राम मंदिर ट्रस्ट अयोध्या की 100 साल पुरानी मस्जिद क्यों खरीद रहा! वक्फ बोर्ड ने क्या कहा?

Badar Masjid Controversy

श्रीरामजन्मभूमि पर बन रहे राममंदिर की देखरेख करने वाले राम मंदिर ट्रस्ट (Ram Mandir Trust) ने अयोध्या की एक 100 साल पुरानी मस्जिद को खरीदने के लिए एग्रीमेंट किया है.

Ram Mandir Trust Offers To Buy 100 Year Old Masjid In Ayodhya: अयोध्या में निर्माणाधीन श्रीराममंदिर की देखरेख करने वाले ट्रस्ट ने एक 100 साल पुरानी मस्जिद को खरीदने के लिए एक एग्रीमेंट साइन किया है. अयोध्या के पांजी टोला में बनी एक छोटी सी मस्जिद को राम मंदिर ट्रस्ट खरीदना चाहता है. मस्जिद के मुतवल्ली यानी केयरटेकर ने Ram Mandir Trust से 30 लाख रुपए का एग्रीमेंट भी कर लिया है और 15 लाख रुपए एडवांस में ले लिए हैं. इस मामले में अब वक्फ बोर्ड ने दखल दे दिया है, वक्फ बोर्ड का कहना है कि उन्हें इस सौदे के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है.

अयोध्या की 100 साल पुरानी मस्जिद खरीद रहा राम मंदिर ट्रस्ट!

दरअसल अयोध्या के नया घाट से लेकर सहादगंज तक 13 किमी लंबा रामपथ बन रहा है. रामपथ के बीच में पांजी टोला में बनी 100 साल पुरानी बद्र मस्जिद पड़ रही है. खबर है कि मस्जिद का कुछ हिस्सा रामपथ निर्माण में आड़े आ रा रहा है. पथ निर्माण के बीच पढ़ने वाले मस्जिद के कुछ हिस्से को तोडा जाना है.

सुन्नी वक्फ बोर्ड को पता ही नहीं चला

दरअसल बद्र मस्जिद सुन्नी वक्फ बोर्ड के कंट्रोल में आती है. लेकिन मस्जिद के मुतवल्ली रईस अहमद ने राम मंदिर ट्रस्ट के दाल डील फाइनल कर दी. जिसके बाद अंजुमन मुहाफ़िज़ मस्जिद और मकाबीर कमेटी के महासचिव मोहम्मद आजम कादरी ने पुलिस में शिकायत की. उन्होंने कहा- बद्र मस्जिद सुन्नी वक्फ बोर्ड की संपत्ति है. अयोध्या में मस्जिद, कब्रिस्तान, दरगाह या मजार सब की देखरेख मेरी जिम्मेदारी है. इसी लिए मैंने बद्र मस्जिद का मुद्दा उठाया।

मोहम्मद आजम कादरी ने बद्र मस्जिद के मुतवल्ली रईस अहमद और राम मंदिर ट्रस्ट के बीच हुए अग्रीमेंट गलत बताते हुए कहा- मस्जिद बेचने की इजाजत न शरीयत देता है और ना कानून। वक्फ बोर्ड की सम्पत्ति न बेची का सकती है न खरीदी जा सकती है. मस्जिद एक बार बन जाए तो कयामत तक ही रहती है.

उन्होंने कहा- मस्जिद का आधे से अधिक हिस्सा सड़क चौड़ी करने में चला गया. ये पूरा मोहल्ला श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट एक्वायर कर लेगा। फिर मोहल्ले के लोग भी नहीं रह जाएंगे।

वहीं मुतवल्ली रईस अहमद का कहना है कि हमने मस्जिद बेची नहीं है, बल्कि शिफ्ट करने के लिए एग्रीमेंट किया है. दूसरी मस्जिद बन रही थी. किसी वजह से प्रशासन ने काम रुकवा दिया है.

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