RBI MPC Repo Rate: 7 अगस्त को घर, Car खरीदारों को मिलेगी Good News!

RBI Monetary Policy August 2025: RBI की MPC यानी (मौद्रिक नीति समिति) की अगली बैठक 5 से 7 अगस्त के बीच होने वाली है. और आप जानते हैं की जब RBI MPC होती है तो लोगों के मन में एक ही सवाल आता है और वह ये कि, क्या RBI एक बार फिर से लोगों को खुश करते हुए रेपो रेट में कटौती करेगा? अब इसी सवाल के जवाब को आपको बतायेंगे की आखिर इस बार की MPC में क्या कुछ हो सकता है, आपके लोन की EMI घटेगी या फिर वही रहने वाली है….

Repo Rate में एक बार फिर होगी कटौती

भारत के बड़े सरकारी बैंक SBI की रिपोर्ट की मानें तो, SBI इस बार भी अपनी MPC बैठक में रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट यानी 0.25℅ की कटौती करने वाला है. जी हां इस साल पहले ही RBI 3 बार रेपो रेट में कटौती कर चुका है. पहली कटौती फरवरी में 0.25℅ की हुई थी. वहीं अप्रैल में भी यह कटौती 0.25℅ की हुई थी. और पिछली यानी जून में RBI ने रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती की थी. ऐसे में अभी तक रेपो रेट में 1 प्रतिशत की कटौती हो गई है.

दिवाली से पहले मार्केट को गुलजार करने की तैयारी

SBI की रिपोर्ट में बताया है कि अगस्त में RBI की MPC में ब्याज दरों में कटौती हो सकती है, जी हां इसके पीछे की वजह यह भी है की कारोबारी साल 2026 में त्योहारी सीजन के दौरान क्रेडिट ग्रोथ को बढ़ावा देकर जल्दी दिवाली लाई जा सके. गौरतलब है, पिछले डेटा से साफ संकेत मिलता है कि दिवाली से पहले रेपो दर में किसी भी कटौती से त्योहारी सीजन के दौरान क्रेडिट ग्रोथ में बढ़ोतरी होगी. इससे बाजार में कर्ज की मांग में तेज उछाल देखने को मिलता है. इस बार भी रेपो दर में कटौती होगी तो लोगों को त्योहार से पहले खुशखबरी मिलेगी और लोगों के लिए लोन लेना सस्ता हो जाएगा. वहीं रेपो रेट में कटौती होने से FD निवेशकों को नुकसान होगा.

ये डेटा ध्यान से देख लो

दरअसल ब्याज दर की कम कीमतें लोन की मांग को बनाता है बेहतररिपोर्ट में एक उदाहरण का हवाला देते हुए बताया गया कि अगस्त 2017 में रेपो दर में 0.25℅ की कटौती से दिवाली के अंत तक ₹1,956 बिलियन की क्रेडिट ग्रोथ हुई, जिसमें से लगभग 30 फीसदी योगदान पर्सनल लोन का था.

दिवाली हमारे देश का सबसे बड़ा त्यौहार है. जी हां जिसमें उपभोक्ता ज्यादा खर्च करता है. इसके चलते दिवाली से पहले कम ब्याज दर का माहौल लोन मांग को बेहतर बनाने में मदद करता है. साथ ही एक और अहम बात आपको बताएं कि, महंगाई अब कई महीनों से आरबीआई के टारगेट बैंड के भीतर है. इसलिए सख्ती जारी रखने से प्रोडक्शन को नुकसान हो सकता है, जिसे उलटना मुश्किल है.

इसी रिपोर्ट में बताया गया कि इंतजार करने का मार्जिनल बेनिफिट कम है, जबकि प्रोडक्शन में कमी और इन्वेस्टमेंट सेंटीमेंट के रिफ्रेंस में इनएक्शन की लागत महत्वपूर्ण होने की संभावना है. सेंट्रल बैंक प्राइस स्टेबिलिटी और ऑउटपुट स्टेबिलाइजेशन के ड्यूल मैंडेट के साथ काम करते हैं.

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