Romantic Love Story In Hindi | Author: Nazia Begum: आज मैं शाम को लेकर बहुत उतावला हूं ऑफिस के सब काम जल्दी जल्दी खत्म किए हैं क्योंकि आज शाम को मेरी कलीग रिया की सगाई है वो भी मेरे बचपन के दोस्त राम के साथ ,और उतावला हों भी क्यों न आखिर दोनों को पहली बार मिलवाया भी तो मैने ही था, ख़ैर किसी तरह शाम हुई ,मै सगाई में पहुंचा और दोनों ने कुछ ही देर में सगाई की रस्म अदा की सबके साथ मैने भी ताली बजाई, और ऐसे में अचानक किसी का दुपट्टा मेरे चेहरे पर आकर चिपक गया मेरी आँखें बंद हो गईं और जब आंख खुली तो वो दुपट्टे वाली सॉरी कहते हुए मेरे सामने खड़ी थी मेरी तो आंखे खुली की खुली रह गईं और होंठ सिल गए इतने में वो चली गई, उस पल से मै उसे भूल ही नहीं पा रहा था और मेरी निगाह हर जगह उसे ही तलाश रही थीं ,कहीं मन नहीं लग रहा था सबने कहा खाना खा लो सो खा लिया, धीरे – धीरे पार्टी की रौनक कम होने लगी मैने मेहमानों के जाने पर भी पूरी नज़र रखी थी पर वो मुझे जाने वालों में भी कही नहीं दिखी,अब क्या करता पते ठिकाने की तो बात छोड़ो नाम तक तो पता नहीं था मुझे उसका, कि रिया या राम से भी पूछता उसके बारे में और उनके पास तो मैं रह ही नहीं पाया दोनों की जोड़ी प्यारी लग रही थी बस इतना ही देखा और बधाई देकर चला आया कुछ ही दिनों में मेरा हाल ये हो गया कि रातों की नींद उड़ गई उसका चेहरा दिल में नक्श हो चुका था और वो आवाज़ तो भुलाए नहीं भूल रही थी, मै बहोत परेशान था कि रिया एक दिन ऑफिस में अपनी सगाई का एल्बम लेकर आई और सब देख रहे थे उसने मुझे भी बुलाया पर मैने आता हूं कह कर टाल दिया पर सब उसकी बहोत तारीफ कर रहे थे तो मुझे एहसास हुआ कि मुझे यूं टालना नहीं चाहिए और मैं भी पहुंच गया फोटोज़ देखने और फौरन मुझे रिया के बगल में मेरी रातों की नींद चुराने वाली मिल गयी ,मैने ज़रा राहत की सांस लेते हुए रिया से पूछा, रिया ये कौन है पहले कभी नहीं देखा ?
और रिया ने झट से जवाब दिया ये मेरी चचेरी बहन है लंडन में पढ़ रही है, बस इतना कहके वो चुप हो गई और सबको अपने और फोटोज़ दिखाने लगी मैने ज़रा धीरे से कहा,” रिया नाम क्या है” उसने कहा किसका!मैने फिर इशारे से कहा उसका तब रिया ने कहा दिव्या , मानो नाम सुनकर मैं तो शर्मा ही गया और मेरे गालों की लाली देखकर चालाक रिया भाप गई की कुछ तो बात है ,उसने मुझसे सबसे दूर हटके पूछा क्या हुआ, पसंद आ गई क्या! मैने मुस्कुराते हुए कहा नहीं बस तुम्हारी सगाई में देखा था, मिल नहीं पाया था ठीक से तो तुम थोड़ा मिलवा दो, परिचय करवा दो की हम भी तुम्हारे अपने हैं ,इस पर रिया ने कुछ सोचा फिर कहा भाई मिलवा तो देती लेकिन अब वो शादी में ही आएगी, मेरा तो दिल ही उदास हो गया पर उसने मेरी तरफ देखते हुए कहा वैसे मामला सीरियस हो तो कुछ बात वात करवा सकती हूं, चलेगा मैं तो ख़ुशी से फूला नहीं समाया और कहा हां हां बिल्कुल चलेगा।
अगले दिन रिया ने राम के साथ मिलकर ये कहते हुए दिव्या से वीडियो कॉल पर मेरी बात कराई कि सब तुम्हें याद कर रहे थे दिव्या ने मुझसे हैलो किया और शायद थोड़ा पहचान भी गई कि उसका दुपट्टा मेरे चेहरे पर ही आया था ,मैने उसकी पढ़ाई के बारे में पूछा तो उसने बताया कि एम. बी .ए का उसका लास्ट ईयर है और वो जल्दी ही इंडिया आ जाएगी और यहीं रहकर अपना बिज़नेस शुरू करेगी।
