Rishi panchmi 2025 Arti Lyrics : ऋषि पंचमी व्रत पूजा या उद्यापन में गाई जाने वाली आरती और आशय

Rishi panchmi 2025 Arti Lyrics : ऋषि पंचमी व्रत पूजा या उद्यापन में गाई जाने वाली आरती और आशय – ऋषि पंचमी, हिन्दू पंचांग के अनुसार, विशेष रूप से उन भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है जो सप्तऋषियों की पूजा करते हैं। यह पर्व विशेष रूप से उन लोगों के लिए है, जो अपने जीवन में ऋषि मुनियों की उपासना करते हुए, उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं। इस दिन सप्तऋषियों की आरती का आयोजन किया जाता है, जो न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्व रखती है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए भी विशेष रूप से लाभकारी मानी जाती है।

ऋषि पंचमी का महत्व -ऋषि पंचमी का पर्व हिन्दू धर्म के पवित्र पर्वों में से एक है। इसे विशेष रूप से उन लोगों द्वारा मनाया जाता है जो सप्तऋषियों का पूजन करते हैं। सप्तऋषियों में कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और वसिष्ठ का नाम लिया जाता है, और इनकी पूजा करने से जीवन के समस्त दुखों का निवारण संभव माना जाता है।
इस दिन सप्तऋषियों की पूजा का उद्देश्य उनके द्वारा दिए गए ज्ञान, तपस्या और उनके दिखाए गए मार्ग का अनुसरण करना होता है। श्रद्धालु इस दिन विशेष रूप से सात ऋषियों की आरती गाते हैं, जिसे गाने से जीवन में सुख, समृद्धि और आत्मिक शांति की प्राप्ति होती है।

सप्तऋषियों की आरती का महत्व – सप्तऋषियों की आरती का महत्व हिन्दू धर्म में विशेष स्थान रखता है। यह आरती ऋषियों के महान कार्यों और उनके योगदान का स्मरण करने के लिए गाई जाती है। ऋषि पंचमी के दिन इस आरती का गान करना धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पुण्य फल प्रदान करता है। यह आरती श्रद्धालुओं को जीवन में बाधाओं से पार पाने, मानसिक शांति प्राप्त करने, और धार्मिक आस्था में वृद्धि करने में मदद करती है। इस आरती में सप्तऋषियों के नाम का उच्चारण और उनके द्वारा किए गए तपस्वियों के कार्यों का स्मरण किया जाता है। यह एक प्रकार की पूजा अर्चना है, जो व्यक्ति को उनके जीवन के कष्टों से मुक्त करने के लिए की जाती है। आरती का गान करने से भक्तों को मानसिक, शारीरिक और आत्मिक शांति की प्राप्ति होती है।

ऋषि पंचमी पूजा की आरती – ऋषि पंचमी व्रत पूजा में गाई जाने वाली आरती के शब्दों को किसी भी रूप में बदला नहीं जा सकता, क्योंकि यह आरती एक पवित्र धार्मिक गीत है जिसे श्रद्धा और भक्ति के साथ गाना चाहिए। निम्नलिखित में इस आरती के शब्द दिए गए हैं –

ॐ जय जय ऋषि देवा, स्वामी सप्त ऋषि देवा।
इनकी आरती कीजै, भव भय हरते देवा।।
ॐ जय जय ऋषि… स्वामी सप्त ऋषि देवा…।

कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम – स्वामी – जमदग्नि, वसिष्ठ, ऋषिवर, तुमको शतत नमन।।
ॐ जय जय ऋषि देवा… स्वामी सप्त ऋषि देवा…।

वेद-वेदांत के ज्ञाता, प्रभु बल-बुद्धि दीजो – स्वामी धर्म-कर्म के मारग, दिखला जग हितकर की जो।।
ॐ जय जय ऋषि देवा… स्वामी सप्त ऋषि देवा…।

ध्यान-योग में रहते, ऋषिवर कष्ट हरो – स्वामी – भक्तों की विनती सुनकर, संकट दूर करो।।
ॐ जय जय…ऋषि देवा, स्वामी सप्त ऋषि देवा…।

ऋषि पंचमी के दिन, जो आरती गाते – स्वामी – मनवांछित फल पाते-सुख-समृद्धि पाते-भव से तर जाते।।

ॐ जय जय ऋषि देवा.. स्वामी सप्त ऋषि देवा…।
जय जय ऋषि देवा – स्वामी जय जय ऋषि देवा।

आरती का अर्थ और संदेश
“ॐ जय जय ऋषि देवा, स्वामी सप्त ऋषि देवा” – इस उद्घाटन में ऋषियों के प्रति श्रद्धा का भाव प्रकट किया गया है। यह विशेष रूप से सप्तऋषियों की महिमा का गुणगान करता है और उन्हें देवता के समान मानता है।

“कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि, वसिष्ठ” – इन नामों के माध्यम से सप्तऋषियों का स्मरण किया जाता है, जिनकी पूजा से भक्तों को आध्यात्मिक ज्ञान और शक्ति प्राप्त होती है।

“वेद-वेदांत के ज्ञाता, प्रभु बल-बुद्धि दीजो” – इस पंक्ति में वेदों और वेदांत के ज्ञाताओं से बल और बुद्धि की प्राप्ति की प्रार्थना की जाती है। ये ऋषि अपने तप और ज्ञान के माध्यम से जीवन के हर पहलू को स्पष्ट करते हैं।

“ध्यान-योग में रहते, ऋषिवर कष्ट हरो” – यहां पर ध्यान और योग के माध्यम से जीवन में आने वाले कष्टों को दूर करने की बात की जाती है। सप्तऋषि हमेशा ध्यान में रहते हुए मानवता के कल्याण के लिए कार्य करते रहे हैं।

“ऋषि पंचमी के दिन, जो आरती गाते” – इस पंक्ति में यह बताया गया है कि जो भक्त ऋषि पंचमी के दिन इस आरती का गान करते हैं, वे अपने जीवन में इच्छित फल प्राप्त करते हैं और भगवान की कृपा से समृद्ध होते हैं।

विशेष –  ऋषि पंचमी के दिन सप्तऋषियों की पूजा और आरती का गान करने से न केवल धार्मिक लाभ मिलता है, बल्कि यह व्यक्ति के जीवन में मानसिक शांति, भक्ति और आस्था को भी मजबूत करता है। इस दिन का महत्व सिर्फ आध्यात्मिक दृष्टि से नहीं, बल्कि जीवन के हर पहलू में सकारात्मक परिवर्तन लाने के रूप में भी है। ऋषि पंचमी पर श्रद्धालु इस आरती का गान करते हैं, जिससे उन्हें जीवन की समस्याओं से छुटकारा मिलता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि ऋषि मुनियों की तपस्या और उनके ज्ञान का अनुसरण करते हुए हम अपने जीवन को एक सही दिशा में प्रगति कर सकते हैं।

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