिन इस साल अप्रैल में एक बड़ा दावा किया गया था कि एक देश ने उनसे कहा था कि अगर वह सेंट मार्टिन द्वीप को सैन्य अड्डा बनाने के लिए दे दें तो उनकी सरकार को कोई खतरा नहीं होगा। हालांकि, हसीना ने उस देश का नाम नहीं बताया था लेकिन माना जा रहा था कि वह अमेरिका ही था।

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