Sadguru Isha Foundation : सद्गुरु जग्गी वासुदेव को पर्यावरण नियमों के उल्लंघन के मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस कोटिश्वर सिंह की पीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि कोयंबटूर के वेल्लियांगिरी पर्वतीय क्षेत्र में निर्मित ईशा फाउंडेशन के योग और ध्यान केंद्र के खिलाफ कोई दंडनात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद सतगुरु जग्गी वासुदेव को राहत मिल गई। अब उनपर कोई भी का कानूनी कार्रवाई नहीं की जाएगी।
सद्गुरु को सुप्रीम कोर्ट से मिली बड़ी राहत | Sadguru Jaggi Vasudev
शुक्रवार को सतगुरु जग्गी वासुदेव की इच्छा फाउंडेशन पर चल रहे पर्यावरण नियमों के उल्लंघन के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस मामले में कोर्ट ने सदगुरु को बड़े राहत देते हुए उनके खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई न करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने मद्रास उच्च न्यायालय के उसे आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया जिसमें ईशा फाउंडेशन के लाभ तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नोटिस को रद्द कर दिया गया था।
क्या है ईशा फाउंडेशन का पूरा मामला?
दरअसल वेल्लियांगिरी पर्वतीय क्षेत्र की तलहटी में बिना पूर्व पर्यावरणी मंजूरी के सद्गुरु जग्गी वासुदेव द्वारा ईशा फाउंडेशन में भावनों का निर्माण किया गया था। जिसपर सद्गुरु जग्गी के खिलाफ पर्यावरण नियमों के उल्लंघन को लेकर कोर्ट में मद्रास कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। जिसपर मद्रास हाई कोर्ट ने 14 दिसंबर, 2022 को कहा था कि कोयंबटूर में ईशा फाउंडेशन की ओर से स्थापित केंद्र शिक्षा श्रेणी में आएगा। हाई कोर्ट ने 19 नवंबर, 2021 के नोटिस को भी रद्द कर दिया था और ईशा फाउंडेशन की याचिका को स्वीकार कर लिया था। हाई कोर्ट ने वेल्लियांगिरी की तलहटी में पूर्व पर्यावरणीय मंजूरी के बिना इमारतों का निर्माण करने के खिलाफ सद्गुरु को कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
सुप्रीम कोर्ट Isha Foundation को दी चेतावनी
इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जहां आज सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि ईशा फाउंडेशन के खिलाफ पर्यावरण के नियमों के उल्लंघन के मामले में कोई दंडनात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि योग और ध्यान केंद्र सभी पर्यावरणीय मानदंडों और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देशक का पालन करेंगे। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने यह भी कहा कि भले इस मामले में कोई दंड नहीं दिया जा रहा है, लेकिन योग और ध्यान केंद्र विस्तार के मामले में अब आगे से सक्षम प्राधिकारी की पूर्व अनुमति ली जाएगी। जिससे या आदेश अवैध निर्माण को नियमित करने के लिए कोई मिसाल नहीं बनेगी।
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