रीवा। रीवा के रानी तालाब स्थित कालिका माता मंदिर में नवदुर्गा उत्सव की धूम है। यहा अल सुबह 4 बजे से भक्त माता रानी के दरवार में पहुच रहे है और वे जल एवं मां का श्रृगार चढ़ा कर पूजा-अर्चना कर रहे है। परंपरा के तहत इस वर्ष भी अष्टमी और नवमी के शुभ अवसर पर माता को स्वर्ण आभूषणों से विशेष श्रृंगार किया जा रहा है, जो शाही परंपरा का हिस्सा है। इस परंपरा के पीछे की जो मान्यता बताई जाती है वह यह है कि राजा के पुत्र के विवाह से पहले, देवी ने राजा के स्वप्न में आकर अपने लिए आभूषणों की मांग की थी, जिसके बाद से हर साल अष्टमी और नवमी पर उनका श्रृंगार स्वर्ण आभूषणों से किया जाता है। यह परंपरा नवदुर्गा उत्सव एवं चैत्र नवरात्रि दोनो में निभाई जाती है।
आभूषणों का श्रृगार करने के बाद निकली थी राज परिवार की बारात
श्रृंगार के पीछे की जो कहानी बताई जाती है वह यह है कि रीवा के राजा विश्वनाथ सिंह के वंशज के विवाह के अवसर पर, देवी ने राजा से कहा कि पुत्र का विवाह करने से पहले उनके लिए आभूषणों की व्यवस्था की जाए। राजा ने सुनारों को बुलाकर देवी के लिए आभूषण बनवाए और उनका श्रृंगार किया। उसके बाद ही बारात निकाली गई, और तब से आज तक अष्टमी व नवमी पर माता का स्वर्ण आभूषणों से श्रृंगार करने की परंपरा चली आ रही है।
दूर दराज से माई के द्वार पहुचते है भक्त
श्रृंगार का महत्व यह है कि इस विशेष श्रृंगार को देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु मंदिर में आते हैं। श्रृंगार के दौरान मंदिर परिसर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है, और मनोरंजन के साधनों के साथ स्वादिष्ट पकवानों की दुकानें भी लगती हैं, जिससे एक उत्सव जैसा माहौल बनता है। मुख्य पुजारी के अनुसार, देवी कालिका भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।