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आरएसएस के 100 वर्ष पूर्ण, रीवा के 50 बस्तियों एवं 90 मंडलों में होंगे शस्त्रपूजन एवं बौद्धिक कार्यक्रम

रीवा। विजयादशमी के अवसर पर 27 सितंबर 1925 को डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना की थी। यह वर्ष संघ का शताब्दी कार्य वर्ष है। विजयादशमी का पर्व अधर्म पर धर्म की विजय और भारतीय सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक है। विभाग प्रचार प्रमुख विवेक जायसवाल ने बताया कि एक शाखा से प्रारम्भ हुआ बीजरूपी यह संगठन आज विशाल वट वृक्ष की तरह भारत के सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है। अब हम उस ऐतिहासिक क्षण पर हैं जब 2 अक्टूबर 2025 को विजयादशमी के अवसर पर संघ अपनी स्थापना के सौ वर्ष पूर्ण करेगा। यह सौ वर्ष की यात्रा संघ के लिए संगठन और सेवा का प्रतीक है।

हिंदू समाज को संगठित कर राष्ट्र को मजबूत बनाना ही उद्देश्य

संघ की स्थापना के समय डॉ. हेडगेवार का उद्देश्य स्पष्ट था कि हिंदू समाज को संगठित कर राष्ट्र को सशक्त बनाना। उनका विचार था कि हिंदू राष्ट्र की रक्षा के लिए संगठित शक्ति का होना आवश्यक है। यह दृष्टि आज भी उतनी ही प्रासंगिक है। विभाग प्रचार प्रमुख विवेक ने बताया कि विजयादशमी पर संघ मुख्यालय नागपुर में डॉ मोहन भागवत का उद्बोधन होगा। यह वार्षिक उद्बोधन संघ के स्वयंसेवकों के लिए वर्ष भर की दिशा-निर्देशिका का कार्य करता है। जिला प्रचार प्रमुख बृजेश सिंह ने बताया कि रीवा की 50 बस्तियों एवं ग्रामीण क्षेत्रों के 90 मंडलों में शस्त्र पूजन एवं बौद्धिक कार्यक्रम आयोजित होंगे।

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