Rewa police demanded 50 thousand rupees from the complainant to catch the thief: रीवा। मध्य प्रदेश के रीवा जिले में पुलिस की कार्यशैली को लेकर एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जो कानून-व्यवस्था और पुलिस की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। छिजवार चौकी पुलिस ने चोरी के एक मामले में फरियादी अमित मिश्रा से आरोपी को पकड़ने के लिए 50 हजार रुपये की मांग की है। इस घटना ने न केवल स्थानीय पुलिस की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा किया है, बल्कि पीड़ितों के न्याय के अधिकार पर भी सवाल उठाए हैं।
अमित मिश्रा ने बताया कि उनके घर में हुई चोरी के बाद उन्होंने छिजवार चौकी में FIR दर्ज कराई थी, जिसमें राकेश मिश्रा को संदेही के रूप में नामित किया गया था। पुलिस को संदेही का चोरी हुआ मोबाइल और उसकी लोकेशन भी मिल चुकी थी। इसके बावजूद, पुलिस ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। पीड़ित का आरोप है कि पुलिस ने उनसे कहा कि संदेही की लोकेशन गुजरात में ट्रेस हो रही है, लेकिन वहां जाने के लिए 50 हजार रुपये का खर्च आएगा, जो फरियादी को वहन करना होगा। यह मांग अपने आप में अवैध और अनैतिक है, क्योंकि पुलिस का कर्तव्य बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के अपराधियों को पकड़ना है।
CM हेल्पलाइन में शिकायत पर भी नहीं मिला न्याय
न्याय की उम्मीद में अमित ने सीएम हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज की, लेकिन उनका दावा है कि पुलिस अधिकारियों ने इस शिकायत को जबरन ‘फोर्स क्लोज’ कर दिया। उच्च अधिकारियों से बार-बार शिकायत करने के बावजूद मामले में कोई प्रगति नहीं हुई। यह स्थिति न केवल पुलिस की जवाबदेही पर सवाल उठाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि आम नागरिकों के लिए न्याय पाना कितना मुश्किल हो गया है।
पुलिस की कार्यशैली पर उठे सवाल
यह मामला रीवा पुलिस की कार्यप्रणाली और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। एक ओर जहां पुलिस को अपराधियों को पकड़ने और पीड़ितों को न्याय दिलाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, वहीं इस तरह की घटनाएं पुलिस की विश्वसनीयता को धूमिल कर रही हैं। स्थानीय लोग इस घटना से आक्रोशित हैं और मांग कर रहे हैं कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच हो, ताकि दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
न्याय के लिए भटक रहा पीड़ित
अमित मिश्रा का कहना है कि वह इस घटना के बाद से दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन कहीं से न्याय नहीं मिल रहा। उन्होंने कहा, “पुलिस का काम है चोर को पकड़ना, लेकिन इसके लिए मुझसे पैसे मांगे जा रहे हैं। यह कहां का इंसाफ है?” इस मामले ने न केवल स्थानीय प्रशासन की चुप्पी को उजागर किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि कैसे सिस्टम आम आदमी को परेशान कर रहा है। इस मामले में अभी तक रीवा पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।