रीवा। राष्ट्रीय हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिन 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाने का प्रतीक है, लेकिन आपकों बता दें कि रीवा राज्य देश की एकलौती ऐसी रियासत थी, जिसके महाराज गुलाब सिंह ने आजादी से पहले ही अपने राज्य में हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित कर दिए थें। उन्हें आधुनिक भारत में पहली उत्तरदायी सरकार की घोषणा करने का श्रेय भी दिया जाता है, जिसने रीवा राज्य के नागरिकों को अपने राजा के निर्णयों पर सवाल उठाने का अधिकार प्रदान किया था।
1945 में हिंदी को घोषित किया था राज्य की राष्ट्रभाषा
हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित करने को लेकर जो तथ्य मिलते है उसके तहत रीवा राज्य के महाराजा गुलाब सिंह जू देव ने 1945 में हिंदी को रीवा राज्य की राष्ट्रभाषा घोषित किए थें। महाराजा गुलाब सिंह ने 16 अक्टूबर 1945 को दशहरा के दिन आयोजित एक सभा में इसकी घोषणा करते हुए यह भी ऐलान किया कि रीवा में उत्तरदायी शासन प्रणाली लागू होगी। रीवा इस तरह हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित करने वाली पहली रियासत बनी और यह स्वतंत्रता के पहले भारत में एक महत्वपूर्ण और प्रगतिशील कदम था।
1949 को संविधान सभा ने हिन्दी को घोषित किया अधिकारिक भाषा
हिन्दी दिवस प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को मनाया जाता है। 14 सितम्बर 1949 को ही संविधान सभा ने यह निर्णय लिया था कि हिन्दी केन्द्र सरकार की आधिकारिक भाषा होगी। चूंकि भारत मे अधिकतर क्षेत्रों में हिन्दी भाषा बोली जाती थी, इसलिए हिन्दी को राजभाषा बनाने का निर्णय लिया और इसी निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने तथा हिन्दी को प्रत्येक क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये वर्ष 1953 से पूरे भारत में 14 सितम्बर को प्रतिवर्ष हिन्दी-दिवस के रूप में मनाया जाता है। स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद हिन्दी को आधिकारिक भाषा के रूप में स्थापित करवाने के लिए काका कालेलकर, हजारीप्रसाद द्विवेदी, सेठ गोविन्ददास आदि साहित्यकारों को साथ लेकर व्यौहार राजेन्द्र सिंह ने अथक प्रयास किये।
गांधी जी हिन्दी भाषा को राजभाषा बनाने उठाई थी आवाज
वर्ष 1918 में गांधी जी ने हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी भाषा को राजभाषा बनाने को कहा था। इसे गांधी जी ने जनमानस की भाषा भी कहा था। वर्ष 1949 में स्वतंत्र भारत की राजभाषा के प्रश्न पर 14 सितम्बर 1949 को काफी विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया जो भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की अनुच्छेद 343(1) में इस प्रकार वर्णित है. संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अन्तरराष्ट्रीय रूप होगा।
हिन्दी दिवस के लिए यू ही नही चुना गया 14 सिंतबर
तथ्यों के अनुसार हिंदी को राष्ट्रभाषा का अधिकार 14 सिंतबर को ही मिला था, तो इसी दिन हिन्दी के मूर्धन्य साहित्यकार व्यौहार राजेन्द्र सिंह का 50वाँ जन्मदिन था, इस कारण हिन्दी दिवस के लिए इस दिन को श्रेष्ठ माना गया था। हिन्दी दिवस के दौरान कई कार्यक्रम होते हैं। इस दिन छात्र-छात्राओं को हिन्दी के प्रति सम्मान और दैनिक व्यवहार में हिन्दी के उपयोग करने आदि की शिक्षा दी जाती है। जिसमें हिन्दी निबन्ध लेखन, वाद-विवाद हिन्दी टंकण प्रतियोगिता आदि होता है। हिन्दी दिवस पर हिन्दी के प्रति लोगों को प्रेरित करने के लिए भाषा सम्मान की शुरुआत की गई है। यह सम्मान प्रतिवर्ष देश के ऐसे व्यक्तित्व को दिया जाएगा, जिसने जन-जन में हिन्दी भाषा के प्रयोग एवं उत्थान के लिए विशेष योगदान दिया है। इसके लिए सम्मान स्वरूप एक लाख एक हजार रुपये दिये जाते हैं।
