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Revised Income Tax Bill 2025: भारत के टैक्स सिस्टम में क्रांति, जानें क्या है यह बिल और इसके प्रमुख बदलाव

Revised Income Tax Bill 202 Hindi News: रिवाइज्ड इनकम टैक्स बिल 2025 (Revised Income Tax Bill 2025) भारत के टैक्स ढांचे में एक ऐतिहासिक बदलाव लाने के लिए तैयार है। यह बिल 1961 के आयकर अधिनियम (Income Tax Act 1961) को बदलने के उद्देश्य से बनाया गया है, जो पिछले छह दशकों में 65 बार संशोधित हो चुका है और जटिल हो गया है। 600 पेज, 536 धाराओं, 23 अध्यायों, और 16 अनुसूचियों वाला यह बिल टैक्स प्रणाली को सरल, पारदर्शी, और डिजिटल बनाने पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य करदाताओं के लिए अनुपालन को आसान, मुकदमों को कम, और टैक्स प्रक्रिया को आधुनिक बनाना है। यह बिल 1 अप्रैल 2026 से लागू होने की उम्मीद है।

इनकम टैक्स बिल 2025 क्या है?

What is the Income Tax Bill 2025: रिवाइज्ड इनकम टैक्स बिल 2025 (Revised Income Tax Bill 2025) भारत की टैक्स प्रणाली को नया रूप देने का एक व्यापक प्रयास है। 1961 का आयकर अधिनियम अपनी जटिल भाषा और पुरानी धाराओं के कारण करदाताओं और टैक्स अधिकारियों के लिए समझना मुश्किल हो गया था। इस बिल को 31 सदस्यों वाली लोकसभा की सिलेक्ट कमेटी ने 285 सुझावों के आधार पर तैयार किया है, जो जुलाई 2025 में 4,500 पेज की रिपोर्ट के साथ प्रस्तुत की गई थी।

इनकम टैक्स बिल 2025 में क्या बदलाव हुआ है

बिल के प्रमुख बदलाव

Key Changes in the Income Tax Bill 2025: रिवाइज्ड इनकम टैक्स बिल 2025 में कई महत्वपूर्ण बदलाव प्रस्तावित हैं, जो व्यक्तिगत और कॉर्पोरेट करदाताओं को सीधा लाभ पहुंचाएंगे।

    टैक्स स्लैब और छूट में बदलाव (Revised Tax Slabs and Rebates 2025)

      टैक्स रिफंड में राहत (Tax Refund Relief)

      इंटर-कॉर्पोरेट डिविडेंड पर छूट

      निल टीडीएस सर्टिफिकेट

      वर्चुअल डिजिटल एसेट्स पर टैक्स

      हाउस प्रॉपर्टी और सैलरी आय पर सरलीकरण

      गैर-लाभकारी संगठनों के लिए स्पष्ट नियम

      डिजिटल टैक्स प्रक्रिया और फेसलेस असेसमेंट

      कैपिटल गेन्स टैक्स में सुधार

      यह बिल टैक्स अनुपालन को सरल और निवेश को बढ़ावा देगा। डेलॉयट इंडिया के पार्टनर रोहिंटन सिधवा ने कहा, “जटिल धाराओं को सरल करने से स्वैच्छिक अनुपालन बढ़ेगा।” हालांकि, कुछ विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि भाषा में बदलाव से पुराने केस कानून अप्रासंगिक हो सकते हैं, जिससे नए मुकदमे बढ़ सकते हैं

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