DUSU Election : 21 अक्टूबर को जारी होंगे दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव के परिणाम, एबीवीपी और एनएसयूआई में रही कांटे की टक्कर।

DUSU Election : दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव के लिए मतदान शुक्रवार शाम को संपन्न हो गया। इसके साथ ही एबीवीपी, एनएसयूआई और वाम समर्थित छात्र संगठनों ने अपनी-अपनी जीत का दावा किया है। खास बात यह रही कि आम आदमी पार्टी के छात्र संगठन ‘छात्र युवा संघर्ष समिति’ ने इस चुनाव में हिस्सा नहीं लिया। इसने चुनाव में विश्वविद्यालय द्वारा की जा रही निगरानी को मुद्दा बनाया है। ताजा अपडेट के मुताबिक इस बार कुल 35.16 फीसदी मतदान हुआ। इस बार कुल 145893 में से सिर्फ 51300 वोट ही पड़े। यह पिछले साल हुए डूसू चुनाव में हुए मतदान प्रतिशत से भी कम है। 2023 में 42.16 फीसदी वोट पड़े।

एबीवीपी चारो सीटों पर लहराएगी विजय पताका। DUSU Election

संगठन से जुड़े छात्रों का मानना है कि इस चुनाव के लिए विश्वविद्यालय द्वारा उचित निगरानी नहीं की जा रही थी। इस तरह के आरोप-प्रत्यारोपों के बीच दिल्ली की सत्ताधारी आप दिल्ली विश्वविद्यालय की इस चुनावी दौड़ से पूरी तरह बाहर रही। चुनाव संपन्न होने के बाद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने डूसू चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग करने वाले सभी छात्रों का आभार जताया है। एबीवीपी को उम्मीद है कि इस चुनाव में वह चारों सीटों पर जीत दर्ज कर सकती है। विद्यार्थी परिषद का कहना है कि छात्रों ने अपने मताधिकार का प्रयोग कर लोकतंत्र की पहली सीढ़ी में भागीदारी की है।

हार के डर से एनएसयूआई पहले ही घबरा गई है। DUSU Election

विद्यार्थी परिषद ने आरोप लगाया है कि मतदान की शुरुआत में एनएसयूआई के संयुक्त सचिव पद के उम्मीदवार ने एक प्रोफेसर के साथ मारपीट की। प्रोफेसरों के साथ बदसलूकी की गई और बूथ कैप्चरिंग की कोशिश की गई। उसका कहना है कि यह दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास में एक काला अध्याय बन गया है। चूंकि एनएसयूआई की हार निश्चित है, इसलिए घबराहट में वह लगातार झूठे आरोप लगाकर गुमराह करने की कोशिश कर रही है।

हाईकोर्ट के आदेश के बाद परिणाम घोषित होने पर लगी रोक।

हालांकि, दिल्ली विश्वविद्यालय चुनाव के परिणाम को लेकर सस्पेंस बना हुआ है। इसे दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद ही जारी किया जाएगा। दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को मतगणना पर तब तक रोक लगा दी जब तक कि इमारतों को नुकसान पहुंचाने वाली सामग्री जैसे पोस्टर, होर्डिंग, दीवारों पर लिखे नारे आदि को हटा नहीं दिया जाता। न्यायालय ने सरकारी समापत्तियों का जो प्रचार के दौरान नुकसान हुआ है पहले उसकी भरपाई होगी उसके बाद परिणाम जारी होंगे।

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