मैने भी बात करने के बहाने को ढूंढते हुए कह दिया,” ठीक है मेरी कोई ज़रूरत हो तो ज़रूर बताइएगा “और रिया ने और चार चांद लगाते हुए कहा हां इसके यहां तो सभी बिज़नेस करते हैं इसे बहुत आइडिया है इस बारे में, मै तुम्हें देव का नंबर भेज दूंगी तुम्हें जो पूछना हो तुम डायरेक्ट इससे ही पूछ लेना ,और फिर कॉल डिस्कनेक्ट कर दी ,इतनी मेहनत के बाद भी मुझे उम्मीद तो नहीं थी कि दिव्या मुझे कॉल करेगी पर एक दिन अननोन नंबर से कॉल आई और उस तरफ़ दिव्या ही थी ,उसने मुझसे चंदेरी की साड़ियों का मेकिंग चार्ज पता करने को कहा, मै भी अपना फ़र्ज़ समझ कर शिद्दत से लग गया , और इसके बाद तो हमारी बातों का सिलसिला ही शुरू हो गया ,उसके बिज़नेस की शुरुआत करने के लिए मुझसे जो बन पड़ा मैने किया और फिर रिया और राम की शादी का दिन भी आ गया मैं बड़ा बन संवर के गया पर वो आज वो किसी हूर से कम नहीं लग रही थी ,सबसे पहले आकर मुझसे मिली और मुझे थैंक्स कहा और मै बस मुस्कुरा के रह गया ,उसने बताया कि उसकी डिग्री पूरी हो गई है और अगले महीने से वो अपना साड़ियों का बिज़नेस शुरू करेगी और आगे भी उसे मेरी मदद की ज़रूरत पड़ेगी तो मैने कहा,” हां मैं हाज़िर हूं “।
इस बात चीत के सिलसिले में बस एक बात अच्छी हुई थी कि मेरे कहने से अब वो मुझे आप से देव कहकर बुलाने लगी थी ,
पर फिर भी मै अपने दिल की बात आज तक उससे नहीं कह पाया था ,खैर हमारी बातें ब दस्तूर चलती रहीं ,एक दिन दिव्या अपने ऑफिस के लिए जगह देखने गई ,मुझे बताया तो मैने कहा मै ऑफिस में हूं थोड़ी देर से आता हूं पर उसने ये कहकर मना कर दिया कि मै बस शाम तक लौट आऊंगी तुम परेशान मत हो ,पर मुझे फ़िक़्र हो रही थी कि शाम को मुझे कॉल आया कि उसका एक्सीडेंट हो गया है ,लास्ट कॉल उसके फोन पर मेरी ही थी तो पुलिस ने मुझे ही कॉल किया मै हड़बड़ाते हुए अकेले ही ये सोचकर पहुंचा कि पहले खुद देख लूं फिर उसके घर वालों को बताऊं जब पहुंचा तो दिव्या का छोटा सा ऑपरेशन होने वाला था और डॉक्टरों को उसके किसी सगे के साइन की ज़रूरत थी तो मैने बिना देर करते हुए पति के नाते साइन कर दिए ,फिर उसके घरवालों को कॉल किया,ऑपरेशन पूरा हो गया और फिर दिव्या के घरवाले भी आ गए ,डॉक्टर ने कहा समय पर इनके पति के आ जाने और ऑपरेशन हो जाने की वजह से उसकी जान बच गई तो सबने मुझे हैरत से देखा पर कुछ नहीं कहा , जब दिव्या को होश आया तो इस बात पे उसने मुझे इतना सुनाना चाहा पर डॉक्टरों ने उसे ज़्यादा सुनाने नहीं दिया , ख़ैर मै उस दिन बच गया, धीरे – धीरे सबसे नज़र बचाकर मै दिव्या की तिमार दारी करता रहा ,वो भी सबके सामने मुझे कुछ न कह पाई ,जब वो ठीक होकर घर आ गई तो उसने मुझे बुलाया और डांटते हुए कहा ,”हक़ से तुम मेरे पति बनकर , मेरी जान बचा सकते हो ,मुझसे प्यार कर सकते हो, तो अपने प्यार का इज़हार नहीं कर सकते थे” और इतना कहते ही मेरे कंधे पे सर रखकर रोने लगी मैने भी उसे बाहों में समेटते हुए कह ही दिया सॉरी,पर मै इंतज़ार कर रहा था कि तुम्हे भी मुझसे प्यार हो जाए और तुम मुझे कोई इशारा करो ,दिव्या झुंझलाते हुए बोली बुद्धू देव,” मुझे तो तभी हो गया था जब रिया दीदी ने मेरी तुमसे बात कराई थी, तुम्ही मेरी आँखें नहीं पढ़ पाए”, तो मैने हैरान होते हुए कहा “आई लव यू दिव्या” बहरहाल सॉरी से शुरू हुआ मोहब्बत का ये सिलसिला सॉरी के साथ ही ‘आई लव यू’ तक पहुंचा। ये थी मेरी और मेरी पत्नी दिव्या की छोटी सी प्रेम कहानी ,अगर आपके पास भी कोई दिलचस्प प्रेम कहानी हो तो हमें ज़रूर मेल करें , फिर मिलेंगे ,धन्यवाद