रीवा। रीवा रेलवे स्टेशन पर हर ट्रेन के आगमन के साथ ऑटो चालकों का कब्जा हो जाता है। निर्धारित ऑटो स्टैंड को छोड़कर दर्जनों ऑटो सीधे मुख्य गेट, पैदल पुल के नीचे और प्लेटफॉर्म के सामने खड़े हो जाते हैं। इससे सामान लिए बुजुर्ग, महिलाएं, बच्चे और दिव्यांग यात्री निकलने तक की जगह नहीं पाते। कई बार तो ट्रेन से उतरते ही यात्रियों को ऑटो की भीड़ में फंसना पड़ता है और दुर्घटना का खतरा बना रहता है।
रेलवे प्रशासन ने स्टेशन परिसर में साफ-सुथरा ऑटो स्टैंड बनवाया है, बोर्ड लगाए हैं, लाइनें खींची हैं, लेकिन ऑटो चालक इनका पालन नहीं करते। ट्रेन आने की सूचना मिलते ही सभी निर्धारित जगह छोड़कर गेट के ठीक सामने लाइन लगा लेते हैं। इससे स्टेशन के अंदर-बाहर जाम जैसी स्थिति बन जाती है और यातायात भी बाधित होता है।सबसे बड़ी विडंबना यह है कि जिम्मेदारी लेने को कोई तैयार नहीं।
जीआरपी कहती है – “मेन गेट के बाहर का इलाका शहर पुलिस का है।” आरपीएफ कहती है – “हम सिर्फ प्लेटफॉर्म और रेलवे परिसर के अंदर देखते हैं।” जबकि शहर पुलिस (सिविल लाइन/कोतवाली) अब तक चुप्पी साधे है। नतीजा यह कि कोई कार्रवाई नहीं हो रही।रेलवे स्टेशन प्रबंधक ने कई बार पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखा, मौखिक शिकायतें कीं, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। यात्रियों का कहना है कि रोजाना की यह परेशानी अब असहनीय हो चुकी है। वे प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि जीआरपी, आरपीएफ और शहर पुलिस मिलकर स्थायी हल निकालें, चालान काटें और निर्धारित पार्किंग का सख्ती से पालन कराएं, ताकि रीवा स्टेशन आने-जाने वाले हजारों यात्रियों को राहत मिल सके।
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