रीवा टूरिज्म। विंध्य की भू-धरा प्राकृतिक सौन्दर्यता एवं अद्रभुद्र नजरों से भरी हुई है। जिसे देखकर कोई भी फिदा हो सकता है। ऐसा ही मनमोहक स्थल है रीवा का पियावन, जो कि घिनौची धाम के नाम से जाना जाता है। यहा के झरने से एक नजर में मन प्रफुल्लित हो जाता है। इस झरने की धार्मिक मान्यता है कि स्वयं माता पार्वती और भगवान शिव विराजमान रहें, तो यहां की अनुपम छठा को देख कर अंग्रेज भी चकित रह गए थेे। कहा जाता है कि इस स्थान कों अंग्रेजों ने खोजा था और अद्रभुद्र नजरे को वे देखते रह गए थें।
जाने कहा है यह पियावन
पियावन यानि घिनौची धाम, यह अतुलनीय ऐतिहासिक, प्राकृतिक एवं धार्मिक पर्यटन स्थल मध्य प्रदेश के रीवा जिले से 42 किलोमीटर दूर सिरमौर की बरदहा घाटी में है। प्रकृति की अनुपम छटा के बीच यह धाम धरती से 200 फीट नीचे और लगभग 800 फीट चौड़ी प्रकृति की सुरम्य वादियों से घिरा हुआ है। यहां की खास बात जो इसे विशेष बनाती है वो है धरती से 200 फीट नीचे दो अद्भुत जल प्रपातों का संगम।
भोलेनाथ का 12 महीने जलाभिषेक
घिनौची धाम के प्राकृतिक झरने का श्वेत जल भगवान भोलेनाथ का 12 महीने निरंतर जलाभिषेक करता है। जिसे देखना रोमांचकारी है। साथ ही अति प्राचीन शिवलिंग और यहां पहाडिय़ों में उकेरे प्राचीन शैल चित्र भी हैं। चट्टानों में उकेरे गए प्रागैतिहासिक शैल चित्र, जो इस क्षेत्र की गौरव गाथा भी बताते हैं। दो अद्भुत सर्पिलाकार चट्टानें अपने आप में अद्भुत हैं। इसके आलावा मां पार्वती की साक्षात दिव्य प्रतिमा भी मौजूद है।
ऐसी भी है किवदंतिया
शिवलिंग और मां पार्वती की साक्षात दिव्य प्रतिमा को लेकर कई पौराणिक कहानियां हैं. कहा जाता है कि भगवान शिव और पार्वती विचरण कर रहे थे, तभी देवी पार्वती को इस वन में रुकने का मन हुआ. झरने में स्नान करने की मंशा जाहिर की थी. फिर देवी पार्वती और भगवान शिव ने झरने में स्नान कर यहां की प्राकृतिक सुंदरता में ध्यान मग्न हो गए थे। 12 माह यहां पर लोग बराबर आते रहते हैं. यहां की प्राकृतिक सुंदरता आने वालों का मन मोह लेती है. मध्य प्रदेश के अलावा अब यहां उत्तर प्रदेश के पर्यटक भी आते है।
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