Bihar Politics : बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने विधानसभा चुनाव के लिए बड़ी तैयारी की है। आगामी चुनावों को देखते हुए पार्टी ने ‘यादव, कुशवाहा भाई-भाई’ का नारा दिया है। पार्टी आगामी चुनावों में इन दोनों जातियों को साधने की कोशिश में है। ताकि विधानसभा चुनाव में सरकार बनाने में कामयाब हो सके। इसी को देखते हुए RJD ने विधानसभा चुनाव के मद्देनजर नया समीकरण बनाना शुरू कर दिया है। पार्टी की पूरी कोशिश अब राज्य के कुशवाहा मतदाताओं को अपने पाले में करने की है। दरअसल, पार्टी को इस समीकरण से पहली सफलता पिछले लोकसभा चुनाव में मिली थी, जब पार्टी ने भाजपा के गढ़ औरंगाबाद में सफलता का स्वाद चखा था।
बिहार में कुशवाहा मतदाताओं का प्रतिशत कितना है?
राज्य के जातीय समीकरण पर गौर करें तो इसमें कुशवाहा मतदाताओं की अच्छी-खासी संख्या है। आंकड़ों और जातीय समीकरण पर गौर करें तो बिहार में कुशवाहा समुदाय की आबादी करीब साढ़े चार फीसदी है। राष्ट्रीय जनता दल हो या एनडीए गठबंधन… दोनों की नज़र इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कुशवाहा समुदाय पर है। दोनों ही दलों ने कुशवाहा समुदाय के खास नेताओं को भी अहमियत दी है। भाजपा ने कुशवाहा समुदाय से आने वाले सम्राट चौधरी को उपमुख्यमंत्री बनाया है। वहीं, अगर राजद की बात करें तो औरंगाबाद से जीते अभय कुशवाहा को राजद ने लोकसभा में संसदीय दल का नेता घोषित किया है।
कुशवाहा वोट बैंक पर नीतीश कुमार का दबदबा है। Bihar Politics
जहाँ एक ओर यादव समुदाय खुलकर राज्य में राष्ट्रीय जनता दल के पक्ष में खड़ा रहा है, वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 90 के दशक से ही कुशवाहा समुदाय को अपने नियंत्रण में रखा है। पिछले लोकसभा चुनाव में जनता दल यूनाइटेड ने कुशवाहा समुदाय के 11 उम्मीदवारों को टिकट दिया था, जिनमें से तीन सफल रहे। हालाँकि, भाजपा ने कुशवाहा समुदाय से किसी को भी टिकट नहीं दिया। आंकड़ों के अनुसार, कुर्मी-कोइरी समुदाय ने 2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को लगभग 67% वोट दिए। हालाँकि, यह प्रतिशत 2019 में प्राप्त परिणामों से लगभग 12% कम था। 2019 में एनडीए को इस समुदाय से लगभग 79% वोट मिले थे। वहीं, इस समुदाय ने भारत गठबंधन को 19% वोट दिए थे।
कुशवाहा 70 सीटों पर निर्णायक भूमिका में हैं। Bihar Politics
कुशवाहा समुदाय का दावा है कि वे 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा और 15 लोकसभा सीटों में से 70 से ज़्यादा सीटों के चुनाव परिणामों को प्रभावित करते हैं। नालंदा, पटना साहिब, जमुई, पूर्णिया, सीतामढ़ी, वाल्मीकि नगर, पश्चिमी चंपारण, समस्तीपुर, पूर्वी चंपारण, नवादा, काराकाट, उजियारपुर और औरंगाबाद राज्य के ऐसे लोकसभा क्षेत्र हैं, जहाँ कुशवाहा मतदाताओं की संख्या अच्छी-खासी है।
राजद बिहार में कुशवाहा जाति को अपनी ओर आकर्षित करना चाहती है।
बिहार में यादव समुदाय के आंकड़ों पर नज़र डालें तो इस समुदाय की आबादी लगभग 16% है। यह समुदाय राजद का कोर वोटर माना जाता है। राजद की नज़र यादव मतदाताओं के साथ-साथ लगभग साढ़े चार प्रतिशत कुशवाहा मतदाताओं पर है। राजद को लगता है कि अगर मुस्लिम और यादवों के साथ-साथ कुशवाहा मतदाता भी उसके साथ जुड़ जाते हैं, तो उसके पक्ष में एक बहुत बड़ा वोट बैंक बन सकता है और आगामी विधानसभा चुनाव में महागठबंधन और खासकर राजद को इसका फ़ायदा मिल सकता है।
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