S jaishankar US Visit: भारत-पाकिस्तान सीजफायर और अमेरिका के साथ व्यापार चर्चा पर क्या बोले

S Jaishankar US Visit, India-Pakistan Ceasefire, US Trade: भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S Jaishankar On India Pakistan Ceasefire) ने अपने हालिया अमेरिका दौरे (S Jaishankar US Visit) के दौरान न्यूजवीक के सीईओ देव प्रसाद के साथ एक इंटरव्यू में कई अहम मुद्दों पर बात की। उन्होंने साफ किया कि भारत-पाकिस्तान सीजफायर (India-Pakistan Ceasefire) और अमेरिका के साथ व्यापार संबंधी चर्चा (US Trade) का कोई आपसी संबंध नहीं है। जयशंकर ने कहा कि व्यापार वार्ता अपने पाठ्यक्रम पर चल रही है और इसे सीजफायर जैसे मुद्दों से जोड़ना गलत है।

उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच 10 मई को हुई सीजफायर की प्रक्रिया पूरी तरह से द्विपक्षीय थी। यह सीजफायर अप्रैल में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत की ‘ऑपरेशन सिंदूर’ (Operation Sindoor) के जवाब में शुरू हुआ, जिसमें भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाक-अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था। जयशंकर ने स्पष्ट किया कि सीजफायर का श्रेय भारतीय सेना की निर्णायक कार्रवाई को जाता है, न कि किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को।

जयशंकर ने यह भी बताया कि अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने 9 मई की रात को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की थी, जिसमें पाकिस्तान की ओर से बड़े हमले की चेतावनी दी गई थी। हालांकि, भारत ने इसका कड़ा जवाब दिया और अगले दिन पाकिस्तानी सेना ने सीजफायर का प्रस्ताव रखा। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने भी जयशंकर से संपर्क किया, लेकिन भारत ने साफ किया कि यह मामला द्विपक्षीय स्तर पर ही सुलझाया जाएगा।

भारत-अमेरिका व्यापार समझौते (India-US Trade Deal) पर जयशंकर ने कहा कि यह वार्ता अंतिम चरण में है और इसमें “कुछ देना-लेना” शामिल होगा। उन्होंने भारत-अमेरिका संबंधों में पिछले 25 वर्षों में हुई प्रगति की सराहना की और इसे और मजबूत करने की उम्मीद जताई। साथ ही, उन्होंने पाकिस्तान में आतंकी संगठनों के खुलेआम संचालन पर चिंता जताई और कहा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी सख्त नीति पर कायम रहेगा।

यह दौरा क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक (Quad Foreign Ministers Meeting) के लिए भी महत्वपूर्ण रहा, जिसमें भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच रणनीतिक सहयोग पर चर्चा हुई। जयशंकर ने भारत की क्षेत्रीय और वैश्विक भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि भारत अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर कोई समझौता नहीं करेगा।

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