RBI Repo Rate Today : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी (RBI) ने रेपो रेट को पांच साल बाद घटा दिया है। इससे मिडिल क्लास परिवारों के लिए बहुत राहत मिलेगी। आरबीआई ने रेपो रोट में 6.2% को घटाकर 6.25% कर दिया है। यानी कि रेपो रेट में आरबीआई ने 0.25% की कटौती की है। अब ये भी जान लेते हैं कि मात्र 0.25% की कटौती से क्या फायदे होंगे। आम आदमी के लिए अब लोन लेना सस्ता हो जाएगा। होम लोन की लागत सस्ती होने से EMI घट जाएगी। जिससे लोगों के लिए नए लोन लेना आसान हो जाएगा। यहीं नहीं अब उनकी मौजूदा ईएमआई भी कम होगी।
5 साल बाद रेपो रेट में कटौती | rbi monetary policy repo rate
बता दें कि केंद्रीय बैंक की ओर से रेपो रेट में कटौती पूरे पांच साल बाद किया गया है, और इससे पहले मई 2020 में रेपो रेट को कम किया गया था। फिर इसके बाद फरवरी 2023 में इसे बढ़ाया गया था। अब क्योंकि इसे 6.25% पर घटाया गया है, तो यह वित्तीय स्थिति को और भी मजबूत बना सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जो होम लोन, पर्सनल लोन या अन्य प्रकार के लोन की किश्तें चुका रहे हैं। आरबीआई का यह खास कर उन लोगों ने राहत भरा है जो होम लोन, पर्सनल लोन, ऑटो लोन जैसे लोन लेते हैं। आरबीआई के इस फैसले को समझने के लिए पहले हमें यह जानना जरूरी है कि रेपो रेट क्या होता है और इसका अर्थ क्या है।
क्या होता है रेपो रेट? | RBI Repo Rate Today
रेपो रेट वह ब्याज दर होती है, जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है। जब बैंक को पैसों की कमी होती है, तो वे केंद्रीय बैंक (आरबीआई) से पैसे उधार लेते हैं। इस उधारी पर जो ब्याज लगता है, उसे रेपो रेट कहते हैं। यह दर वित्तीय प्रणाली में पैसे की आपूर्ति को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण है। जब रेपो रेट बढ़ता है, तो बैंकों के लिए उधारी महंगी हो जाती है, और इसका असर लोन की ब्याज दरों पर भी पड़ता है। इसके विपरीत, जब आरबीआई रेपो रेट घटाता है, तो बैंकों के लिए उधारी सस्ती हो जाती है, जिससे लोन की ब्याज दर भी घट सकती है।
रेपो रेट कम होने से मिडिल क्लास को फायदा
आईए अब जानते हैं कि आरबीआई ने रेपो रेट में जो 0.25% की कटौती की है उससे आम लोगों को क्या फायदें मिलेंगे।
पहला – लोन सस्ता होगा : जब आरबीआई रेपो रेट घटाता है, तो बैंकों को उधार लेना सस्ता हो जाता है। इसका मतलब यह है कि बैंकों द्वारा ग्राहकों को दी जाने वाली ब्याज दरें भी कम हो सकती हैं। इससे घर, कार, या अन्य व्यक्तिगत लोन लेने पर ब्याज की दर कम हो सकती है। उदाहरण के लिए, अगर किसी व्यक्ति ने घर खरीदने के लिए होम लोन लिया है, तो उसकी ईएमआई (EMI) में कमी आ सकती है, क्योंकि लोन की ब्याज दर में गिरावट होगी।
दूसरा – ईएमआई में कमी : ईएमआई का बोझ कम हो सकता है, क्योंकि जब ब्याज दर घटती है, तो लोन की मासिक किश्तों में भी कमी आती है। इसका फायदा उन सभी लोगों को होगा जिन्होंने पहले लोन लिया है या जो नए लोन की योजना बना रहे हैं। यह खासकर मिडिल क्लास और निचले आय वर्ग के लिए राहत प्रदान करता है, क्योंकि वे अक्सर लोन के दबाव में होते हैं।
तीसरा – आर्थिक विकास को बढ़ावा : जब लोन सस्ता होता है, तो लोग ज्यादा लोन लेते हैं और खर्च करने के लिए प्रेरित होते हैं। इससे उपभोक्ता मांग में वृद्धि होती है, जो आर्थिक विकास के लिए अच्छा संकेत है। इसके अलावा, जब लोग घर, वाहन या अन्य वस्तुओं पर खर्च बढ़ाते हैं, तो विभिन्न उद्योगों को भी लाभ होता है, जैसे कि रियल एस्टेट, ऑटोमोबाइल, और खुदरा उद्योग।
चौथा – वित्तीय दबाव में कमी : पहले, जब रेपो रेट अधिक था (6.50%), तो हो सकता था कि लोगों को लोन लेने में कठिनाई होती थी और उनकी ईएमआई का दबाव भी बढ़ जाता था। अब, रेपो रेट में कमी से लोग वित्तीय रूप से कुछ राहत महसूस करेंगे और उनका वित्तीय बोझ हल्का होगा।
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