प्रख्यात योग गुरु पद्मश्री शिवानंद बाबा का निधन, एमपी सीएम और डिप्टी सीएम ने जताया शोक

एमपी। काशी के प्रख्यात योग गुरु पद्मश्री शिवानंद बाबा का निधन हो गया है। शिवानंद का जन्म 8 अगस्त 1896 को हुआ था, हालांकि इसकी स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की गई है। उनका जन्म ब्रिटिश भारत के बंगाल प्रेसीडेंसी के सिलहट जिले (वर्तमान में बांग्लादेश का सिलहट डिवीजन ) में हुआ था।

काशी को बनाया अपना तपोस्थान

शिवानंद बाबा के माता-पिता बहुत गरीबी में रहते थे और उन्हें अपना जीवन यापन करने के लिए भीख मांगनी पड़ती थी। जब वे मात्र छह वर्ष के थे, तब उनकी बहन, माता और पिता सभी की मृत्यु एक महीने के भीतर हो गई। इसके बाद वे बंगाल से काशी चले गए और वहाँ सेवा करने लगे। स्वामी शिवानंद ने गुरु ओमकारानंद से शिक्षा प्राप्त करने के बाद योग और ध्यान में महारत हासिल किए थे।

परोपकार करते किया जीवन यापन

तीन दशकों से ज्यादा समय तक उन्होंने वाराणसी में गंगा नदी के किनारे योग सिखाया। पचास सालों से ज्यादा समय तक उन्होंने कुष्ठ रोग से पीड़ित 400-600 भिखारियों की सेवा की है। उन्होंने उनकी ज़रूरतों के लिए भोजन, फल, कपड़े, सर्दियों के कपड़े, कंबल, मच्छरदानी और खाना पकाने के बर्तन की व्यवस्था की। उन्होंने योग को भी बढ़ावा दिया।

सीएम मोहन ने जताया शोक

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पद्यश्री से सम्मानित योग गुरु शिवानंद बाबा के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उनके चरणों में श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि शिवानंद बाबा का निधन काशी ही नहीं, बल्कि देश के लिए अपूरणीय क्षति है। श्रद्धेय शिवानंद बाबा, प्राचीनतम योग विद्या, भारतीय संस्कृति और परंपराओं को आत्मसात करने वाली उत्कृष्ट जीवन शैली के प्रतीक और प्रमाण थे। उनके विचार और जीवन पद्धति सभी के लिए प्रेरणादायक और अनुकरणीय है।

उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने जताया शोक

उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने काशी के प्रख्यात योग गुरु पद्मश्री शिवानंद बाबा के निधन पर गहन शोक व्यक्त किया है। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि पद्मश्री शिवानंद बाबा जी के निधन का समाचार अत्यंत दुःखद है। उन्होंने योग, संयम और सेवा के माध्यम से मानवता को नई दिशा दी। उनका तपस्वी जीवन समाज के प्रत्येक व्यक्ति के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने कहा कि बाबा जी का योगदान न केवल आध्यात्मिक जगत में अमूल्य रहा है, बल्कि उन्होंने विश्व पटल पर भारतीय योग परंपरा को गौरव दिलाया। उनका संपूर्ण जीवन सादगी, सेवा और साधना का प्रतीक रहा।

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