दुनिया में बोली जाने वाली भाषाओं में हिंदी तीसरे नंबर पर
हिंदी भाषा को अंतर राष्ट्रीय स्तर पर देखा जाए तो बोलने वालों की संख्या के अनुसार अंग्रेजी और चीनी भाषा के बाद हिन्दी भाषा पूरे दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी भाषा है। लेकिन उसे अच्छी तरह से समझने, पढ़ने और लिखने वालों में यह संख्या बहुत ही कम है। हिंदी लिखने और बोलने वालो की संख्या कंम होती जा रही। इसके साथ ही हिन्दी भाषा पर अंग्रेजी के शब्दों का भी बहुत अधिक प्रभाव हुआ है। कई शब्द प्रचलन से हट गए और अंग्रेजी के शब्द ने उसकी जगह ले ली है। जिससे भविष्य में भाषा पर संकट भी बढ़ रहा है। जिसे देखते हुए हिन्दी का ज्ञान रखते हैं या हिन्दी भाषा जानते हैं, उन्हें हिन्दी के प्रति अपने कर्तव्य का बोध करवाने के लिए इस दिन को हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिससे वे सभी अपने कर्तव्य का पालन कर हिन्दी भाषा को भविष्य में विलुप्त होने से बचा सकें।
इसे दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है कि हिंदी का ज्ञान रखने वालों में तथा सरकार में यानि की दोनों ही इसके लिए उदासीन होते जा रहे है। हिन्दी तो अपने घर में ही दासी के रूप में रहती है। हिन्दी को आज तक संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा नहीं बनाया जा सका है। इसे विडम्बना ही कहेंगे कि हिन्दी के लिए 129 देशों का समर्थन क्या नहीं जुटाया जा सकता? इसके ऐसे हालात आ गए हैं कि हिन्दी दिवस के दिन भी कई लोगों को ट्विटर पर हिन्दी में बोलो जैसे शब्दों का उपयोग करना पड़ रहा है।
हिन्दी दिवस पर दिए जाते है पुरस्कार
हिन्दी दिवस पर हिन्दी के प्रति लोगों को उत्साहित करने के लिए पुरस्कार समारोह भी आयोजित किया जाता है। जिसमें कार्य के दौरान अच्छी हिन्दी का उपयोग करने वाले को यह पुरस्कार दिया जाता है। जिसमें राजभाषा गौरव पुरस्कार, यह पुरस्कार तकनीकी या विज्ञान के विषय पर लिखने वाले किसी भी भारतीय नागरिक को दिया जाता है। इसमें दस हजार से लेकर दो लाख रुपये के 13 पुरस्कार होते हैं। इसमें प्रथम पुरस्कार प्राप्त करने वाले को २ लाख रूपए, द्वितीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले को डेढ़ लाख रूपए और तृतीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले को पचहत्तर हजार रुपये मिलता है। साथ ही दस लोगों को प्रोत्साहन पुरस्कार के रूप में दस-दस हजार रूपए प्रदान किए जाते हैं। पुरस्कार प्राप्त सभी लोगों को स्मृति चिह्न भी दिया जाता है। इसका मूल उद्देश्य तकनीकी और विज्ञान के क्षेत्र में हिन्दी भाषा को आगे बढ़ाना है। दूसरा है राजभाषा कीर्ति पुरस्कार, इस पुरस्कार योजना के तहत कुल ३९ पुरस्कार दिये जाते हैं। यह पुरस्कार किसी समिति, विभाग, मण्डल आदि को उसके द्वारा हिन्दी में किए गए श्रेष्ठ कार्यों के लिए दिया जाता है। इसका मूल उद्देश्य सरकारी कार्यों में हिन्दी भाषा का उपयोग करने से है।