Retreat Ceremony Attari- Wagah Border : भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अब कम होता नजर आ रहा है। इस बीच यह तय हो गया है कि अमृतसर के अटारी बॉर्डर पर रिट्रीट सेरेमनी फिर से शुरू होगी, लेकिन पहलगाम हमले के बाद बीएसएफ ने कड़ा संदेश देने का रास्ता चुना है। इसके तहत न तो गेट खुलेंगे और न ही दोनों देशों के कमांडर हाथ मिलाएंगे। बता दें कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद से यह बॉर्डर बंद कर दिया गया था। इधर, जिले के गुरुद्वारों में श्री गुरु ग्रंथ साहिब को भी वापस लाया जा रहा है।
बीएसएफ ने उठाया बड़ा कदम | Retreat Ceremony Attari- Wagah Border
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के कारण 7 मई से स्थगित की गई ‘बीटिंग रिट्रीट’ सेरेमनी को बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) एक बार फिर 20 मई से शुरू करने जा रहा है। अमृतसर के अटारी बॉर्डर पर रिट्रीट सेरेमनी 20 मई यानी मंगलवार से फिर शुरू होगी। सेरेमनी का समय शाम 6:00 बजे होगा। लेकिन बीएसएफ ने फैसला किया है कि अब समारोह के दौरान न तो गेट खोले जाएंगे और न ही हाथ मिलाए जाएंगे। बीटिंग रिट्रीट समारोह 1959 से दोनों देशों के बीच एक रिवाज रहा है।
यह परेड समारोह अटारी-वाघा, हुसैनीवाला (फिरोजपुर) और सादकी बॉर्डर (फाजिल्का) पर आयोजित किया जाता है। लेकिन इस दौरान न तो गेट खोले जाएंगे और न ही हाथ मिलाए जाएंगे।
क्या है रिट्रीट समारोह? Retreat Ceremony Attari- Wagah Border
भारत-पाकिस्तान सीमा पर अटारी बॉर्डर पर रिट्रीट समारोह रोजाना आयोजित किया जाता है। इस समारोह का आयोजन बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) और पाकिस्तान रेंजर्स द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है। इस समारोह को देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं। समारोह का समय हर मौसम के हिसाब से अलग-अलग होता है, लेकिन आमतौर पर सर्दियों में शाम 4:15 बजे और गर्मियों में शाम 5:15 बजे समारोह शुरू होता है। मंगलवार यानी कल से फिर से समारोह शुरू होने से लोगों को इस अनोखे अनुभव को फिर से महसूस करने का मौका मिलेगा।
गुरु ग्रंथ साहिब को वापस लाया गया।
यहां भारत-पाकिस्तान सीमा के नजदीक स्थित अमृतसर के राजाताल गांव और तरनतारन के नौशेरा ढल्ला गांव के गुरुद्वारों में 105 श्री गुरु ग्रंथ साहिब वापस लाए जा रहे हैं। पाकिस्तान की सीमा से सटे भारतीय जिलों में अब जनजीवन सामान्य हो रहा है। ऐसे में श्री गुरु ग्रंथ साहिब को वापस लाया जा रहा है। आपको बता दें कि भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के दौरान गुरु ग्रंथ साहिब को यहां से पड़ोसी जिलों के विभिन्न गुरुद्वारों में ले जाया गया था।
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