Ratapani Tiger Reserve Details In Hindi | भोपाल के पास मौजूद रातापानी अभ्यारण्य अब ‘रातापानी टाइगर रिजर्व’ के रूप में विकसित होगा। सरकार ने इस योजना को अंतिम रूप देने का आदेश जारी कर दिया गया है। यह देश का पहला अर्बन टाइगर रिजर्व होगा, जो शहरीकरण और वन्यजीव संरक्षण के संतुलन का अद्वितीय उदाहरण पेश करेगा।
Ratapani Tiger Reserve kahan Par Hai | रातापानी टाइगर रिजर्व किस जिले में है?
आइए जानते हैं इस पहल की पूरी कहानी। रातापानी टाइगर रिजर्व का क्षेत्र भोपाल, रायसेन और सीहोर जिलों में फैला हुआ है। यह जंगल न केवल मध्यप्रदेश बल्कि पूरे देश के लिए पर्यावरणीय महत्व रखता है। इस क्षेत्र में बाघ, तेंदुआ, चीतल, सांभर और जंगली सूअर जैसे कई महत्वपूर्ण वन्यजीव पाए जाते हैं। साथ ही, यह क्षेत्र यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल भीमबैठका की गुफाओं और नर्मदा घाटी बायोस्फीयर का हिस्सा भी है। रातापानी का यह दर्जा पर्यावरण संरक्षण और पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ जैव विविधता को संरक्षित रखने में मदद करेगा। फिलहाल इस अभ्यारण्य में 90 बाघ मौजूद हैं, आपको बता दे कान्हा, सतपुड़ा, बांधवगढ़, पेंच, संजय डुबरी, पन्ना और वीरांगना दुर्गावती के बाद यह राज्य का आठवां बाघ अभयारण्य है। रातापानी अभ्यारण्य नर्मदा और बेतवा नदी के जलग्रहण क्षेत्र का हिस्सा है, जिससे इसकी जैव विविधता समृद्ध होगी, और आम लोगों को रोजगार के नए मौके भी मिलेंगे।
Ratapani Tiger Reserve
रातापानी को टाइगर रिजर्व बनाने की प्रक्रिया 2008 में शुरू हुई थी। लेकिन 17 साल तक यह प्रोजेक्ट विभिन्न चुनौतियों का सामना करता रहा। खनन माफिया, जमीन विवाद और प्रशासनिक देरी के कारण इस महत्वपूर्ण पहल को अमल में लाने में काफी समय लगा। इसके अलावा, स्थानीय समुदायों द्वारा विस्थापन और आजीविका को लेकर आपत्तियाँ भी सामने आईं। हालांकि, इन सभी बाधाओं को पार करते हुए अब रातापानी को टाइगर रिजर्व का दर्जा मिल चुका है। रातापानी टाइगर रिजर्व मध्यप्रदेश के विकास के लिए एक नया मील का पत्थर साबित हो सकता है। इससे जंगल सफारी, इको-टूरिज्म, रिसर्च प्रोजेक्ट्स, और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन से क्षेत्र को नई पहचान मिलेगी। गाइड्स, ट्रैवल ऑपरेटर, और स्थानीय व्यवसायियों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। बाघों और अन्य प्रजातियों के संरक्षण में यह क्षेत्र एक मॉडल बन सकता है। इस पहल से जल संसाधनों, जैव विविधता, और वन क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। यह पहल मध्यप्रदेश को ‘टाइगर स्टेट’ के रूप में और मजबूत करेगी। भोपाल के पास स्थित होने के कारण यह अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनेगा।
हालांकि, रातापानी टाइगर रिजर्व के सामने कई चुनौतियाँ भी हैं। अवैध शिकार और अवैध गतिविधियों पर रोक लगानी होगी। मिडघाट रेलवे क्रॉसिंग जैसे इलाकों में वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी। जंगलों की निगरानी के लिए आधुनिक तकनीक और विशेष टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स (SPTF) का गठन जरूरी है। पर्यावरणविद् अजय दुबे का कहना है कि सरकार को अन्य प्रस्तावित पार्कों जैसे ओंकारेश्वर नेशनल पार्क और सोनवानी अभ्यारण्य को भी प्राथमिकता देनी चाहिए। स्थानीय आदिवासी समुदायों को रोजगार देकर उनके विस्थापन के मुद्दों का समाधान किया जा सकता है। बाघ संरक्षण के लिए रातापानी जैसे क्षेत्रों को टाइगर रिजर्व बनाना बेहद जरूरी है। साथ ही, सरकार को SPTF का गठन और अन्य पार्कों की योजनाओं पर तेजी से काम करना चाहिए।